SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 316
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Fa虫虫¥¥¥¥¥¥¥¥¥乐乐%%%%¥¥¥¥¥¥出與與與织%%%%% {970} महादोषः संनिपातस्तस्याद्यः क्षय उच्यते। (म.भा. 6/3/82) युद्ध महान् दोषों का भण्डार है। उन दोषों में सबसे प्रधान है-जनसंहार। 1971) संग्रामो वै क्रूरम्। संग्रामे हि क्रूरं क्रियते। (श.प.1/2/5/19) युद्ध क्रूर होता है। युद्ध में क्रूर काम किए जाते हैं। {972} युद्धे कृष्ण कलिर्नित्यं प्राणाः सीदन्ति संयुगे। (म.भा. 5/72/49) (युधिष्ठिर का श्रीकृष्ण को कथन-) युद्ध में सदा कलह और लोगों के प्राणों का नाश ही होता है। 9纸纸编织听听听听听听垢听听听听听乐乐%%%%¥¥¥¥¥¥¥¥妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮妮听听听听圳坂4 {973} . पराजयश्च मरणान्मन्ये नैव विशिष्यते। यस्य स्याद् विजयः कृष्ण तस्याप्यपचयो ध्रुवम्॥ (म.भा. 5/72/54) पराजय और मृत्यु में कोई ज्यादा फर्क नहीं है। जिसकी विजय होती भी है, उसे भी निश्चय ही धन-जन की भारी हानि उठानी पड़ती है। {974} जयो नैवोभयोर्दृष्टो नोभयोश्च पराजयः। तथैवापचयो दृष्टो व्यपयाने क्षयव्ययौ॥ (म.भा. 5/72/52) कभी-कभी ऐसा भी होता है कि न तो दोनों पक्षों की विजय होती है और न दोनों की पराजय ही। हां,दोनों के धन-वैभव का नाश अवश्य देखा गया है। यदि कोई पक्ष पीठ दिखाकर भाग जाय, तो उसे भी धन और जन-दोनों की हानि उठानि पड़ती है। ########## ############### #HANNE विदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/286
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy