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{1} अठिंआ और टिंआ (आमान्य पृष्ठभूमि)
अहिंसा: एक सार्वत्रिक व सार्वकालिक धर्म
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अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः। दानं दमो दया क्षान्तिः सर्वेषां धर्मसाधनम्॥
___(या. स्मृ. 1/5/122) अहिंसा, सत्य, अचौर्य, शौच (पवित्रता), इन्द्रिय-संयम, दान, दम (अन्तःकरण 卐 का संयम), (दीनों पर) दया और (अपकारी पर भी)क्षमा-ये सभी के लिये (सामान्य 卐रूप से) धर्म के साधन हैं।
___{2} अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियसंयमः। दमः क्षमाऽऽर्जवं दानं सर्वेषां धर्मसाधनम्॥
(ग.पु. 1/96/29) अहिंसा, सत्य, अचौर्य, शौच (शुद्धि), इन्द्रिय-संयम, दम (आत्म-दमन), क्षमा, सरलता व दान-ये सभी के लिए 'धर्म'-साधन हैं।
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{3} अहिंसा सर्वभूतानामेतत् कृत्यतमं मतम्। एतत् पदमनुद्विग्नं वरिष्ठं धर्मलक्षणम्।
(म.भा.13/अनुगीता पर्व/50/2-3) सब प्राणियों के लिए अहिंसा ही सर्वोत्तम कर्तव्य है-ऐसा माना गया है। यह सर्वश्रेष्ठ उद्वेग-रहित स्थिति है, और धर्म का मुख्य लक्षण है।
PUUUUHHHHनगनननननन. ELELEUCUCUEUEUEUEUEUEUEUEUEUEUEUEUELELELCLCLCLELELELELELELELE
अहिंसा-कोश/1]