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________________ <男男男男男男男男男男男男男%%%%%%%%% %%% %%% % % % % अहिंसक यज्ञ की समर्थक विविध कथाएं (राजा वसु का उपाख्यान) [शास्त्रों में (राजा वसु से सम्बन्धित) कुछ ऐतिहासिक/प्राचीन कथानक प्राप्त हैं, जिनसे यह प्रमाणित होता है कि अज्ञान व स्वार्थ-साधन की प्रवृत्ति के कारण यज्ञ की अहिंसकता को दुष्प्रभावित करने का निष्फल प्रयास हुआ और उक्त प्रयास करने वालों की अधोगति हुई। महाभारत व पुराण में प्राप्त कुछ कथानकों को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है-] महाभारत के शांति पर्व में प्राप्त कथा 明明明明明垢玩垢听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听¥¥¥¥¥¥ {927} अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम्। ऋषीणां चैव संवादं त्रिदशानां च भारत॥ अजेन यष्टव्यमिति प्राहुर्दैवा द्विजोत्तमान्। स च च्छागोऽप्यजो ज्ञेयो नान्यः पशुरितिस्थितिः॥ बीजैर्यज्ञेषु यष्टव्यमिति वै वैदिकी श्रुतिः। अजसंज्ञानि बीजानि च्छागं नो हन्तुमर्हथ। नैष धर्मः सतां देवा यत्र वध्येत वै पशः। इदं कृतयुगं श्रेष्ठं कथं वध्येत वै पशुः॥ (म.भा. 12/337/2-5) (भीष्म द्वारा युधिष्ठिर को प्राचीन कथा बताना-) इस विषयों में ज्ञानी-जन ऋषियों # और देवताओं के संवादरूप इस प्राचीन इतिहास को उद्धृत किया करते हैं । एक बार * देवताओं ने वहां आये हुए सभी श्रेष्ठ ब्रह्मर्षियों से कहा:- 'अज' से यज्ञ करने का शास्त्रीय विधान है। यहां 'अज' का अर्थ बकरा समझना चाहिये, दूसरा पशु नहीं, ऐसा हमारा मत है। किन्तु ऋषियों ने कहा-देवताओं! यज्ञों में बीजों द्वारा यजन करना चाहिये , ऐसी वैदिकी ॥ श्रुति है। बीजों का ही नाम 'अज' है, अतः बकरे का वध करना हमें उचित नहीं प्रतत होता है। जहां कहीं भी यज्ञ में पशु का वध हो, वह सत्पुरुषों का धर्म नहीं है। यह श्रेष्ठ सत्ययुग में चल रहा है। इसमें पशु का वध कैसे किया जा सकता है? बE EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEP अहिंसा कोश/265]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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