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________________ F听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 他男男男男男男男%%%%%%%%%%%% %% %% % %% %%%% 1632} यः कुक्कुटान्निबधाति मार्जारान्सूकरांस्तथा। पक्षिणश्च मृगाञ्छागान्सोऽप्येनं नरकं व्रजेत्॥ (ब्रह्म.पु. 4/2/165) जो व्यक्ति मुर्गे, बिल्ली, सूअर, पक्षी, मृग, बकरी (आदि प्राणियों) को बांधकर अ रखता है, वह भी घोर (पूयवह)नरक में जाता है। {633} अदंशमशके देशे सुखसंवर्धितान् पशून्। तांश्च मातुः प्रियाञ्जानन्नाक्रम्य बहुधा नराः॥ बहुदंशकुलान् देशान् नयन्ति बहुकर्दमान्। वाहसम्पीड़िता धुर्याः सीदन्त्यविधिना परे॥ न मन्ये भ्रूणहत्याऽपि विशिष्टा तेन कर्मणा। (म.भा.12/262/43-45) तेल, घी, शहद और दवाओं की बिक्री करने से क्या हानि है, बहुत से मनुष्य तो डांस और मच्छरों से रहित देश में उत्पन्न और सुख से पले हुए पशुओं को यह जानते हुए भ में भी कि ये अपनी माताओं के बहुत प्रिय हैं और इनके बिछुड़ने से उन्हें बहुत कष्ट होगा, फ जबरदस्ती आक्रमण करके ऐसे देशों में ले जाते हैं जहां डांस, मच्छर और कीचड़ की अधिकता होती है। कितने ही बोझ ढोने वाले पशु भारी भार से पीड़ित हो, लोगों द्वारा म अनुचित रूप से सताये जाते हैं। मैं समझता हूं कि उस क्रूर कर्म से बढ़कर भ्रूण-हत्या का * पाप भी नहीं है। 張听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听¥听听听听听听听听听听听听听听 {634} दण्डेन ताडयेद्यो हि वृषं च वृषवाहकः। भृत्यद्वारा स्वतन्त्रो वा पुण्यक्षेत्रे च भारते॥ प्रतप्ततैलकुण्डे च स तिष्ठति चतुर्युगम्। गवां लोमप्रमाणाब्दं वृषो भवति तत्परम्॥ ____ (ब्र.वै.पु. 2/30/54-55) जो किसान इस पुण्य-क्षेत्र भारत में स्वयं अपने या नौकर द्वारा दण्डे से बैल को पीटता है, वह चारों युगों तक प्रतप्त तैल कुण्ड में रहता है। अनन्तर, उस बैल के शरीर पर में जितने रोंएं हों, उतने वर्षों तक वह बैल होता है। अहिंसा कोश/179]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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