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अहिंसा विश्वकोश
सुख व शांति, प्रत्येक प्राणी के लिए अभिलषित हैं। वैयक्तिक सुख-शांति ही नहीं, विश्व-शांति की प्रक्रिया में भी अहिंसा को व्यावहारिक जीवन में प्रतिष्ठापित करने की आवश्यकता निर्विवाद है। आधुनिक युग का आतंकवाद हिंसक वातावरण की उपज है, जिसने विश्व के प्रत्येक देश को अहिंसा का महत्त्व समझने के लिए बाध्य किया है। भारतवर्ष की संस्कृति का 'उत्स' अहिंसा है। भारतवर्ष अहिंसा का सन्देश समस्त विश्व को देता आ रहा है जिसका प्रतिफल यह है कि विश्व क प्रायः सभी धर्मों में अहिंसा को उपादेय माना गया है।
आधुनिक युग में, धर्म-दर्शन के क्षेत्र में, खण्डन-मण्डन के स्वर के स्थान पर, समन्वयात्मक दृष्टिकोण व सहिष्णुता को अपनाने को प्रमुखता दी जा रही है। विद्वानों का यह सर्वत्र प्रयास हो रहा है कि सभी धर्मों दर्शनों में व्याप्त समानता को अधिकाधिक रेखांकित किया जाय ताकि वे एकता के सूत्र में बंधकर, सामूहिक रूप से समस्त मानवता के लिए सुख-शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकें।
इसी वैचारिक पृष्ठिभूमि में 'अहिंसा विश्वकोश' की संकल्पना हुई थी। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर और अहिंसा के अवतार भगवान् महावीर के 2600वें जन्म कल्याणक के अवसर पर, भारत सरकार ने ई. 20012002 को 'अहिंसा वर्ष' के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसने भी प्रस्तुत विश्वकोश के निर्माण में गतिशीलता प्रदान की। ___भारतीय धरा पर अनेक धर्म/दर्शनों का प्रादुर्भाव व विकास होता रहा है और उन्हें प्रमुखताः (1) वैदिक ब्राह्मण परम्परा और (2) श्रमण परम्परा-इन दोनों में वर्गीकृत किया जाता है। प्रस्तुत विश्वकोश के निर्माण का उद्देश्य यह रहा है कि सभी धर्म-दर्शनों में अनुस्यूत 'अहिंसा' के समस्त पक्षों को उजागर करते हुए इसके सार्वजनीन महत्त्व को रेखांकित किया जाय। इसके तीन खण्ड प्रस्तावित हैं:-(1) वैदिक ब्राह्मण संस्कृति खण्ड, (2) जैन संस्कृति खण्ड।