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________________ KEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE ng {304} अक्रोधेन जयेत् क्रोधम्। (म.भा.5/39/72, विदुरनीति 7/72) अक्रोध (क्षमा, शान्ति) से क्रोध को जीते। {305} हन्ति नित्यं क्षमा क्रोधम्॥ (म.भा.5/39/42, विदुरनीति 7/42) क्षमा सदा ही क्रोध का नाश करती है। 乐纸版纸坎坎坎坎玩玩玩乐乐玩玩乐乐乐坎坎坎玩玩乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {306} षडेव तु गुणाः पुंसा न हातव्याः कदाचन। सत्यं दानमनालस्यमनसूया क्षमा धृतिः॥ (म.भा. 5/33/81) मनुष्य को कभी भी सत्य, दान, कर्मण्यता, अनसूया (गुणों में दोष दिखाने की प्रवृत्ति का अभाव), क्षमा तथा धैर्य-इन छ: गुणों का त्याग नहीं करना चाहिये। 听听听听听听听巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩巩听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 अहिंसात्मक अभयदान के प्रेरक वचन {307} अभयमिव ह्यन्विच्छ। (गो.ब्रा.2/6/4) तू अभय की खोज कर। {308 न तत् क्रतुसहस्त्रेण नोपवासैश्च नित्यशः। अभयस्य च दानेन यत् फलं प्राप्नुयानरः॥ (म.भा. 11/7/26) अभयदान से मनुष्य जिस फल को पाता है, वह उसे सहस्रों यज्ञ और नित्यप्रति उपवास करने से भी नहीं मिल सकता है। % %%% % % %%%%%%%%%%%%%%%、 %%%%%%% % विदिक/ब्राह्मण संस्कृति खण्ड/92
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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