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________________ 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 {285} हत्या गर्भमविज्ञातमेतदेव व्रतं चरेत्। राजन्यवैश्यौ चेजानावात्रेयीमेव च स्त्रियम्॥ (म.स्मृ. 11/87; अ.पु. 169/18 में पूर्वार्द्ध समान) अज्ञात (स्त्री, पुरुष या नपुंसक का ज्ञान हुए बिना) गर्भ की हत्या, यज्ञ करते हुए क्षत्रिय या वैश्य की हत्या और आत्रेयी (गर्भिणी या संस्कार-सम्पन्न या रजस्वला ब्राह्मणी) की है # हत्या करके (ब्रह्महत्या का) प्रायश्चित्त करना आवश्यक है (अर्थात् अज्ञात गर्भ-लिंग-परीक्षण : कराये बिना जो गर्भ है-उसकी भी हत्या करने/करवाने वाले को ब्रह्म-हत्या के समान महापातक # लगता है और उसे वही प्रायश्चित्त करना चाहिए जो ब्रह्म-हत्या करने पर किया जाता है)। 注垢玩垢FF圳垢听听听听听听听听听听听听听圳绵绵$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听%%%%垢 ___{286} भिक्षुहत्यां महापापी भ्रूणहत्यां च भारते। कुम्भीपाके वसेत्सोऽपि यावदिन्द्राश्चतुर्दश॥ ___ (दे. भा. 9/34/24) जो भारत में भ्रूण-हत्या और भिक्षु-हत्या करता है, वह महापापी कुम्भीपाक नरक * में तब तक निवास करता है, जब तक 14 इन्द्र शासन करते हैं (अर्थात् जितने काल तक 14 अ * इन्द्रों का शासन समाप्त हो, उतने दीर्घ काल तक उसे नरक दुःख भोगना पड़ता है)। [टिप्पणीः भ्रूणघाती को नरक गमन का प्रतिपादन ब्र.पु. 4/2/153-154 में भी किया गया है।] 第明垢巩巩巩巩巩乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听圳乐乐 {287} वृषक्षुद्रपशूनां च पुंस्त्वस्य प्रतिघातकृत्। साधारणस्यापलापी दासीगर्भविनाशकृत्॥ पितृपुत्रस्वसृभ्रातृदम्पत्याचार्यशिष्यकाः । एषामपतितान्योन्यत्यागी च शतदण्डभाक्॥ (या. स्मृ., 2/20/236-37) (1) बैल, एवं बकरे आदि छोटे पशुओं को बांझ बनाने वाला, (2) साधारण वस्तु के विषय में भी वञ्चना/ठगी करने वाला, (3) दासी के गर्भ को गिराने वाला, (4) पिता पुत्र, भाई-बहिन, पति-पत्नी, आचार्य-शिष्य-इनमें से एक दूसरे को-जो पतित नहीं हुआ 卐 है-त्यागने वाला (पत्नी को तलाक देने वाला पति, पति को तलाक देने वाली पत्नी आदि)ॐ ये सभी सौ पण (आर्थिक) दण्ड के भागी होते हैं। %%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%% % अहिंसा कोश/87]
SR No.016128
Book TitleAhimsa Vishvakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2004
Total Pages406
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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