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________________ शिव प्राचीन चरित्रकोश शिशुनाग सिकंदर के समय सिंधु एवं असिक्नी नदियों के तट पर | 'मेदशिरस् , 'शातकर्णि' एवं 'शिवश्री' राजा का बसे हए 'सि' अथवा 'सिबोइ' लोग संभवतः यही | पुत्र था ( मत्स्य. २७३.१४ )। होंगे (अरियन, इंडिका ५.१२)। पाणिनीय व्याकरण शिवस्वाति अथवा शिवस्वामिन--( आंध्र. में निर्दिष्ट 'शिवपुर ग्राम संभवतः इन्हीं लोगों का ही था भविष्य.) एक आंध्रवंशीय राजा, जो भागवत के अनुसार (पा. सू. ४.२.१०९; शिबि. १. देखिये)। चकोर राजा का, विष्णु के अनुसार चकोर शातकणि राजा ३. उत्तम मन्वंतर का एक देवगण, जिस में निम्न- का, एवं वायु के अनुसार सातकर्णि राजा का पुत्र था। लिखित बारह देवता समाविष्ट थे:--१.प्रतर्दन: २. यति; शिवा-अंगिरस ऋषि की पत्नी, जो आपव वसिष्ठ ३. यम; ४. यशस्कर; ५. वनि; ६. वसुदान, ७. विष; | ऋषि की कन्या थी । पाठभेद:--' वसुदा' 'शुभा' ८. सुदान; ९. सुचित्र; १०. सुमंजस्; ११. स्वार एवं 'सुमा' (म. व. २०८.१)। १२. हंस (ब्रह्मांड. २.३६.३२-३३)। २. अनिल नामक वसु की पत्नी, जिससे इसे मनोजव ४. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। एवं अविज्ञातगति नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. आ. ५. उत्तम मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक (मत्स्य. | ६०२४ )। ९.१४)। ३. एक शैवेय' राक्षसी, जो कश्यप एवं खशा की ६. तामस मन्वंतर का एक योगवर्धन । कन्याओं में से एक थी (ब्रह्मांड. ३.७.१३८)। ७. एक ब्राह्मण, जो वितस्त का पुत्र, एवं श्रवस् का शिशिर-एक वसु, जो धर एवं मनोहरा के चार पुत्रों पिता था (म. अनु. ८.६२)। में से एक था। इसके अन्य तीन भाइयों के नाम वर्च, ८. ( स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो इध्मजिह्व राजा | प्राण एवं रमण थे (म. आ.६०.२)। के सात पुत्रों में से एक था। इसका द्वीप इसीके ही २. विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक मंत्रकार । नाम से प्रसिद्ध हुआ। ३. एक आचार्य, जो विष्णु एवं भागवत के अनुसार व्यास की ऋकशिष्यपरंपरा में से क्रमशः वेदमित्र एवं ___९. एक ब्राह्मणसमूह, जो दक्षिण दिशा में निवास करता था । गरुड़ ने गालव ऋषि को पृथ्वी का दर्शन कराया, देवमित्र शाकल्य का शिष्य था। वायु एवं ब्रह्मांड में इसे जिस समय इन वेदपारग लोगों का देश भी उसने उसे । | 'शैशिरेय' कहा गया है। दिखाया था (म.-उ. १०७.१८)। शिशु--(सो. वसु.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार शिवकर्ण-वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। पाठभेद | सारण राजा का पुत्र था (विष्णु. ४.१५.२१)। २. सप्तमातृकाओं के पुत्रों का सामूहिक नाम, जो 'शवकर्ण'। 'वीराष्टक' नाम से भी सुविख्यात थे। शिवशर्मन्--एक विष्णभक्त ब्राह्मण, जिसके यज्ञ | शिशु आंगिरस-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा एवं सामद्रष्टा शर्मन् एवं सोमशर्मन् नामक पुत्रों के पितृभक्ति के कारण, (ऋ. ९.११२, पं. बा. १३.३.२४)। इसके संपूर्ण कुटुंब का उद्धार हुआ (यज्ञशर्मन् एवं | शिशुक--(आंध्र. भविष्य.) आंध्रवंशीय शिप्रक सोमशर्मन् देखिये)। राजा का नामांतर । मत्स्य में इसे आंध्र वंश का सर्वप्रथम २. एक ब्राह्मण, जिसे तीर्थयात्रा के पुण्य के कारण | राजा कहा गया है (मत्स्य. २७३.२)। इसने काण्व राजा नंदिवर्धन राजा के कुल में जन्म प्राप्त हुआ ( स्कंद. ४.१. सुशर्मन् को परास्त किया था। ८-२४)। २. (किलकिला. भविष्य.) दौहित्रपुरिका नगरी का शिवशातकर्णी अथवा शिवश्री-(आंध्र. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्मांड एवं विष्णु के अनुसार, नन्दियशस् एक आंध्रवंशीय राजा, जो विष्णु एवं मत्स्य के अनुसार | राजा का पुत्र था। पुलोमत् राजा का पुत्र था ( मत्स्य. २७३.१३)। भागवत | शिशुनन्दिन--(किलकिला. भविष्य.) एक राजा, जो एवं मत्स्य में इसे क्रमशः 'मेदःशिरस्' एवं 'शिवश्री' भागवत एवं भविष्य के अनुसार भूतनंद राजा का पुत्र था। कहा गया है। इसने बीस वर्षों तक राज्य किया। शिवस्कंध-(आंध्र. भविष्य.) एक आंध्रवंशीय | शिशुनाग-(शिशु. भविष्य.) शिशुनाग वंश का सर्वराजा, जो भागवत, विष्णु एवं मत्स्य के अनुसार, क्रमशः | प्रथम राजा, जिसने मगध देश के प्रद्योतवंशीय नन्दिवर्धन ९७२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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