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________________ शांखायन प्राचीन चरित्रकोश शाट्यायनि नामावलि निम्न प्रकार है:--१. ऐतरेयः २. आदि आचार्यों का निर्देश प्राप्त है । एक सर्पसत्र का निर्देश शांखायन; ३. तैत्तिरीय. ४, माध्यंदिन; ५. बृहदारण्यक; भी वहाँ किया गया है, जो संभवतः जनमेजय के द्वारा किये ६. जैमिनीयोपनिषदारण्यक ७. छांदोग्यारण्यक। इनमें गये सर्पसत्र का होगा (सां श्री. १३.२३.८)। से 'कौषीतकि आरण्यक' में 'कौषीतक ब्राह्मण' का शांखायन गृह्मसूत्र--शांखायन का एक गृह्यसूत्र भी ही कई भाग पुनरद्रत किया गया है, जिनके पंद्रह | प्राप्त है, जिसमें पितृयज्ञ, आग्रहायणी यज्ञ आदि अध्याय हैं। | सात गृह्य यज्ञों की, एवं देवयज्ञ, भूतयज्ञ, आदि पाँच महासायण के अनुसार अरण्यों में पढ़ाये जाने के कारण | यज्ञों की जानकारी दी गयी है। इन ग्रन्थों को 'आरण्यक' नाम प्राप्त हुआ। वनवासी वान- ___ उपलब्ध गृह्यसूत्रों में 'शांखायन गृह्यसूत्र' प्रमुख माना प्रस्थियों को यज्ञयागादि कमों की दीक्षा देना इन ग्रन्थों का जाता है। उपलब्ध गृह्यसूत्रों की नामावलि निम्न प्रकार प्रमुख उद्देश्य है । जिस प्रकार गृहस्थाश्रम के यज्ञादि है:-१. शांखायन गृह्यसूत्र; २. आश्वल यन गृह्यसूत्र कर्मों का वर्णन 'ब्राह्मण' ग्रन्थों में प्राप्त है, इसी प्रकार | ३. मानव गृह्यसूत्र; ४. बौधायन गृह्यसूत्र; ५. आपस्तंत्र वानप्रस्थाश्रम के यज्ञादि विधियों का वर्णन आरण्यक ग्रंथों गृह्यसूत्रः ६. हिरण्यकेशी गृह्यसूत्र; ७. भारद्वाज गृह्यसूत्र; में प्रतिपादित किया है। उनमें कर्मकांड के साथ, धर्म की ८. पारस्कर गृह्यसूत्र, ९. द्राह्यायण गृह्यसूत्र; १०. गोभिल आध्यात्मिक व्याख्या भी दी गयी है, एवं इस प्रकार, गृह्यसूत्र; ११. खादिर गृह्यसूत्र; १२. कौशिक गृह्यसूत्र । ज्ञानमार्ग एवं कर्ममार्ग का समन्वय किया गया है। ____ आचार्य-परंपरा-ऐतरेय ब्राह्मण का रचयिता मंहिदास __ 'ऐतरेय' एवं 'कौषीतकि' दोनों ग्रंथों के आद्य ऐतरेय, शांखायन का पूर्ववर्ती आचार्य माना जाता है। भाष्यकार सायण एवं शंकराचार्य माने जाते हैं। शांकर- कई अभ्यासकों के अनुसार, ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ का कर्तृत्त्व भाष्य के सुप्रसिद्ध टीकाकारों में आनंदगिरि, आनंदतीर्थ भी महीदास ऐतरेय (ऐ ब्रा. १-६ पंचिका), एवं शास्त्रा(आनंदज्ञान), नारायणेन्द्र सरस्वती एवं कृष्णदास प्रमुख यन तथा आश्वलायन (ऐ. ब्रा. ७-८ पंचिक) में विभामाने जाते है। जित किया जाता है । इस दृष्टि से ऋग्वेदीय शाखांप्रवर्तक शांखायन (कौषीतकि) उपनिषद--यह ग्रंथ उपनिषद आचार्यों की परंपरा निम्नप्रकार बतायी जाती है:ग्रंथों में काफी प्राचीन माना जाता है। इस ग्रंथ में | महीदास ऐतरेय-शांखायन-आश्वलायन । 'कौषीतकि आरण्यक' का ही तीसरा एवं छठा अध्याय शांखायन के ग्रंथों में सुमन्तु, जैमिनि, वैशंपायन, पैल एकत्रित किया गया है। | आदि पूर्वाचार्यों का निर्देश प्राप्त है। शांखायन श्रौतसूत्र--वैदिक संहिताओं में वर्णित यज्ञ- शाट्यायनि--एक आचार्य, जो 'शाट्यायन ब्राह्मण यागादि विधियों का सार संकलित करनेवाले ग्रंथों को एवं 'शाट्यायन गृहसूत्र' आदि ग्रंथों का रचियता माना 'श्रौतसूत्र' कहा जाता है, जिनमें वेदों में प्रतिपादित चौदह जाता है । इनमें से 'शाट्यायन ब्राह्मण' आज उपलब्ध यज्ञों की जानकारी प्राप्त है। नहीं है। प्राचीन श्रौतसूत्रों में से बारह प्रमुख श्रौतसूत्र आज प्राप्त आचार्य परंपरा--एक गुरु के नाते इसका निर्देश हैं. जिनकी नामावलि निम्नप्रकार है :-१. शांखायन ब्राह्मण ग्रंथों में अनेक बार प्राप्त है (श. बा. ८.१.८.९; श्रौतसूत्र; २. आश्वलायन श्रौतसूत्र; ३. मानव श्रौतसूत्रः | १०.४.५.२; जै. उ. बा. १.६.२, ३०.१, २.२.८; ४. ४. बौधायन श्रौतसूत्र; ५. आपस्तंब श्रौतसूत्र; ६. हिरण्य-३)। जैमिनीय उपनिषद ब्राह्मण' में इसका सही नाम केशी श्रौतसूत्र; ७. कात्यायन श्रौतसूत्र, ८. लाट्यायन शंग दिया है, एवं शाट्यायन इसका पैतृक नाम बताया श्रौतसूत्रः ९. द्राहथायण श्रौतसूत्र; १० जैमिनीय श्रौतसूत्र; | गया है, जो इसे 'शाट्य ' का वंशज होने के कारण प्राप्त ११ वैतान श्रौतसूत्र; १२ वाराह श्रौतसूत्र । हुआ था। इस ग्रंथ में इसे ज्वालायन का शिष्य कहा शांखायन श्रौतसूत्र के कुल अठारह अध्याय है, एवं | गया है (जै. उ. ब्रा. ४.१६.१)। 'सामविधान ब्राह्मण उसके अनेक उद्धरण शांखायन ब्राह्मण से मिलते जुलते | में इसे बादरायण का शिष्य कहा गया है। हैं । इस ग्रंथ के सत्रहवाँ एवं अठारहवाँ अध्याय 'कौषीतकि शाट्यायन ब्राह्मण-शाट्यायन ब्राह्मण में प्राप्त अनेक आरण्यक' के पहले एवं दूसरे अध्याय से उद्धत किये | कथा सायणभाष्य में पुनरुद्धृत की गयी है। इस ग्रंथ के गये है। उस श्रौतसूत्र में शौनक, जातूकर्ण्य, पैंग्य, आरुणि अनेक उद्धरण जैमिनीय उपनिषद ब्राह्मण में भी प्राप्त हैं ९५८ आजा गया हा
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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