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________________ व्यास ऋग्वेद पैल इंद्रप्रमति, वाकल बोध्य, याज्ञवल्क्य, पराशर, माण्डुकेय सत्यश्रवस् सत्यहित सत्यश्री प्राचीन चरित्रकोश व्यास की वैदिक शिष्यपरंपरा यजुर्वेद वैशंपायन याज्ञवल्क्य -ब्रहाराति तित्तिरी माध्यंदिन, काण्व शाकल्य, वाकलि, शाकपूर्ण याज्ञवल्क्य पन्नगारि, शैशिरेय, वत्स, शतबलाक श्यामायनि, आसुरि अलम्बि सामवेद | ऋग्वेद की प्रमुख - शाखाएँ--व्यास के प्रमुख शिष्य प्रशिष्यों को 'शाखाप्रवर्तक आचार्य कहा जाता है, एवं उन्हीं के द्वारा प्रणीत संहितापरंपरा को 'शाखा' कहा जाता है । इन विभिन्न शाखाओं द्वारा पुरस्कृत वैदिक संहिता यद्यपि एक ही थी, फिर भी विभिन्न ' दृष्टि - विभ्रम' एवं ' स्वरवर्ण' ( उच्चारपद्धति) के कारण हरएक शाखा की संहिता विभिन्न बन जाती थी । पौराणिक साहित्य में ऋग्वेद के विभिन्न शाखाओं का यद्यपि निर्देश है, फिर भी इनमें से बहुत ही थोड़ी प्रा. च. ११६ ] जैमिनि सुमन्तु जैमिनि सुत्वन्- जैमिनि सुकर्मन् - जैमिनि पौपिण्ड्य लौगाक्ष, कुथुम, कुशितिन्, लांगलि राणायनीय, तण्डिपुत्र, पराशर, भागवित्ति लोमगायन, पाराशर्य, प्राचीनयोग अथर्ववेद सुमन्त कबंध पथ्य, देवादर्श पिप्पलाद जाजलि - शौनक व्यास सैन्धवायन, बभ्रु मुंजकेश आसुरायण, पतंजलि शाखाएँ व्यासशिष्य परंपरा में निर्दिष्ट आचायों के नामों से मिलती जुलती दिखाई देती हैं । पतंजलि महाभाष्यं एवं महाभारत में ऋग्वेद की इक्कीस शाखाओं का निर्देश प्राप्त है । किंतु उनकी नामावलि वहाँ अप्राप्य है ( महा. १; म. शां. ३३०.३२; कर्म. पूर्व ५२.५९ ) । 'चरणव्यूह' में ऋग्वेद की निम्नलिखित पाँच शाखाओं का निर्देश प्राप्त है: -- १. शाकल ( शैशिरीय ); २. बाष्कल, ३. आश्वलायन; ४. शांखायन; ५. मण्डूका ९२१
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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