SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 925
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वृषादर्भि भागवत मस्य एवं वायु में इसे क्रमशः 'वृषादर्भ, ' 'द' एवं 'वृषदर्भ' कहा गया है। विष्णु में इसके नाम की निक्ति वृष + दर्भ दी गयी है । महाभारत में इसके 'वृषदर्भ' (म. अनु. ३२.४ ), एवं वृषादवि ( म. शां. २२६.२५) नामान्तर प्राप्त है। भांडारकर संहिता में 'वृषादर्भ' पाठ स्वीकृत किया गया है। सप्तर्षिों से इसने सप्तर्पियों से किये संपर्क की कथा महाभारत में प्राप्त है। एक बार सप्तर्षि पृथ्वी की प्रदक्षिणा कर रहे थे, जिस समय इसने एक यज्ञ कर अपना पुत्र उन्हें दक्षिणा के रूप में प्रदान किया। आगे चल कर, अल्पायुत्व के कारण इसका पुत्र मृत हुआ, जिसे अकाल के कारण भूखे हुए सप्तर्षियों ने भक्षण करना चाहा । इसने सप्तर्षियों को इस पाशवी कृत्य से रोकना चाहा, किन्तु यों ने इसकी एक न सुनी। अपने पुत्र के मृत देह की पुनःप्राप्ति के लिए, इसने सप्तर्षियों को अनेकानेक प्रकार के दान देने का आश्वासन दिया, किन्तु कुछ फायदा न हुआ। - प्राचीन चरित्रकोश अन्त में अत्यधिक क्रुद्ध हो कर इसने सप्तर्षियों का वध करने के लिए एक कृत्या का निर्माण किया। उस कृल्या ' का सही नाम यद्यपि ' यातुधानी' था, फिर भी इसने उसे 'मरना' नाम धारण कर सप्तर्पियों पर आक्रमण करने के लिए कहा । इसकी आज्ञा से उस कृत्या ने सप्तर्षियों पर आक्रमण किया, किन्तु सप्तर्षियों के साथ रहने वाले शुनःसख (इंद्र ) ने उसका वध किया ( म. अनु. २३ ) । दानशुरता इसकी दानशूरता की विभिन्न कथाएँ महाभारत में प्राप्त है। इसने ब्राह्मणों को अनेकानेक रत्न एवं यह बान में प्रदान किये थे (म. शां. २१६.२५६ अनु. १२७.१०)। अपने पिता शिवि राजा के समान इसने भी एक कपोत पक्षी का रक्षण करने के लिए अपने शरीर के मांसखंड श्येनपक्षी को खिलाये थे (म. अनु. ३२.३९) । वृष्णि वृष्टिनेमि - अक्रूर एवं अश्विनी के पुत्रों में से एक (मत्स्य. ४५.३३ ) । वृष्टिमत्- (सो. कुरु. भविष्य. ) एक राजा, जो नागवत के अनुसार कविरथ राजा का पुत्र, एवं सुषेण राजा का पिता था। वृष्टि - - (सो. कुकुर . ) कुकुरवंशीय धृष्ट राजा का नामांतर । वायु में इसे कुकुर राजा का पुत्र कहा गया है ( देखिये) । २. सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । वृष्टिहव्य - एक आचार्य, जो उपस्तुत वाहिन्य नामक आचार्य का पिता था। वृष्ट्याद्य -- (सो. सह . ) एक हैहयवंशीय राजा, जो कार्तवीर्य एवं महारथा के पुत्रों में से एक था ( वायु. ९४. ४९ ) । वृष्णि - - ( सो. क्रोष्टु. ) कुंति राजा के पुत्र धृष्ट राजा का नामान्तर ( धृष्ट ४. देखिये) । २. (सो. क्रोष्टु. ) एक यादव राजा, जो सात्वत भजमान राजा का पुत्र था। इसे श्रेष्ठु नामान्तर भी प्राप्त था ह. वं. १.३४ ब्रह्म. १४.१९ १५.३१ ) ।.. ( कृष्ण के साथ इसका स्यमंतक मणि के संबंध में संघर्ष हुआ था, जिस समय उस मणि की चोरी कृष्ण के द्वारा किये जाने का शक • इसके मन में पैदा हुआ था । किन्तु श्रीकृष्ण ने अपने को निर्दोष साबित किया (ब्रह्मांड. ३. ७१.१ ) । यह फोटु वंश का सुविख्यात राजा था, एवं सुविख्यात वृष्णि वंश इसी से ही प्रारंभ होता है ( वायु. ९५,१४; म. आ. २११.१-२ ५५ ८ ) | परिवार - इसकी गांधारी एवं माद्री नामक दो पत्नियाँ थी, जिनमें से मात्री से इसे युजाजित आदि पाँच पुत्र उत्पन हुए ये (मास्य ४४, ४८ ) । वृष्णिवंश -- वृष्णि राजा से उत्पन्न यादवों को 'वृष्णिवंशीय यादव' कहा जाता है, जो द्वारवती (द्वारका) में रहते थे। इसी वंश में कृष्ण एवं अराम उत्पन्न हुए थे (भा. १.२.२३ ११.११) । इन लोगों का राजा कृष्ण होते हुए भी, उसका 'परमात्मन् स्वरूप' ये लोग न पहचान स (भा. १.९.१८ ) । महाभारत में इन लोगों के राजा वृषामित्र - एक ऋषि, जो पाण्डवों के वनवासकाल में का नाम उग्रसेन दिया गया है ( म. आ. २११.८ ) । उनके साथ रहता था (म.व. २७.२४ ) । इस वंश में उत्पन्न लोग ' व्रात्य ' ( हीन जाति के ) वृषु-- (सो. पुरूरवस् ) पुरूरवस्वंशीय पृथु राजा थे, ऐसा निर्देश महाभारत में प्राप्त है ( म. द्रो. ११८. का नामान्तर (पृथु. ८. देखिये) । १५ ) । प्रभास क्षेत्र में हुए यादवी युद्ध में इस वंश के लोगों का संपूर्ण संहार हुआ । महाभारत में इन लोगों का निर्देश ' अंधक' एवं 'भोज' राजाओं के साथ मिलता है ये तीनों वंश एक ही यादव वंश की उपशाखाएँ श्रीम. आ. २११.२ २१२.१४) । महाभारत में इस ९०३
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy