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________________ २३)। वृषभ प्राचीन चरित्रकोश वृषादर्भि ३. एक राजकुमार, जो कलिंग देश के राजा का भाई अर्जुन (म. द्रो. १२०.४० ); ६. द्रुपद (म. द्रो. १४०. था। यह भीम के द्वारा मारा गया (म. क. ४.१६)। १३, १४३.१९) ७. नकुल (म. क. ६२.३२ )। ४. गांधाराज सुबल का पुत्र, जो शकुनि का छोटा भाई | अंत में अर्जुन के द्वारा इसका वध हुआ (म. क. था। इसने अपने अन्य पाँच भाइयों के साथ इरावत् पर ९२.६१)। इसकी मृत्यु पौष कृष्ण त्रयोदशी के दिन हुई हमला किया था, जिसमें इसके अतिरिक्त इसके पाचों | (भारतसावित्री)। इसकी मृत्यु से अंग राजवंश समाप्त भाई मारे गये (म. भी. ८६.२४ पाठ.)। हुआ (भा. ९. २३.१४)। ५. (सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो अनमित्र राजा | भारतीय युद्ध के पश्चात् , श्रीव्यास के द्वारा आवाहन का पुत्र था। इसकी पत्नी का नाम जयन्ती था, जो | किये जाने पर, इसने उसे दर्शन दिये थे (म. आश्र. काशिराज की कन्या थी (मत्स्य. ४५.२५-२६)। ४०.१०)। ६. एक राजा, जो सृष्टि एवं छाया का पुत्र था (ब्रह्मांड. २. एक राजा, जो यमसभा में उपस्थित था (प. स. २.३६.९८)। | ८.१२)। ७. एक गोष, जो कृष्ण का मित्र था (भा. १०.१८. ३. ब्रह्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । ४. एक हैहय राजा, जो कार्तवीर्य अर्जुन के पुत्रों में से ८. रामसेना का एक वानर (वा. रा. कि. १४१)। एक था (विष्णु. ४.११.२१)। ९. एक असुर, जो कृष्ण के द्वारा मारा गया था । वृषाकपि--भगवान् विष्णु का एक नाम (म. शां.. (ब्रह्मांड. ३.३६.३७)। ३४२.८९)। १०. ब्रहासावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । २. ग्यारह रुद्रों में से एक (म. अनु. १५०.१२वृषभानु-एक राजा । एक बार यह यज्ञ के लिए। १३)। यह भूत एवं सरूपा का पुत्र था, एवं इसने देवाभमि शुद्ध कर रहा था, जिस समय इसे राधा नामक कन्या | सुर युद्ध में जम्भ से युद्ध किया था (भा. ६.६.१७)। प्राप्त हुई। अपनी कन्या मान कर, इसने उसे पालपोस ३. एक ऋषि, जो अन्य ऋषियों के साथ देवताओं के कर बड़ा किया (पद्म. ब्र. ७.) ब्रह्मवैवर्त में इसे राधा का | यज्ञ में उपस्थित हुआ था (म. अनु. ६६.२३)। । पिता कहा गया है (ब्रह्मवै. २.४९.३२-४२)। वृषाकपि ऐन्द्र-एक वैदिक मंत्रद्रष्टा (ऋ. ७.१३. वृषभेक्षण--श्रीकृष्ण का एक नामांतर (म.उ.६८.७)। २३; १०.८६.३)। इंद्र एवं इंद्राणी के साथ इसके वृषवाहन-एकादश रुद्रों में से एक। द्वारा किये गये संवाद का निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है वृषशुष्म वातावत जातुकर्ण्य--एक आचार्य, जो | (ऋ. १०.८६.५)। निकोथक भाय जात्य नामक आचार्य का शिष्य था। इसके | लो. तिलक के अनुसार, दक्षिणायन बिंदु के समीप स्थित शिष्य का नाम इन्द्रोत शौनक था ( वं. ब्रा. २: कौ, ब्रा. सूर्य को ही ऋग्वेद में 'वृषाकपि' कहा गया है । दक्षिणी ध्रव २.९)। 'वातवत् ' का वंशज होने के कारण, इसे | प्रदेश में छः महीने की अंधेरी रात शुरू होने के पूर्व, 'वातावत' पैतृकनाम प्राप्त हुआ होगा। अन्तरिक्ष में दिखाई देनेवाले सूर्य को ही वैदिक आर्यों 'उदित होम' पक्ष का यह पुरस्कर्ता था, जिस पक्ष | के द्वारा ' वृषाकपि' कहा गया होगा (लो. तिलक, आर्यों का इसने अच्छा समर्थन किया था (सां. बा. २.९; का मूलस्थान पृ. २५१)। ऐ. बा. ५.२९; तै. ब्रा. ५.२९.१)। वृषागक वातरशन--एक वैदिक मंत्रद्रष्टा (ऋ. वृषसेन--अंगराज कर्ण का पुत्र, जिसकी पत्नी का नाम | १०.१३६.४)। भद्रावती था। | वृषादर्भ--(सो. अनु.) अनुवंशीय वृषादर्भि राजा भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में शामिल था. | का नामान्तर । भागवत में इसे शिाब राजा का पुत्र कहा एवं इसकी श्रेणि 'रथी' थी (म. उ. १६४.२३)। | गया है (भा. ९.२३.३, वृषादर्भि देखिये)। इसका निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध हुआ था :- २. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । १. शतानीक आदि द्रौपदीपुत्र (म. द्रो. १५.१.१०); वृषादर्भि शैव्य-(सो. अनु.) शिबि (वृषदर्भ) २. सुषेण (म. द्रो. ५३.९-११); ३. पाण्ड्य (म. द्रो. राजा का पुत्र, जिसे महाभारत में का शि देश का राजा . २४.१८३*पाट.); ४. अभिमन्यु (म.द्रो.४३.५-७); ५. | कहा गया है (म. अनु. ९३.२७-२९, १३७. १०)। ९०२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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