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________________ विराट प्राचीन चरित्रकोश विरोचन ५. स्वायंभुव मनु का नामांतर (मत्स्य. ३.४५)। नाम निम्नप्रकार थे:--बृहस्पति, उतथ्य, पयस्य, शान्ति, विराडप-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । पाठभेद- | घोर, संवर्त, एवं सुधन्वन् (म. अनु. ८५.१३०-१३१) । 'बिडालज'। विरूपक-एक राक्षस, जो नैऋत (आलंबेय ) राक्षस विराध-वितल नामक पाताललोक में रहनेवाला गण का अधिपति था। ये सारे राक्षस शिव के उपासक एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था थे, जिस कारण स्वयं को रुद्र-गण कहलाते थे। (वायु. ५०.२८)। ___ इसकी पत्नी का नाम नीलकन्या विकचा था, जिससे २. दंडकारण्य में रहनेवाला एक राक्षस, जो जव | इसे दंष्ट्राकराल आदि भूमि-राक्षस उत्पन्न हुए (ब्रह्मांड. एवं शतदा का पुत्र था। राम ने इसका वध किया, | ३.७.१४०-१४३; १५३; वायु. ६९.१७४ )। एवं लक्ष्मण ने एक गड्ढा खोद कर इसे गाड़ दिया। । २. एक दानव, जो प्राचीनकाल में पृथ्वी का शासक पूर्वजन्म में यह तुंबुरु नामक गंधर्व था, जिसे रंभा पर | था (म. शां. २२०.५१)। अत्याचार करने के कारण, राक्षसयोनि प्राप्त हुई थी। विरूपाक्ष--एक दानव, जो कश्यप एवं दन के चौतीस (वा. रा. अर. २.१२, ४.१३-१९; म. स. परि.१.क्र. पुत्रों में से एक था। इंद्र-वृत्र युद्ध में यह वृत्र के पक्ष में २१. पंक्ति ५१९)। शामिल था (वायु. ६८.११)। आगे चल कर यह विराव-अमिताभ देवों में से एक। | चित्रवर्मा राजा के रूप में पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ था विराविन्-धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक। (म. आ.६१.२३)। विरुद्ध-ब्रह्मसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण | २. रावणपक्षीय एक राक्षस, जो माल्यवत् राक्षस (भा. ८.१३.२२)। का पुत्र था (वा. रा.उ. ५.३५)। यह रावण के सेनाविरूप-एक असुर, जो श्रीकृष्ण के द्वारा मारा गया | पतियों में से एक था, एवं सुग्रीव से इसका युद्ध हुआ था था (म. स. ९.१४)। (म. व. २६९.८; वा. रा. यु. ९.३; ९६.३४, ९९.१)। २. क्रोध के द्वारा लिया गया मानवी रूप, जिस रूप | हनुमत् ने इसका वध किया। में उसने इक्ष्वाकु राजा के साथ तत्त्वज्ञानपर संवाद किया । ३. एक राक्षस, जो घटोत्कच का सारथी था। कर्ण.. था। महाभारत में 'विरूप-इक्ष्वाकु संवाद ' विस्तृत रूप | घटोत्कच युद्ध में यह कर्ण के द्वारा मारा गया (म. द्रो.: में दिया गया है। १५०.९२)। महाभारत में अन्यत्र 'विकृत-विरूप संवाद' भी प्राप्त | | ४. एक राक्षस, जो नरकासुर का सेनापति था । 'औदका' है. जो इसने मानवरूपधारी 'काम' से किया था | के अंतर्गत लोहितगंगा नदी के पास श्रीकृष्ण ने इसका (म. शां. १९२.८८-११६)। वध किया (म.स. ३५. परि. १. क्र. २१ पंक्ति. १०१२)। ३. श्रीकृष्ण के महारथी पुत्रों में से एक (भा. १०. ५. एक राक्षस, जो महिषासुर का अमात्य था ( दे.भा. ९०.३४)। ४. (सू. नाभाग.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार ६. एक राक्षस, जो सुमालि राक्षस का अमात्य था। अंबरीष राजा का पुत्र, एवं पृषदश्व राजा का पिता था | सुग्रीव ने इसका वध किया (वा. रा. यु. ९६)। (भा. ९.६.१)। ७. रुद्र-शिव का नामान्तर (ब्रह्मांड. २.२५.६४)। विरूप आंगिरस-अंगिराकुलोत्पन्न एक मंत्रकार एवं ८. एकादश रुद्रों में से एक (मत्स्य. ५.२९)। प्रवर, जिसका निर्देश ऋग्वेद में एक वैदिक सूक्तद्रष्टा के | ९. भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार (मत्स्य. १९५. नाते किया गया है (ऋ. १.४५.३, ८.७५.६ )। ऋग्वेद- १९) । इसे अंगिरस्-कुल का मंत्रकार भी कहा गया है। अनुक्रमणी में भी एक सूक्तकार के नाते इसका निर्देश | १०. एक राक्षसराज, जो राजधर्मन् नामक बक का प्राप्त है (ऋ. ८.४३, ४४.७५))। ऋग्वेद में अन्यत्र | मित्र था ( राजधर्मन् देखिये)। भी इसका निर्देश प्राप्त है (ऋ. १.४५.३; ८.७५.६)। विरोचन-एक राक्षससम्राट् , जो प्रह्लाद के तीन महाभारत में इसे अंगिरस् ऋषि के आठ पुत्रों में से पुत्रों में से ज्येष्ठ था। सुविख्यात राक्षससम्राट् बलिएक कहा गया है, एवं इसे 'वारुण' एवं 'अग्नि' पैतृक- | वैरोचन का यह पिता था ! सप्तपातालों में से पाँचवें पाताल नाम प्रदान किये गये हैं। इसके अन्य सात भाइयों के | में इसका अधिराज्य था। दैत्यों के द्वारा किये गये पृथ्वी ८६०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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