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________________ प्राचीन चरित्रकोश विद्युदं विद्युद्दे रामसेना का एक वानर । विद्युद्रूप -- लंका का एक राक्षस । २. एक यक्ष, जो कुबेर का सेवक था । इसकी पत्नी का नाम मनिका था, जो मेनका की कन्या थी। एक बार यह कैलास पर्वत पर अपनी पत्नी के साथ मद्यपान करते हुए बैठा था, जहाँ कंक नामक गरुड वंश का एक पक्षी आया । इसका कंक से झगडा हुआ, एवं इसने खड्गप्रहार कर उसका वध किया । यह बात सुनकर, संक का भाई कंदर इससे युद्ध करने आया, एवं उसने इसका वध किया । तत्पश्चात् मदनिका ने कंदर से विवाह कर लिया ( मार्के. २.४ - २८ ) । विद्युद्वर्चस् -- एक सनातन विश्वदेव (म. अनु. ९१.१३)। विद्युन्मालिन एक राक्षस, जो तारकासुर के तीन पुत्रों में से एक था। त्रिपुरों में से छोहमयपुर का यह अधिपति था। इसके अन्य दो भाइयों के नाम ताराक्ष एवं कमलाक्ष थे। शिव के अस्त्र के द्वारा अपने सोहमयपुर के साथ यह भी दग्ध हुआ । २. एक असुर, जो तारकामय युद्ध में मयासुर के पक्ष में शामिल था। शिव के पार्षद नन्दिन् के द्वारा इसका वध हुआ (मत्स्य. १२९.५:१२६.१६ ) । ३. एक महापराक्रमी राक्षस, जो रावण का मित्र था, एवं पाताल में रहता था। रावण के वध का बदला लेने के लिए, इसने राम का अश्वमेधीय अश्व चुरा लिया । आगे चल कर शत्रु ने इसका वध कर अश्वमेधीय अव पुनः प्राप्त किया (पद्म. पा. १४) विनता पर्वत पर रहता था । कमलों में निवास करनेवाली लक्ष्मी इसकी बहन थी । मेरकन्या नियति इसकी पत्नी थी, जिससे इसे प्राण नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था ( भा. ४.१.४३ - ४४ ) । २. एक आदित्य, जो आषाढ अथवा 'सहस् ' (मार्गशीर्ष ) माह में प्रकाशित होता है ( भवि. ब्राह्म. ७८ ) । इसकी पत्नी का नाम किया था, जिससे इसे पंचचित नामक अनि पुत्ररूप में उत्पन्न हुआ था विवस्वत् देखिये) । ( पुत्रों ३. ब्रह्मन् का नामान्तर । विधान - सुख देवों में से एक । जी विधिसार - ( शिशु. भविष्य . ) एक राजा, भागवत के अनुसार क्षेत्रज्ञ राजा का, एवं ब्रह्मांड के अनुसार क्षत्रीय राजा का पुत्र था। इसे 'बिंदुसार, ' 'विंध्य सेन ' एवं ' बिंबिसार' आदि नामांतर भी प्राप्त थे । इसके पुत्र का नाम अजातशत्रु था । इसने ३८ वर्षों तक राज्य किया था | विधुम अश्वमुओं में से एक, जिसकी पत्नी का नाम अलंबुसा था (अलंबुसा देखिये) । १९.४५) । विद्योपरिचर-कृत नामक वसु का पुत्र ( वायु. ९९.२२० ) । विद्रावण एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के में से एक था (मत्स्य. ६.१८ ) । विधातृ -- ब्रह्मा का एक मानसपुत्र, जो भृगु ऋषि एवं ख्याति का पुत्र कहलाता है। इसके धातृ एवं श्री नामक दो भाई थे । अपने इन भाइयों के साथ, यह शिशुमार | ८५० विधृत---एक दुष्ट राजा, जो जीवन भर ''प्रहर ( वध करों ) शब्द का उच्चारण करता रहा। इस प्रकार 'हर' शब्द का सहजवश उच्चारण होने से, इसे मुक्ति प्राप्त हुई (पद्म. पा. ११ ) । 6 विवृति (.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार खगण राजा का पुत्र एवं हिरण्यनाभ राजा का पिता था ( मा. ९.१२.३ ) । C २. तामस मन्वंतर के वैधृति' नामक देवता समूह की माता ( भा. ८.१.२९) । ४. रावण के पक्ष का एक राक्षस, जो सुषेण वानर के द्वारा मारा गया (बा. रा. सुं. ६ यु. ४३) । विद्योत एक ऋषि जो धर्मऋषि एवं दक्षकन्या लंबा का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम स्तनयित्नु था (मा. ६.६५)। - -- ३. अभूतरजस् देवों में से एक ( ब्रह्मांड. २.३६.५५) । विनत - रामसेना का एक वानर सेनापति, जो विद्योता -- कुबेरसभा की एक अप्सरा (म. अनु. श्वेत नामक वानर का पुत्र था । इसकी सेना में साठ लक्ष वानर थे ( वा. रा.यु. २६ ) । २. वैवस्वत मनुपुत्र इल (सु) का पुत्र, जो उसके पश्चिम साम्राज्य का अधिपति बन गया ( ब्रह्मांड. ३. ६०.१८ ) । ३. एक दिग्गज, जो पुलह एवं श्वेता के पुत्रों में से एक था । विनता - प्राचेतस दक्ष प्रजापति की एक कन्या, जो अरिष्टनेमि कश्यप की भार्या थी । तार्क्ष्य ऋषि के पत्नियों I
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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