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________________ वाहीक वाहीक लोगों का राजा था। इन लोगों की उत्पत्ति के बारे में एक कल्पनारम्य एवं व्यंजनायुक्त कथा यहाँ दी गयी है। विपाशा (व्यास) नदी के किनारे 'वही' 'ही' नामक निशाचर पिशाचों का एक जोड़ा रहता था, जिसकी संतान आगे चलकर 'वाहीक' नाम से प्रसिद्ध हुई ( म. क. ३०.४४ ) । बाहुरिसिलोपन एक गोत्रकार वाह्निक-एक राजकुछ, जिसमें तीन राजा समाविष्ठ बिदुर की तरह इसने भी . १९२७२) । विकुंडल - विकंपन रावण के पक्ष का एक राक्षस, जो रामरावण युद्ध में मारा गया ( मा. ९.१०.१८ ) । २. रुद्रगणों में से एक। वाह्यक- वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । -- राजकन्याद्वय, वायका एक एकाइ जो मय के अनुसार संजय राजा की कन्याएँ, एवं यादव राजा सात्वत भजमान की पत्नियों थी। इनके पुत्रों के नाम निमि, कृमिल पण (मास्य ४४.४९-५०)। । बाह्यमयी कुन एक गोत्रकार बायनमृगुकुलोपन एक गोत्रकार पाठभेदमहाभाग । 6 विंश - (सु. दिष्ट. ) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के अनुसार झुप राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम कल्याण था ( वायु. ८६.६ ) । प्राचीन चरित्रकोश गया (बा.रा.यु. १२५ ) । ३. रुद्रमणों में से एक। विकर्ण-- धृतराष्ट्र का एक महारथि पुत्र, जो कौरव पक्ष के व्यारह महारथियों में से एक था। द्रौपदी स्वयंवर में यह उपस्थित था । यह बड़ा न्यायी था, एवं द्रौपदी वस्त्रहरण के समय, इस पापकर्म की ओर पृणा प्रकट की थी ( म. स. ६१.१२ - २४ ) । भारतीय युद्ध मैं इसका निम्नलिखित योद्धाओं के साथ युद्ध हुआ था:सुतसोम (म. भी. ४३५६ ); सहदेव (म. मी. ६७. २० ); घटोत्कच (म. भी. ८८.३२ ); नकुल ( म. द्रो. ८२.३० ) । अंत में भीमसेन ने इसका वध किया, जिस । समय, इसके लिए उसने काफी दुःख प्रकट दिया था ( म. द्रो. ११२.३० ) । विकर्तन कोढ़ से पीड़ित एक सूर्यवंशीय राजा, जो साभ्रमती नामक नदी में स्नान करने के कारण मुक्त हुआ । उस स्थान को 'राजखङ्ग' कहते है (पद्म. उ. १३५) । २. (सु. इ. ) इक्ष्वाकु राजा का पुत्र, जिसके पुत्र का नामांतर ( शशाद देखिये ) । नाम विविंश था (म. आ. ४.५ ) । विकचा विक नामक नेत राक्षस की पत्नी, दिसे भूमिराक्षस नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (ब्रह्मांड २. ७.२३२ ) । चिकुक्षिश्वाकु राजा के शशाद नामक पुत्र का विकुंज एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध में कौरवपक्ष में शामिल था (म. भी. ५२.९ ) । विकट - धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक । यह द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. १७०.२) । भीमसेन को घायल करनेवाले धृतराष्ट्र के चौदह पुत्रों में से यह एक था। अन्त में भीमसेन ने इसका वध किया (न. क्र. ३५.१४) । विकुंजन अथवा विकुंठन (सो. पूरु.) एक राजा, जो सोमवंशीय हस्तिन् राजा का पुत्र था। त्रिगर्तराज की कन्या यशोधरा इसकी माता थी । दशार्ण राजकन्या सुदेवा इसकी पत्नी थी, जिससे इसे अजमीढ़ नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ९०.३८ ) । विकंठ अथवा वैकुंठश्वत मन्वन्तर का एक देवतासमूह, जिसमें निम्नलिखित चौदह देव शामिल थे:-- २. राणपक्षीय एक राक्षस, जो अंगद के द्वारा मारा अजेय, कृश, गौर, जय, भीम, दम, ध्रुव, नाथ, यश, विद्वस्, वृष, शुचि, भेतृ, एवं दांत (ब्रह्मांड. २.३६.५७) । -- विकुंठा - एक देवी, जो रैवत मन्वन्तर में उत्पन्न ४. एक राक्षस, जिसे गंगाजल पिने के कारण मुक्ति विकुंठ नामक देवताओं की माता मानी जाती है। चाक्षुष मन्वन्तर में उत्पन्न बैकुंड नामक देवतावतार भी इसीका ही पुत्र था ( ब्रह्मांड. ३.४.३१; विष्णु. ३.१.४१ ) । इसके पति का नाम शुभ्र था। ८३९ प्राप्त हुई ( पद्म. उ. २०४ - २०५)। विकटा -- एक राक्षसी, जो अशोकवन में सीता पर पहरा देनेवाली राक्षसियों में से एक थी (वा. रा. मुं. २३.१४ ) | विकुंडल - निषेध नगर का एक पापी पुरुष, जिसे ' विकटानन - - ( सो. कुरु. ) धृतराष्ट्रपुत्र विकट का यमुना नदी में स्नान करने के कारण मुक्ती प्राप्त हुई नामान्तर । (पद्म. स्व. ३० ) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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