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प्राचीन चरित्रकोश
वज्रनाभ
२. एक राक्षस, जो निकुंभ राक्षस का भाई, एवं वज्रपुर नगरी का राजा था। कृष्णपुत्र प्रद्युम्न ने इसका वध किया, एवं नाटक का खेल ले कर वह इसके नगरी में पहुँच गया। वहाँ उसने इसकी प्रभावती नामक कन्या से बलात्कार किया। इस कारण, निकुंभ ने द्वारका नगरी पर हमला किया, जहाँ हुए युद्ध में कृष्ण ने निकुंभ का वध किया ( ह. . २.९० ) ।
२. एक दुष्ट राक्षस, जो ब्रह्मदेव के हाथ में स्थित कमल के प्रहार के द्वारा मारा गया ।
४. मथुरा नगरी का एक राजा, जो परीक्षित राजा का मित्र था। शांडिल्य ऋषि की आशा के अनुसार, उद्धव ने इसे भागवत महात्म्य सुनाया था ( स्कंद. २.६.१ - ६ ) । इसे वज्र नामान्तर भी प्राप्त था ।
५. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५८ ) । वज्रबाहु—रामसेना का एक वानर, जिसका कुंभकर्ण ने भक्षण किया (म. व. २७१.४ ) ।
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वज्रमित्र - ( शुंग. भविष्य ) एक राजा, जो भागवत एवं ब्रह्मांड के अनुसार घोष का, विष्णु के अनुसार घोषवसु फा एवं मत्स्य के अनुसार पुलिंद बाबा का पुत्र था। वायु में. इसे 'विक्रमित्र' कहा गया है ।
वज्रमुष्टि- एक राक्षस, जो मैंद वानर के द्वारा मारा गया ( वा. रा. यु. ४३.२८ ) ।
वज्रविष्कंभ -- गरुड की प्रमुख संतानों में से एक ( म. उ. ९९.१० ) ।
वज्रवेग — एक राक्षस, जो दूषण का छोटा भाई एवं कुंभकर्ण का अनुगामी था। इसके भाई का नाम प्रमाथी था। हनुमत् के द्वारा यह मारा गया (म. व. २७१.१९२४) ।
वज्रशीर्ष - भृगु प्रजापति के सात पुत्रों में से एक, जिसे निम्नलिखित छः भाई येभ्ययन, शुचि, और्य, शुक्र, वरेण्य एवं सवन (म. अनु. ८५.१२७-१२९ ) । वज्राक्ष--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र था। वज्रांग - एक दैत्य, जो कश्यप एवं दिति के पुत्रों में से एक था। एक बार इसकी माता दिति ने इसे इंद्र पर आक्रमण करने के लिए कहा। किंतु ब्रह्मा के विरोध के कारण, इस आक्रमण में यह यशस्विता प्राप्त न कर सका। फिर इसकी पत्नी यरांगी ने इससे इंद्र का पराजय करनेवाला महापराक्रमी पुत्र माँग लिया, जो तारकासुर नाम से प्रसिद्ध हुआ (मत्स्य. १४५ - १९४६ पद्म. सृ. ४२; शिव. रुद्र. पार्वती. १४ ) ।
प्रा. च. १०० ]
वज्रांगद -- पांड्य देश का एक राजा, जिसे ' अरुणाचलेश्वर' की पूजा करने के कारण सद्गति प्राप्त हुई (स्कंद १.१.२-२४) । पाठभेद - ' रत्नांगद ।
वज्रिन् -- एक सनातन विश्वेदेव (म. अनु. ९१. |१३ ) ।
वंचुलि -- विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक गोत्रकार।
यत्स
बंजुल - एक वैश्य, जिसका कालिंजर पर्वत पर स्थित वाराणसी तीर्थ में सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करने के कारण उद्धार हुआ (पद्म. भू. ९१-९२ ) ।
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वंजुलि विश्वामित्रकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
वट - स्कंद का एक पार्षद, जो अंश के द्वारा दिये गये पाँच पार्षदों में से एक था । अन्य चार पार्षदों के नाम पि, मीम, दहति एवं दहन से ( म. श. ४४.३१ ) । घटिका - व्यास की पत्नी, जिसके पुत्र का नाम शुक था ( व्यास देखिये) ।
वडवा - सूर्य की पत्नी संज्ञा का नामांतर, जो उसे अश्विनी ( वडवा ) का रूप धारण करने के कारण प्राप्त हुआ था । सूर्य ने अश्व का रूप धारण कर इससे संभोग किया, जिससे इसे अश्विनी कुमार नामक जुड़वे पुत्र उत्पन्न हुए ( भा. ६.६.४० ) ।
२. एक अग्नि, जो समुद्र के भीतर वास्तव्य करती है और्व नामक अनि जन्म लेते ही समस्त पृथ्वी को जलाने लगी । तब उसके पितरों ने आ कर उसे समझाया, एवं उसे अपनी कोचाभि को समुद्र मे डाल देने के लिए कहा पितरों के आदेश से और्य ने अपने क्रोधात्रि को समुद्र में डाल दिया ।
यहाँ आज भी अब की मुख जैसी आकृति बना कर, यह समुद्र का जल पीती रहती है (म. आ. १७१.२१२२ ) । वायु के अनुसार, यह एवं और्व अग्नि दोनों एक ही हैं (वायु, १.४७ भौर्व २. देखिये) ।
वडवा प्रातिथेयी - एक ब्रह्मवादिनी, जो ब्रह्मचर्य - व्रत से रहती थी। कई अभ्यासकों के अनुसार, लोपामुदा की बहन गभस्तिनी एवं यह दोनों एक ही हैं (गमस्तिनी देखिये ) । ब्रह्मयज्ञांगतर्पण में इसका निर्देश प्राप्त है ( आश्व. गृ. ३.३.) ।
यत्स (सो. पूरु.) एक राजा, जो सेनाजित राजा का पुत्र था ।
२. (स्वा. उत्तान . ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार चक्षु राजा का पुत्र था। इसकी माता का नाम नवला था।
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