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________________ रुमण्वत् प्राचीन चरित्रकोश रुशमा पश्चात् परशुराम ने पिता को प्रसन्न कर के इसे शापमुक्त | गया, एवं वे आत्मरक्षा के लिए शंकर के जटा से निकली कराया। हुई एक शक्ति की शरण में आये, जो नीलपर्वत पर रुमा--सुग्रीव की पत्नी, जो पनस वानर की कन्या थी | तपस्या कर रही थी। (ब्रह्मांड. ३-७.२२१)। ___ इतने में देवताओं का पीछा करता हुआ रुरु दैत्य सुग्रीव को विजनवासी बना कर उसके भाई वालि ने | भी ससैन्य वहाँ आ पहँचा । इस पर शक्ति देवी ने रुमा का हरण किया। वालिवध के पश्चात् रुमा पुनः एक | विकट हास्य किया, जिससे डाकिनी की एक सेना उत्पन्न बार सुग्रीव के पास आ गई, एवं वालि की पत्नी तारा भी हुई। उस सेना ने इसके सैन्य के सारे दैत्यों का नाश सुग्रीव की पत्नी बन गई ( वा. रा. कि. २०-२१; पद्म. | किया। देवी ने अपने पाँव के अंगूठे के नाखून से ४.११२.१६१)। वध किया । पश्चात् भगवान् शिव ने स्वयं प्रकट इससे प्रतीत होता है कि, राज्य के साथ अपने बान्धवों | हो कर, डाकिनियों को अनेक वर प्रदान करते हुए की पत्नियाँ भी अपनाने की रुढि वानरों में थी। फिर भी | कहा, 'आज से लोग तुम्हे जगन्माता मानेंगे' (पन. वाल्मीकि रामायण में वालि को भार्यापहार का दोष लगाया | सृ. ३१)। गया है। स्कंद में इसे रथंतर कल्प में उत्पन्न हुआ दैत्य कहा गया विभीषण से मिलने के लिए जाते समय राम किष्किंधा | है, एवं एक ऋषि के द्वारा उत्पन्न की गयीं कुमारिकाओं में ठहरा था। उस समय अन्य राजस्त्रियों के साथ राम से इसका वध होने की कथा वहाँ प्राप्त है (स्कंद. ७.१. के दर्शनार्थ यह उपस्थित हुई थी ( पद्म, सू. ३८)। । २४२-२४७)। रुरु-एक ऋषिकुमार, जो च्यवन ऋषि का पौत्र एवं ५. चाक्षुष मनु के पुत्रों में से एक। प्रमति ऋषि का पुत्र था। घताची नामक अप्सरा इसकी माता । ६. कश्यपकुलोत्पन्न एक ऋषि, जो सावर्णि मन्वन्तर थी (म. अनु. ३०.६४)। इसके पुत्र का नाम शनक था । | में उत्पन्न हुआ था। . इसकी पत्नी का नाम प्रमद्वरा था, जो सर्पदंश के कारण ७.(सू. इ.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार . मृत होने पर इसने अत्यधिक विलाप किया था। पश्चात् | अहीनगु राजा का पुत्र था। . अपनी आधी आयु दे कर, इसने उसे पुनः जीवित किया। रुरुक-(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो विष्णु ___ इस प्रसंग के कारण, इसके मन में सर्पजाति के प्रति एवं वायु के अनुसार विजय राजा का पुत्र था। यह विद्वेष उत्पन्न हुआ, एवं सर्प को देखते ही उसे मारने का- राजनीति एवं अर्थशास्त्र में अत्यंत प्रवीण था (ह. वं. इसने प्रारंभ किया। एक बार यह डुण्डुभ नामक साप को | १.१३.२९)। मारनेवाला ही था, कि उस सर्प ने इसे कहा, 'साँप को रुशती--एक कन्या, जिसका विवाह अश्वियों के द्वारा मारने के पहले वह विषैला है या नहीं, यह सोंच कर तुम श्याव राजा से संपन्न कराया था (ऋ. ११७.८)। रुशती उसे मारा करो'। पश्चात् डुण्डुभ ने इसे अहिंसा एवं का शब्दशः अर्थ 'श्वेतवर्णीय होता है। वर्णधर्म का उपदेश प्रदान किया। रुशदश्व-इक्ष्वाकुवंशीय वसुमनस् राजा का पिता। डुण्डुभ पूर्वजन्म में सहस्रपात नामक एक ऋषि था, रुशद्रथ-(सो. अनु.) एक राजा, जो भागवत के जिसे शाप के कारण सर्पयोनि प्राप्त हुई थी। रुरु ऋषि के | अनुसार तितिक्षु राजा का पुत्र था। मत्स्य में इसे वृषद्रथ, दर्शन से उसे भी मुक्ति प्राप्त हुई (म. आ. ८-१२; एवं विष्णु एवं वायु में उपद्रथ कहा गया हैं। दे. भा. २.९)। रुशम--एक वैदिक ज्ञातिसमूह, जो इन्द्र का आश्रित २. एक भैरव, जो अष्टभैरवों में से द्वितीय माना जाता था (ऋ. ८.३.१३, ४.२, ५१.९)। इनके राजा का नाम 'रुणंचय' था (ऋ. ५.३०.१२-१५)। अथर्ववेद में ३. एक असुर, जो हिरण्याक्ष के वंश में पैदा हुआ था। इनके राजा का नाम 'कौरम' दिया गया है (अ. वे, इसके पुत्र का नाम दुर्गमासुर था। २०.१२७.१)। ४. एक दैत्य, जो ब्रह्मा के द्वारा प्राप्त वर से अत्यंत | रुशमा---एक ब्रह्मवेत्ता आचार्य, जिसकी कथा पंचविंश उन्मत्त हुआ था। इसी उन्मत्तता के कारण, इसने ब्राह्मण में कुरुक्षेत्र का माहात्म्य कथन करने के लिए दी देवताओं पर हमला किया। इस पर सारा देवगण भाग | गई है। ७६७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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