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________________ राम प्राचीन चरित्रकोश ( १ ) असमीया -- शंकरदेव द्वारा विरचित माधव-कंदलीरामायण ( १४वीं शताब्दी ); गीतिरामायण, रामविजय, श्रीरामकीर्तन (१६ वीं शताब्दी ), गणक - चरित, कथा रामायण ( १७ वीं शताब्दी) । (२) उड़ीया -- ' उत्कलवाल्मीकि' बलरामदासकृत जगमोहनरामायण, रामविभा ( १६ वीं शताब्दी ); रघुनाथविलास, अध्यात्मरामायण ( १७ वीं शताब्दी ) । (३) उर्दू - मुन्शी जगन्नाथ कृत रामायण खुश्तर ( १९ वीं शताब्दी) । ); ( ४ ) कन्नड--पंपरामायण ( ११ वीं शताब्दी नरहरिकृत तोरवेरामायण, एवं मैरावण काला ( १६ वीं (शताब्दी) । (५) काश्मीरी -- काश्मीरी रामायण, अर्थात् रामावतारचरित । ( ६ ) गुजराती -- रामलीला ना पदों ( १४ वीं शताब्दी ); रामविवाह, रामबालचरित, सीताहरण ( १५ वीं शताब्दी ); रावणमंदोदरीसंवाद, सीता - हनुमानसंवाद, लवकुशाख्यान ( १६ वीं शताब्दी ); रण - यज्ञ, सीताविरह (१७ वीं शताब्दी ) । (७) गुरुमुखी पंजाबी -- गुरुगोविंदसिंह कृत रामावतार अर्थात् गोविंद रामायण ( १७ वीं शताब्दी ) । ( ८ ) तमिल - कंबरामायण ( १२ वीं शताब्दी ) । ( ९ ) तेलुगु -- रंगनाथकृत द्विपदरामायण, निर्व चनोत्तर रामायण, विठ्ठलराजुकृत उत्तररामायण ( १३ वीं शताब्दी ); भास्कररामायण ( १४ वीं शताब्दी ); मोल्लरामायण ( १६ वीं शताब्दी ); कट्टवरदकृत द्विपद रामायण | (१०) बंगाली - कृत्तिवासरामायण ( १५ वीं शताब्दी ); अद्भुताश्चर्य रामायण, रामायणगाथा अद्भुतरामायण, अध्यात्मरामायण ( १७ वीं शताब्दी ) । (११) मराठी - - भावार्थ रामायण (१६ वीं शताब्दी); श्रीधर द्वारा विरचित रामविजय ( १८ वीं शताब्दी ) | (१२) मलयालम - - रामचरितम् (१४ वीं शताब्दी ); कण्णश्शरामायण ( १५ वीं शताब्दी ); अध्यात्मरामायण ( १६ शताब्दी ) । (१३) सिंहली - - रामकथा ( १५ वीं शताब्दी )। ( १४ ) हिन्दी -- भरतमिलाप, रामचरितमानस ( १६ वीं शताब्दी ); रामचंद्रिका, अवधविलास, गोविंदरामायण ( १७वीं शताब्दी ) | ७४२ रायाण इनके अतिरिक्त तिब्बती, खोतानी, मलायी, श्यामी, कांबोदिया, एवं जावा की भाषाओं में भी, राम कथा -विषयक साहित्य प्राप्त है, जिसकी रचना नौवीं शताब्दी से लेकर सोलहवीं शताब्दी तक हो चुकी है। राम मार्गय श्यापर्णेय - एक आचार्य, जो श्यापर्णो के पुरोहित परिवार में से एक था ( ऐ. बा. ७.२७.३ ) । यह मृग का पुत्र था, जिस कारण इसे मार्गवेय पैतृक नाम प्राप्त हुआ था । इसका मत था कि, क्षत्रियों के द्वारा किये गये यज्ञ में, सोम के स्थानपर औदुंबर के फूलों का उपयोग चाहिए, जो मत इसने विश्वंतर राजा को कथन किया था । ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शुद्ध लोगों के लिये अलग अलग वस्तुओं का सोमरस इसके द्वारा बताया गया है, जिसके अनुसार इन चार जातियों को क्रमशः सोमवली, औदुंबर (पीपल एवं पक्ष ), दधि, एवं जल का सोम के लिये उपयोग करने को कहा गया है । यह विश्वंतर राजाओं का पुरोहित था । विश्यापर्ण नामक पुरोहितों ने विश्वंतर राजाओं के पुरोहित बनने की कोशिश की । किन्तु इसने विश्यापर्णो को दूर हटा कर अपना पौरोहित्य पुनः प्राप्त किया । रामकायन-बस्त नामक आचार्य का पैतृक नाम । रामकृष्ण -- एक व्याकरणाचार्य, जिसके द्वारा रचित षोडशश्लोकी शिक्षाग्रंथ प्राप्त है । उस ग्रंथ में वर्णोच्चार का ही केवल विचार किया गया है। स्वयं शंकर के मुख से इस शिक्षाग्रंथ का प्रणयन हुआ ऐसा निर्देश उक्त ग्रंथ के प्रारंभ में है । २. एक मुनि, जिसके तप के कारण वेंकटाचल पर 'रामकृष्णतीर्थ' का निर्माण हुआ (स्कंद. २.१.१५ ) । रामचंद्र - - ( पौर. भविष्य.) एक राजा, जो पुरंजय राजा का पुत्र था । रामट - एक म्लेंछ जाति, जिसे नकुल ने अपने पश्चिम दिग्विजय के समय जीता था युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय ये लोग उपस्थित थे । पाठभेद - ' रमठ ' । रामेश्वर ज्योतिर्लिंग - - शंकर का एक अवतार, जो रामेश्वर में प्रगट हुआ था। शिव का यह अवतार रामचंद्र के लिए लिया गया था ( शिव शत. ४२. ) । इसके उपलिंग का नाम गुप्तेश्वर था ( शिव कोटि १० ) । रामोद - भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । रायाण -- गोकुल का एक ग्वाला, जो कृष्ण की मातायशोदा का भाई था ( ब्रह्मवै २.४९.३७ - ३९ ) ।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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