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राम
प्राचीन चरित्रकोश
राम
माघ शुक्ल १४--फाल्गुन कृष्ण १-नील के द्वारा वैशाख शुक्ल ६-नंदिग्राम में राम एवं भरत की प्रहस्त का वध।
पुनर्भेट। फाल्गुन कृष्ण २-४-राम-रावण का युद्ध एवं रावण | वैशाख शुक्ल ७-राम का राज्याभिषेक । का युद्धभूमि से पलायन।
सर्वमान्य तिथियाँ-वाल्मीकि रामायण के 'तिलक फाल्गुन कृष्ण ५-८-कुंभकर्ण को जगाना । . टीका' में एवं कालिकापुराण में राम के वनवास का तिथि
फाल्गुन कृष्ण ९-१४--राम के द्वारा कुंभकर्ण से युद्ध | निर्णय कुछ अलग ढंग से प्राप्त है, जो निम्न प्रकार है:एवं वध।
चैत्र शुक्ल १०-वनवास का प्रथम दिन; भाद्रपद शुक्ल १फाल्गुन कृष्ण ३०-युद्धविराम।
युद्धारंभ; आश्विन शुक्ल १- राम-रावणयुद्ध; आश्विन फाल्गुन शुक्ल १-४-राम लक्ष्मणों वाइंद्रजित् से युद्ध ।।
शुक्ल ९-रावण वध; कार्तिक कृष्ण ६-राम का अयोध्या फाल्गुन शुक्ल ५-७-लक्ष्मण के द्वारा अतिकाय | में आगमन । उत्तर भारत में रामलीला आदि भी इन्हीं का वध।
तिथियों के अनुसार होते है। फाल्गुन शुक्ल ८-इंद्रजित् से द्वितीय युद्ध ।
चांद्रमास के अनुसार, अधिक मास छोड़ कर काल फाल्गुन शुक्ल ९-१२-कुंभ एवं निकुंभ का वध ।
गणना की जाएँ, तो यह कालगणना वाल्मीकि रामायण फाल्गुन शुक्ल १३-चैत्र कृष्ण १-मकराक्ष का वध ।
से भी बिलकुल मिलती जुलती है (वा. रा. यु. १११ चैत्र कृष्ण २--इंद्रजित् से तृतीय युद्ध, एवं लक्ष्मण
तिलक टीका; कालिका ६२.२३-३९)। की मूर्छा।
ताम्रपटों का निर्देश-जब वनवास के बाद राम चैत्र कृष्ण ३-७--युद्धविराम, एवं हनुमत् के द्वारा
अयोध्या में आया, तब इसने ताम्रपट पर अपने पराक्रम लक्ष्मण के लिए ओषधी लाना। चैत्र कृष्ण ८-१३-इंद्रजित् से चतुर्थ युद्ध एवं वध ।
| का वर्णन, एवं राज्यशासन के कुछ नियम लिखेवाये।
इसने उन ताम्रपटों की स्थापना श्रीमातास्थान, अकुलार्क, चैत्र कृष्ण १४-रावण का आसुरि यज्ञ ।
एवं धर्मस्थान आदि स्थानों में की, एवं इस समारोह के चैत्र कृष्ण ३०-रावण का युद्धभूमि में प्रवेश।
उपलक्ष्य में पचास गाँव ब्राह्मणों को दान में दिये ( स्कंद. चैत्र शुक्ल १-५--राम-रावणयुद्ध, एवं रावण का |
३.२.२४)। ' युद्धभूमि से पलायन । चैत्र शुक्ल ६-८--महापार्श्व आदि राक्षसों का वध ।
__'कालनिर्णयरामायण' ग्रन्थ---कई रामायणों में राम चैत्र शुक्ल ९--राम-रावणयुद्ध एवं रावण का युद्ध
कथा की प्रधान घटनाओं की तिथियाँ दी हैं, जिनमें निम्न भूमि से पलायन।
रामायणग्रंथ प्रमुख है:-१. अग्निवेश रामायण-श्लोक चैत्र शुक्ल १०--युद्धविराम ।
संख्या १०५, २. अब्दरामायग-(कल्याण 'रामायणांक' चैत्र शुक्ल ११-इंद्र के द्वारा राम के लिए रथ का
पृ. ३०४) ३. लोमश रामायण-जो पद्मपुराण के प्रेषण।
पातालखंड में प्राप्त है (पा. पा. ३६)। चैत्र शुक्ल १२--वैशाख कृष्ण ४-राम-रावणयुद्ध, ___ इनके अतिरिक्त व्यासकृत 'रामायणतात्पर्यदीपिका,' एवं रावण का वध।
श्रीनिवासराघवकृत 'रामायण संग्रह' एवं 'रामावतारकालवैशाख कृष्ण १५--युद्धसमाप्ति एवं रावण बा
निर्णय सूचिका' आदि ग्रन्थों में भी रामचरित्र की तिथियों अंतिम संस्कार।
का वर्णन प्राप्त हैं। वैशाख शुक्ल २-विभीषण का राज्याभिषेक। चरित्रचित्रण--एक सत्यपराक्रमी क्षत्रिय, आज्ञाधारक वैशाख शुक्ल ३--राम एवं सीता की भेंट । पुत्र एवं स्वदारनिरत पति के रूप में राम का चरित्र वैशाख शुक्ल ४--राम का विमान में बैठ कर अयोध्या | वाल्मीकि रामायण में किया गया है। तिब्बती, खोतानी, के लिए प्रस्थान।
सिंहली एवं मलय आदि विदेशी रामकथाओं में भी राम वैशाख शुक्ल ५--राम के चौदह वर्षों के वनवास की | प्रायः एक पत्नीव्रती राजा के रूप में चित्रित किया गया समाप्ति, एवं उसी दिन प्रयाग में भारद्वाज-आश्रम में | है। यह वाल्मीकीय आदर्श का ही स्वाभाविक विकास आगमन।
| प्रतीत होता है।
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