SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 759
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन चरित्रकोश राम को अपने सतीत्व का प्रमाण देने के लिए अनुरोध किये मार्गशीर्ष शुक्ल १४-रावण के द्वारा हनुमत्-बंधन, 'जाने पर, सीता ने स्वयं को निष्पाप बताते हुए पृथ्वी में एवं हनुमत् के द्वारा लंकादहन । प्रवेश किया (वा. रा. उ. ९७; सीता देखिये)। मार्गशीर्ष शुक्ल १५-हनुमत् का महेंद्रपर्वत पर देहत्याग-कुछ समय के उपरांत, कौसल्या, सुमित्रा, | पुनरागमन । कैकेयी आदि राम के माताओं का क्रमशः देहान्त हुआ| पौष कृष्ण १-५-हनुमत् का महेंद्र से किष्किंधा (वा. रा. उ. ९९) । लक्ष्मण भी सरयू नदी के तट पर | तक प्रवास । जा कर, एवं कृतांजलि हो कर सशरीर स्वर्ग चला गया | पौष कृष्ण ६-हनुमत् की वानरों से भेंट, एवं मधुवन (वा. रा. उ. १०३-१०६)। फिर लक्ष्मण के वियोग | का विध्वंस । के कारण दुःखी हो कर, राम ने भरत, शत्रुघ्न एवं सुग्रीव पौष कृष्ण ७-हनुमत् की राम से भेंट | के साथ सरयू नदी के तट पर देहत्याग किया। पश्चात् पौष कृष्ण ८--राम के द्वारा रावणवध की प्रतिज्ञा, यह विष्णु के रूप में प्रविष्ट हुआ, एवं इसके साथ आयें एवं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र तथा विजय योग पर, दक्षिण की हुए बाकी सारे लोग 'संतानक' लोग में प्रविष्ट हुयें | ओर प्रयाण । (वा. रा. उ. १९७-११०)। पौष कृष्ण ९-३०--राम का किष्किंधा से समुद्र तक रामकथा का तिथिनिर्णय-जैसे पहले ही कह गया | का प्रवास । है कि, वनवास जाते समय राम एवं सीता की पौष शुक्ल १-३-राम का समुद्र तट पर आगमन । आयु क्रमशः सताईस एवं अठारह वर्षों की थी। पौष शुक्ल ४-विभीषण का राम के पास आना। चौदह वर्षों का वनवास भुगतने के पश्चात् राम को पौष शुक्ल ५--राम के द्वारा समुद्र पार करने का राज्याभिषेक हुआ, जिस समय राम एवं सीता की | विचार । आयु क्रमशः बयालिस एवं तैतीस वर्षों की थी। रावण पौष शुक्ल ६-९--समुद्र के तुष्टयर्थ राम का प्रायोके बंदिवास में सीता कुल ग्यारह मास एवं चौदह दिनों | पवेशन । तक थी (स्कंद. ३.३.३०; पद्म. पा. ३६)। पौष शुक्ल १०-१३-सेतुबंधन। राम के वनवास के प्रथम दिन से ले कर, राज्याभिषेक | पौष शुक्ल १४-राम का सुवेल पर्वत पर आगमन । तक की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का तिथिनिर्णय उपर्युक्त पौष शुक्ल १५–माघ कृष्ण २-राम सेना का सुवेल पुराणों में निम्न प्रकार दिया गया है: | पर्वत पर आगमन। वैशाख शुक्ल --वनवास का प्रथम दिन । माघ कृष्ण ३-10-रामसेना के द्वारा लंका का वैशाख शुक्ल २-चित्रकूट की ओर गमन । अवरोध। वैशाख शुक्ल ६-चित्रकूट में भरत से भेंट । माघ कृष्ण 11--शुक एवं सारण नामक रावण के दूतों (बारह वर्ष, छः महिनों तक पंचवटी में निवास) । का राम के पास आगमन । कार्तिक कृष्ण १०--शूर्पणखा के नाक एवं कान माघ कृष्ण १२-राम की सेनागणना। काटना। माघ कृष्ण १३-३०-रावण की सेनागणना। फाल्गुन कृष्ण ८-रावण के द्वारा सीता का हरण। । माघ शुक्ल १--रावण के पास अंगद का दूत के रूप (दस महिनों के बाद) में जाना। मार्गशीर्ष शुक्ल ९-सीताशोध के लिए गये हनुमत् ___माघ शुक्ल.२-८--युद्धारंभ । की संपाति से भेंट। माघ शुक्ल ९--इंद्रजित् के द्वारा रामलक्ष्मण का मार्गशीर्ष शुक्ल ११-महेंद्रपर्वत पर से हनुमत का | नागपाश में बंधन। लंका के लिए उड़ान। __ माघ शुक्ल १०-गरुडमंत्र की सहाय्यता से हनुमत् । मार्गशीर्ष शुक्ल १२-अशोकवन में हनुमत् एवं | के द्वारा राम-लक्ष्मण की मुक्ति। सीता की भेंट। __माघ शुक्ल ११-१२-हनुमत् के द्वारा धूम्राक्ष का मार्गशीर्ष शुक्ल १३-हनुमत् के द्वारा अक्ष आदि | वध । राक्षसों का वध, एवं अशोकवन का विध्वंस । माघ शुक्ल १३--हनुमत् के द्वारा अकंपन का वध । प्रा. च. ९३] ७३७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy