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________________ प्राचीन चरित्रकोश राम से मोक्ष की प्राप्ति होना असंभव है । इसी कारण इन दोनों | किये गये मलद एवं करुषक देशों को पुनः आबाद बनाया का समन्वय कर के ही, ज्ञानी लोग मोक्ष की प्राप्ति कर | (वा. रा. बा. २४)। लेते हैं। | मारीच एवं सुबाहु से युद्ध-ताटकावध के पश्चात् विश्वामित्रसहवास-राम युवावस्था में प्रविष्ट होने पर, विश्वामित्र रामलक्ष्मणों को साथ ले कर सिद्धाश्रम में गये, एक बार विश्वामित्र महर्षि दशरथ राजा से मिलने आयें। | जहाँ उनका यज्ञसमारोह चल रहा था । वहाँ पहुँचने पर उन्होंने कहा, 'मैंने दण्डकारण्य में आजकल एक यज्ञ विश्वामित्र ने इससे कहा, 'यह वहीं स्थान है, जहाँ बलि का प्रारंभ किया है, जिसमें मारीच एवं सुबाहु नामक | वैरोचन के वध के लिए भगवान् विष्णु ने वामनावतार 'राक्षसों की दुष्टता के कारण, काफी रुकावटें पैदा हो रही | धारण किया था। इस स्थान पर मेरा आश्रम बसा हुआ है। ये दोनो राक्षस यज्ञस्थल में आ कर सड़ा हुआ रत्त । है, एवं यहाँ मैंने यज्ञ समारोह भी प्रारंभ किया है। किन्तु एवं माँस की वर्षा करते हैं, एवं यज्ञ में बाधा उत्पन्न करते | मारीच एवं सुबाहु राक्षसों के कारण, यज्ञकार्य आज हैं। उन राक्षसों का वध तुम्हारे नवयुवा पुत्र राम एवं असम्भव हो रहा है। इस कारण मेरी यही इच्छा है कि, लक्ष्मण ही केवल कर सकते हैं। उन्हें मेरी सहाय्यता के तुम उनसे युद्ध कर उन्हें परास्त करो। लिए दण्डकारण्य में भेजने की आप कृपा करे। विश्वामित्र की आज्ञा के अनुसार, राम एवं लक्ष्मण ने वसिष्ठ की सूचना के अनुसार, दशरथ राजा ने विश्वामित्र छः दिन अहोरात्र यज्ञमंडप में कड़ा पहारा किया । छठे की यह प्रार्थना मान्य कर दी, एवं राम लक्ष्मण को विश्वामित्र | दिन प्रातःकाल के समय, मारीच एवं सुबाहु ने यज्ञभूमि के साथ जाने की आज्ञा दी | कमर को विजयशाली तलवार पर आक्रमण किया। राम ने मानवास्त्र का प्रयोग कर, एवं कंधे पर धनुष्य एवं बाण लगाये हुए राम एवं लक्ष्मण | मारीच को शतयोजन की दूरी पर समुद्र में फेंक दिया, एवं विश्वामित्र के साथ दण्डकारण्य की ओर चल पड़े। 'अग्नि अस्त्र' से सुबाहु का वध किया। दण्डकारण्य जाते समय इन्होंने सर्व प्रथम सरयू नदी अहल्योद्धार--इस प्रकार विश्वामित्र का कार्य समाप्त पार की। उसी नदी के तट पर विश्वामित्र ने रामलक्ष्मण को | कर, राम एवं लक्ष्मण ने अयोध्या नगरी के लिए पुनः 'बल' एवं 'अतिबल' नामक मंत्रों का ज्ञान कराया, प्रस्थान किया। मार्ग में विश्वामित्र ने इन्हें गंगा नदी को जिनके कारण भूख एवं प्यास को सहन करने की ताकद | कथा सुनाई । कान्यकुब्ज देश, शोण नदी, भागीरथी नदी, इन्होंमें उत्पन्न हुई। तत्पश्चात् अंगदेश में स्थित कामाश्रम | विशाला नगरी आदि तीर्थस्थानों का दर्शन लेते हुए ये में ये पहुँचे, जहाँ विश्वामित्र ने इन्हें मदनदाह की कथा | मिथिला नगरी के समीप ही स्थित गौतमाश्रम में आ सुनाई (वा. रा. बा. ३२-४८)। | पहुँचे। वहाँ विश्वामित्र ने राम को अहल्या की कथा - ताटकावध--तदोपरान्त गंगा नदी पार कर ये दण्ड सुनाई, एवं तत्पश्चात् राम ने अपने पदस्पर्श से उस कारण्य में आ पहुँचे, जहाँ विश्वामित्र ने इन्हें दण्डकारण्य शापित स्त्री का उद्धार किया (वा. रा. बा. २७)। का पूर्व इतिहास बताया, एवं कहा, 'आज जहाँ तुम घना कई अभ्यासकों के अनुसार, राम के द्वारा किये गये जंगल देख रहे हो, वहाँ पूर्वकाल में अगस्त्य ऋषि का | ताटकावध एवं अहिल्योद्धार, ये दोनो कथाएँ रूपकात्मक संपन्न देश था । सुंद राक्षस की पत्नी ताटका एवं उसका पुत्र | हैं । दण्डकारण्य प्रदेश प्राचीन काल में गंगा नदी तक मारीच के कारण, यहाँ की सारी वस्ती आज उजड़ गयी | फैला हुआ था। उसे राक्षसों की पीड़ा से मुक्त कर वहाँ है। ताटका में बीस हाथियों का बल है, जिसकारण उसे की बंजर भूमि को राम ने पुनः सुजला एवं सुफला बना समस्त पौरजन डरते है। ऋषिमुनियों को पीड़ा देनेवाली | दिया, यही इन दोनो कथाओं का वास्तव अर्थ प्रतीत होता उस राक्षसी का वध करने के लिए ही मैं आज तुम्हें | है ( अहल्या देखिये)। यहाँ लाया हूँ। | सीतास्वयंवर-पश्चात् विश्वामित्र की सूचना के ताटका स्त्री होने के कारण, उसके हाथ एवं पैर ही अनुसार, ईशान्य की ओर मुड़ कर राम एवं लक्ष्मण तोड़ कर उसे हतबल बनाने का पहले इसका विचार था। सीरध्वज जनक राजा की मिथिला नगरी में सीतास्वयंवर किन्तु ताटका के द्वारा आकाश में से पत्थरों का मारा के लिए पधारे । वहाँ राम ने जनक राजा के द्वारा लगायी किये जाने पर, इसने अपना एक बाण छोड़ कर उस महाकाय | गयी सीतास्वयंवर की शर्त के अनुसार, शिवधनुष एवं विरूप राक्षसी का वध किया, एवं उसके द्वारा विजन को लीलया उठा कर उसे बाण लगाया, जिस समय शिव ७२७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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