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________________ यास्क प्राचीन चरित्रकोश युधाजित पूर्वाचार्य--यास्क ने अपने 'निरुक्त' में इस विषय युगप--एक देवगंधर्व, जो अर्जुन के जन्मोत्सव में के बारह निम्नलिखित पूर्वाचार्यों का निर्देश किया है:- उपस्थित था (म. आ. ११४.४५ )। औदुम्बरायण, औपमन्यव, वार्ष्यायणि, गार्ग्य, आग्रहा- युगादिदेव--एक राजा, जिसका गया नदी में स्नान यण, शाकपूणि, और्णवाभ, तैटीकि, गालव, स्थौलाष्ठीवि, | करने के कारण उद्धार हुआ ( स्कंद. ५.१.५७)। क्रौष्टु एवं कात्थक्य । | युद्धतुष्ट--(सो. कुकुर.) एक राजा, जो वायु के भाषाशास्रज्ञ--एक प्राचीन भाषाशास्त्रज्ञ के नाते, | अनुसार उग्रसेन राजा का पुत्र था। वायु तथा विष्णु में योस्क भाषाशास्त्रीय विचारप्रणालियों का आद्य आचार्य | इसे 'युद्धमुष्टि', एवं भागवत में इसे ' सृष्टि' कहा माना जाता है । इसका मत था, कि जो शब्द भाषा के | गया है। प्रचलित (लौकिक ) शब्दों के समान रहते है. वे ही युद्धमुष्टि--युद्धतुष्ट नामक यादव राजा का नामान्तर । अर्थवान बनते है ( अर्थवन्तः शब्दसाम्यात् । (नि. १. युद्धोन्मत्त--रावण के पक्ष का एक राक्षस ( वा. रा. अपने ग्रंथ में बैदिक मंत्रों का अशद्ध उच्चारण करने- युधांश्रौष्टि औग्रसैन्य--एक राजा, जिसे पर्वत एवं वाले व्यक्तियों की यास्क ने कट आलोचना की है। इराने | नारद ऋषि ने ऐन्द्र ' महाभिषेक' किया था (ऐ. ब्रा. कहा है, स्वर एवं वर्ण से भ्रष्ट हये मंत्र इंद्रशत्र की भाँति ८. २१.७)। पौराणिक वाङ्मय में निर्दिष्ट 'युद्धमुष्टि' वागवज्र हो कर यजमान को विनष्ट कर देते है। अथवा 'युद्धतुष्ट' राजा यही है (युद्धतुष्ट देखिये )। वैदिक मंत्रों का प्रथम दर्शन करनेवाले प्रतिभावान व्यक्ति | उग्रसेन राजा का पुत्र होने से इसे 'औग्रसैन्य ' पैतक को इसने मंत्रद्रष्टा अथवा ऋषि कहा है (ऋषिदर्शनात् , नाम प्राप्त हुआ होगा। ऋषयः मंत्रद्रष्टारः) (नि. २.११)। युधाजित्--केकय देश के अश्वपति राजा का पुत्र, युक्त--रैवत मनु के पुत्रों में से एक। जो दशरथ की पत्नी कैकेयी का भाई था । एक समय २. स्वायंभुव मन्वन्तर के अजित देवों में से एक । अपने भतिजे भरत एवं शत्रुघ्न को केकय देश को ले गया - ३. भौत्य मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक। था, जो अवसर देख कर दशरथ ने राम को यौवराज्यायुक्ताश्व आंगिरस--एक सामद्रष्टा ऋषि (पं. बा.| भिषेक किया (वा. रा. बा. ७७; दशरथ देखिये)। १२.८.८) अपनी पर्वायष्य में यह वेदवेत्ता ऋषि था। २. अवन्ति देश का एक राजा, जो इक्ष्वाकुवंशीय किन्तु एक बार इसने दो नवजात शिशुओं का हरण कर सुदर्शन राजा के लीलावती नामक पत्नी का पिता था। उनका वध किया। इस पाप के कारण, इसका वेदों का | अपने जामात सुदर्शन से इसका शत्रुत्व था, जिस कारण सारा ज्ञान नष्ट हुआ। इसने उसे राजगद्दी से निकाल कर उसके भाई शत्रुजित् वेदों के पुनःप्राप्ति के लिए इसने कठोर तपस्या की, को अयोध्या का राज्य प्रदान किया था (सुदर्शन ९. जिस कारण इसके प्रतिभा जागृत हो कर इसने एक साम | देखिये)। की रचना की। आगे चल कर इसे पुनः वेदज्ञान प्राप्त ___ ३. (सो. क्रोष्ट.) एक यादव राजा, जो क्रोष्टु एवं हुआ। माद्री का पुत्र था (ब्रह्म. १४, ह. वं. १.३८.११)। युगदत्त -(सो. पूरु.) एक राजा, जो मत्स्य के अन्य पुराणों में इसे वृष्णि का पुत्र कहा गया है (पद्म. अनुसार ब्रह्मदत्त का, एवं वायु के अनुसार योग राजा का | सृ. १३; वायु..९६; मत्स्य. ४५; विष्णु. ४.१३; भा. पुत्र था (मत्स्य. ४९.५८; वायु. ९९.१८०)। ९. २४)। इसे शिनि एवं अनमित्र नामक दो पुत्र थे। युगंधर--(सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो इसीके वंश में उपन्न हुये श्वफल्क एवं चित्ररथ नामक भागवत के अनुसार कुणि राजा का, मत्स्य के अनुसार धुम्नि | राजाओं ने स्वतंत्र राजवंश की स्थापना की थी (भा. ९. का, एवं वायु के अनुसार भूति राजा का पुत्र था। २४, यदु. ३. देखिये)। २. (सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो सात्यकि । ४. भृगुकुलोत्पन्न एक मंत्रकार । राजा का पुत्र था। भारतीय युद्ध में यह कौरवों के पक्ष में युधाजित-(सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो शामिल था। द्रोण से युद्ध करते समय, द्रोण के द्वारा अनमित्र एवं पृथ्वी का पुत्र था (मत्स्य. ४५.२५, पद्म इसका वध हुआ (म. द्रो. १५.३१; साल्व देखिये)। सू. १३)। ६९५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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