SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 692
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यक्ष प्राचीन चरित्रकोश नाकवाला, एवं बड़े मुँहवाला कहा गया है (ब्रह्मांड. ३.७. ४२) । - परिवार इसकी पत्नी का नाम बंधना था, जो शंड नामक असुर की पत्नी थी ( ब्रह्मांड. ३. ७.८६ ) | अपनी इस पत्नी से इसे ' यातुधान' सामूहिक नाम धारण करनेवाले राक्षत्र पुत्ररूप में उत्पन्न हुयें ( यातुधान देखिये) । 3 एक बार इसने वसुरुचि नामक गंधर्व का रूप ले कर, ऋतुस्थय अप्सरा से संभोग किया, जिससे इसे रक्त नाम नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (ब्रह्मांड. २.७.१ - १२) | पुत्रजन्म के पश्चात् इसने तुला को अप्सरागणों में लौटा दिया। ४. एक व्यास (व्यास देखिये ) | यक्षिणी - एक देवी, जिसके प्रसादरूप नैवेद्य के भक्षण से ब्रह्महत्या के पातक से मुक्ति प्राप्त होती है । यक्षु-एक राजा, जो दाशराज युद्ध में सुदास राजा विपक्ष में था ( ७१८.६) संभवतः यह 'यदु' राजा का ही नामान्तर होगा । २. एक लोकसमूह, जिन्होंने दाशराज्ञ युद्ध में भेद के नेतृत्व में सुदास राजा के विपक्ष में हिस्सा लिया था (ऋ. ७. १८.१९) । एवं शिशु लोगों के साथ, इन्होंने परुष्णी एवं यमुना नदी के तट पर हुये संग्रामों में भाग लिया था। इंद्र के द्वारा भेद का वध होने पर, ये लोग भेंट ले कर इंद्र की शरण में गये । ऋग्वेद में प्राप्त निर्देशों से ये लोग अनार्य जाति के प्रतीत होते हैं। अज एवं शिग्रु लोगों के साथ, ये संभवतः पूर्व भारत में निवास करते होंगे। यक्षेश्वर - एक शिवावतार जो देवों के गर्वहरण के लिए अवतीर्ण हुआ था । समुद्रमंथन के बाद देवताओं को अमृत प्राप्त हुआ, जिस कारण वे अत्यधिक गर्वोद्धत हुये उस समय उनका गर्वहरण करने के लिए, शिव ने यक्षेश्वर नाम से अवतार लिया । इसने देवताओं की परीक्षा लेने के लिए, उनके सामने घाँस का एक तिनका रख दिया, एवं उसे हिलाने को कहा । देवतागण उस कार्य में असफल होने पर, उन्हे अपने वास्तव सामर्थ्य का ज्ञान हुआ ( शिक. शत. २६)। इसी प्रकार की कथा 'केन उपनिषद' में भी प्राप्त है। यक्ष्मनाशन प्राजापत्य - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०.१.६१ ) । यंकणारेण नामक ब्राह्मण की स्त्री । यज्ञदत्त यजत - एक यशकर्ता, जिसका अन्य ऋषियों के साथ निर्देश प्राप्त है ( ऋ. ५.४४.१० - ११ ) । ऋग्वेद मं अन्यत्र निर्दिष्ट ' यजत आत्रेय ' नामक वैदिक सूक्तद्वारा, एवं यह दोनो एक ही होंगे (ऋ. ५.६७-६८) । यजत आत्रेय एक वैदिक मुक्तद्रश (यज देखिये) । यजु -- (सो. ऋक्ष. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार उपरिचर व राज का पुत्र था। यजुदाय -- (सो. वसु ) एक राजा, जो वायु के अनुसार वमुदेव एवं देवकी का पुत्र था। -- यज्ञ विष्णु का सातवाँ अवतार जो स्वायंभुव मन्वन्तर में रुचि नामक ऋषि एवं आकृति के पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ था। इसकी पत्नी का नाम दक्षिणा था, जिससे इसे तृषित नामक बारह देव पुत्ररूप में उत्पन्न हुयें। इसे ' सुयज्ञ ' नामान्तर भी प्राप्त था ( भा. २. ७.२)। f स्वायंभुव मनु राजा ने पुत्रिकापुत्रधर्म से इसका स्वीकार कर इसे अपना पुत्र मान लिया था, एवं इसे अपने मन्वन्तर का इंद्र बनाया था ( भा. १.३.१२९४.१. ८८.१.१८; विष्णु. ३.१.३६ ) । सुश्रुत संहिता के अनुसार, प्राचीन काल में रुद्र के द्वारा इसका शिरच्छेद किया गया था उस समय, अश्विनीकुमारों ने इन्द्र की सहाय्यता से, इसके सर पर शल्य कर्म किया, एवं इसका सिर पूर्ववत् किया (सु. सं. १.१४ ) । २. (आंध्र. भविष्य . ) एक राजा, जो ब्रह्मांड के अनुसार गौतमी का पुत्र था । यज्ञ प्राजापत्य - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. १३० ) । यज्ञकृत् - (सो. क्षत्र. ) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार विजय का राजा पुत्र था । यज्ञकोप - रावण के पक्ष का एक राक्षस, जो राम के द्वारा मारा गया ( वा. रा. सु. ९.४३ ) । यज्ञदत्त कांपिल्य नगर का एक अग्रिहोत्री ब्राह्मण, जिसके पुत्र का नाम गुणनिधि था (शिव. स्व. १८) । २. भगदत्त राजा के पुत्र ' वज्रदत्त' का नामांतर (पद देखिये) । (वज्रदत्त २. वसोत्पन्न एक ब्राह्मण, जो यज्ञकर्म में निपुण था। यह यामुन पर्वत की तलहटी में निवास करता था (पद्म. पा. ९६ ) । ६७०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy