SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 687
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मैत्रेय प्राचीन चरित्रकोश मैत्रेय सोम - मैत्रेय कौशारव-एक सुविख्यात आचार्य एवं कराया। विद्या, ज्ञान, एवं तप का ज्ञान करानेवाला यह तत्वज्ञानी । ऐतरेय ब्राह्मण में इसे 'कौशारव' नामक | 'व्यास-भैत्रेय संवाद' महाभारत में प्राप्त है (म. अनु. आचार्य का पैतृक अथवा मातृक नाम बताया गया है, | १२०-१२२) एवं इसके द्वारा सुत्वन् कैरिशय राजा को 'ब्राह्मण विदुर-मैत्रेय-संवाद-श्रीकृष्ण ने जिस समय उद्धव परिमर' विद्या प्रदान की जाने की कथा दी गयी है (ऐ. | को उपदेश दिया था, उस समय मैत्रेय भी वहाँ उपस्थित ब्रा. ८.२८.१८)। | था। श्रीकृष्ण की इच्छा थी कि, इस उपदेश के समय नाम--पाणिनि के अनुसार, यह मित्रेयु नामक आचार्य तत्वज्ञानी विदुर भी उपस्थित होता तो अच्छा था। किंतु का पुत्र था, जिस कारण इसे 'मैत्रेय' पैतृक नाम प्राप्त विदुर उन दिनों तीर्थयात्रा के लिए बाहर गया था। ''हुआ (पा. सू. ६.४.१७४; ७.३.२) छांदोग्य उपनिषद तीर्थयात्रा के उपरांत विदुर ने कृष्ण के उस उपदेश को के अनुसार, यह किसी मित्रा नामक स्त्री का पुत्र था, जिस सुनना चाहा, जिसे उसने उद्धव को दिया था। किन्तु कारण इसे 'मैत्रेय' यह मातृक नाम प्राप्त हुआ था विदुर के लौटने तक कृष्ण का निर्वाण हो चुका था। (छां. उ. १.१२.१)। . उस उपदेश को सुनने तथा जानने की इच्छा से, भागवत में इसे कषाव एवं मित्रा का पुत्र कहा गया | विदुर ऊद्धव के पास गया, लेकिन उद्धव ने उसे मैत्रेय हैं, जिस कारण इसे 'कोषारव' अथवा 'कौषारवि' के पास भेज कर कहा, 'मैत्रेय परम ज्ञानी है । कृष्ण की पैतृक उपाधि प्राप्त हुयी होगी (भा. ३.४.२६, ३६, ५. वाणी का कथन वही कर सकता है। तब विदुर मैत्रेय के पास आया। मैत्रेय ने विदुर को कृष्ण का उपदेश युधिष्ठिर की मयसभा में भी यह उपस्थित था | सुनाया। इस उपदेश के अन्तर्गत 'कर्दमदेवहुति(म. स. ४.८)। संवाद, ' 'ध्रुवचरित्र' तथा 'दक्षयज्ञ' आदि की कथाओं दुर्योधन को शाप-जिस समय पांडव वनवास में थे, | कावा का वर्णन तत्त्वज्ञान के दृष्टि से किया गया था। उस समय व्यास के आदेशानुसार, यह धृतराष्ट्र एवं | मैत्रेय के द्वारा कृष्ण का यह उपदेश जो विदुर से दुर्योधन के पास उन्हें पाण्डवों के बल-पौरुष का ज्ञान कहा गया, वह भागवत के तृतीय तथा चतुर्थ स्कंदों में कराने के लिए गया था। इसने दुर्योधन को बार प्राप्त है, जिसे 'विदुर-मैत्रेय संवाद' कहा गया है। बार समझाया, एवं अनुरोध किया, 'तुम पाण्डवों से अध्यात्म के क्षेत्र में यह अपने किस्म का अनूठा द्रोह मत करो। किन्तु दुर्योधन ने हँसते हए इसकी | संवाद है। खिल्ली उड़ाई, एवं जाँघ ठोकते हुए इसके द्वारा दिये गये कृष्ण के द्वारा उद्धव को दिया गया संवाद भागवत • उपदेश का अनादर किया। तब इसने क्रोधावेश में के एकादश स्कंद में प्राप्त है। महाभारत में जिस प्रकार दुर्योधन को शाप दिया, 'तुम्हारी यह जंघा भीम की गदा | गीता एवं अनुगीता है, उसी प्रकार भागवत में 'उद्धवके द्वारा भग्न होगी। यदि अब भी तुम पाण्डवों से मित्रता | कृष्ण संवाद' एवं 'विदुर मैत्रेयसंवाद' भी महत्त्वपूर्ण माने स्थापित करने को तैयार हो, तो मेरी यह शापवाणी व्यर्थ | जाते हैं। हो सकती है, अन्यथा नहीं' (म. व. ११.३२)। | भीष्म के देहत्याग के समय, तमाम ऋषियों के साथ ___ व्यास-मैत्रेय संवाद--मैत्रेय धार्मिय प्रवृत्ति का ऋषि | यह भी वहाँ उपस्थित था (म. शां. ४७.६५)। यह था, एवं ऋषि मुनियों के सत्संग के कारण, यह ज्ञानी, दानी व्यास की भाँति चिरंजीव माना जाता है। लोगों का ऐसा एवं वेदमार्ग का अनुसरण करनेवाला हुआ था। यह विश्वास है कि, आज भी यह अपने भक्तों को दर्शन एकान्त में रहना विशेष पसंद करता था। एक बार वाराणसी | देता है। में यह गुप्तरूप से एग स्वैरिणी के घर में रहता था। मैत्रेय सोम--(सो. नील.) उत्तर पंचाल देश का यकायक श्री व्यास ने वहाँ आ कर इसे दर्शन दिया। सुविख्यात ब्रह्मक्षत्रिय राजा, जो 'मैत्रेय ब्राह्मणशाखा' का मैत्रेय व्यास को देख कर अति प्रसन्न हुआ, एवं इसने उत्पादक माना जाता है। अपने पितामह दिवोदास, एवं उसकी विधिवत् पूजा की । पश्चात् इसने व्यास से विज्ञान, | पिता मित्रेयु के समान, यह भी भृगुवंशीयों में संमिलित हो ज्ञान एवं तप के संबंध नानाविध प्रश्न किये, एवं व्यास ने गया था, जिस कारण इसे 'मैत्रेय भार्गव' भी कहा जाता उन प्रश्नों के यथोचित जवाब दे कर इसे आत्मज्ञान | है (मत्स्य. ५०.१३; वायु.९९. २०६; ब्रह्म. १३; ह. वं. प्रा. च. ८४]
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy