SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 678
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन चरित्रकोश मुद्गल ३. कौरव दल का एक मुंडदेशीय योद्धा (म. भी. | है । षड्गुरुशिष्य के अनुसार, एक समय चोरों ने इसकी ५२.९ पाठ.)। सारी गायें एवं बैल चुरा लिए, केवल एक बूढा बैल मुंडवेदांग--धृतराष्ट्रकुलोत्पन्न एक नाग, जो जन- | बच गया। पश्चात् उसे ही केवल गाड़ी को जोत कर मेजय के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२. | इसने चोरों का पीछा किया, एवं एक लकड़ी का 'मुगल' १५)। (द्रुघण) को फेंक कर, भागनेवाले चोरों को पकड़ लिया मुंडी-कंद की अनुचरी एक मातृका (म.श. ४५. | (ऋग्वेद सर्वानुक्रमणी पृष्ठ १५८)। यास्क के अनुसार, १७)। इसके नाम के लिए 'मंडोदरी' पाठभेद प्राप्त है। इसने दो बैलों की अपेक्षा बैल एवं द्रुघण गाडी को जोत मंडिभ औदन्य (औदन्यव)-एक आचार्य (श. बा. कर, चोरों का पीछा किया था (नि. ९.२३-२४)। १३.३.५.४ )। उदन्य का पुत्र अथवा वंशज होने से इसे | पिशेल के अनुसार, रथ की एक दौड़ में अपनी पत्नी 'औरन्य' पैतृक नाम प्राप्त हुआ था (ते. ब्रा. ३.९.१५. की सहायता से मुद्गल विजयी हुआ था, जिसका निर्देश ३)। सेंट पीटर्सबर्ग कोश के अनुसार, ओदन का पुत्र | ऋग्वेद के इस सूक्त किया गया है (वेदिशे स्टूडियेन १. होने से इसे यह नाम प्राप्त हुआ था। १२४)। अश्वमेध यज्ञ के समय, यज्ञकर्ता पुरुष के हाथों भ्रूण- २.( सो. अज.) एक राजा, जो भाश्व या भद्राश्व हत्त्या आदि के जो पातक होते है, उनसे मुक्तता मिलने | राजा का पुत्र था। यह एवं इसके वंशज पहले क्षत्रिय के लिए इसने प्रायश्चित्तविधि बताया है, जो अवभृत थे, किन्तु बाद को ब्राह्मण बन गये थे। इसका वंश इसी स्नान के पहले किया जाता है। के नाम से 'मुद्गल वंश' कहलाया जाता है, एवं इसके . ' मुद--एक ऋषि, जो स्वायंभुव मन्वन्तर के धर्म ऋषि | वंश में उत्पन्न क्षत्रिय ब्राह्मण 'मुद्गल' अथवा 'मौद्गल' का पुत्र था। इसकी माता का नाम तुष्टि था। ब्राह्मण कहलाते है (भा. ९.२१; वायु. ९९.१९८; . मुदावती-विदूरथ राजा की कन्या, जिसका हरण | ब्रह्मवैः ३.४३.९७; मत्स्य. ५०.३-६; ह. वं. १.३२.. कुजंभ नामक राक्षस ने किया था । भलंदन राजा के | ६८; मैत्रेय सोम देखिये)। पत्र वत्सप्रिने कजंभ का वध किया, एवं इसे छुड़ा कर | ३. एक आचार्य, जिसका निर्देश वैदिक ग्रंथों में प्राप्त इससे विवाह किया। इसे 'सुनंदा' नामान्तर भी प्राप्त | है (अ. वे. ४.२९,६; आश्व. श्री. १२.१२; बृहहे. ६: था (मार्क. ११३.६४)। ४६)। इसी के वंश में निम्नलिखित आचार्य उत्पन्न मुदावर्त--हैहयवंश का एक कुलांगार राजा (म. उ. हुये, जो 'मौद्गल्य' कहलाते है :-नाक, शतबलाक्ष, एवं ७२.१३)। लांगलायन। मुदित--राम की सेना का एक वानर । ४. वेदविद्या में पारंगत एक आचार्य, जो जनमेजय के मदिता-सह नामक अग्नि की भार्या (म. व. २१२. | सर्पसत्र में सदस्य था। इसे 'मौद्गल्य' नामांतर भी प्राप्त था १)। | (म. व. २४६.२७)। मदर--तक्षककुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के | यह कुरुक्षेत्र में शिलोञ्छवृत्ति से जीवन-निर्वाह करता सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२.९)। था। एक समय दुर्वास ऋषि इसके आश्रम में आये, एवं मुद्रपर्णक--एक कश्यपवंशीय नाग, जिसका विवाह | उसने इसकी सत्वपरीक्षा लेनी चाही । किन्तु यह अपने मातलि की कन्या गुणकेशी के साथ करने का प्रस्ताव | सत्व से अटल रहा, जिस कारण प्रसन्न हो कर, दुर्वास ने नारद ने किया था (म. उ. १०१.१३)। इसे स्वर्गप्राप्ति का आशीर्वचन दिया। किन्तु स्वर्ग अशामुद्रपिंडक-एक नाग, जो कश्यप एवं कद्रू का पुत्र | श्वत होने के कारण, इसने स्वर्ग में जाने से इन्कार कर था। दिया (म. व. २४६-२४७)। मुद्गल-एक वैदिक राजा, जिसकी पत्नी का नाम शतद्युम्न नामक राजा ने इसे एक सुवर्णमय भवन मुद्गलानी था (ऋ. १०.१०२)। ऋग्वेद में अन्यत्र इसकी प्रदान किया था (म. शां. २२६.३२, अनु. १३७. पत्नी का नाम इंद्रसेना दिया गया है। २१)। चोरों का पीछा-यह एवं इसकी पत्नी के संबंध में | ५. अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार, जो दत्त आत्रेय का जो सूक्त ऋग्वेद में प्राप्त है, उसका अर्थ अत्यंत अस्पष्ट | पुत्र था।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy