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________________ मालव प्राचीन चरित्रकोश माल्यवत् अर्जुन ने मालव योद्धाओं को गहरी चोट लगायी थी (म. । ३. अज्ञातवास के समय द्रौपदी से धारण किया गया द्रो. १८.१६ )। युधिष्ठिर ने भी इन लोगों का संहार | नाम (म. वि. ८.१९)। किया था (म. द्रो. १३२.२३-२५)। परशुराम ने इस | ४. एक अप्सरा, जो पुष्कर एवं प्रम्लोचा नामक देश के क्षत्रियों का संहार किया था (म. द्रो. परि. १.८. | अप्सरा की कन्या थी (म. वि. ८.१४ )। इसका विवाह ८४५)। रुचि राजा से हुआ था, जिससे इसे रोच्य नामक पुत्र सिकंदर के समय ये लोग पंजाब में रहते थे। इन्होंने उत्पन्न हुआ। रोच्य नामक मन्वन्तर का अधिपति रौच्य एवं क्षुद्रक लोगों ने सिकंदर का काफ़ी प्रतिकार किया। किंतु | वही है (मार्क. ९५.५)। अन्त में इन्हे हार खानी पडी, एवं पंजाब देश को छोड़ | ५. एक दुर्वर्तनी ब्राह्मण स्त्री।अपने दुर्वर्तन के कारण, कर, एवं सिंधु नदी को पार कर, ये लोग राजस्थान के अगले जन्म में इसे श्वानयोनि प्राप्त हुयी। आगे चल कर, मार्ग से उज्जयिनि के पास आ कर रहने लगे। इन्हीके वैशाख शुक्ल द्वादशी के दिन द्वादशी व्रत करने के कारण, कारण, उस प्रदेश को 'मालव' नाम प्राप्त हुआ। इसे मुक्ति प्राप्त हो गयी, एवं अगले जन्म में यह उर्वशी २. सौ क्षत्रियपुत्रों का एक समूह, जो मद्रदेश के | नामक अप्सरा हुयी (स्कंद. २.७.२४)। अश्वपति राजा को मालवी नामक पत्नी से उत्पन्न हुआ मालेय-चार राक्षसों का एक समूह, जो विभीषण के था (मालवी देखिये)। अमात्य का काम करता था। इनके नाम इस प्रकार थे:३. विदर्भ नगरी में रहनेवाला एक विष्णुभक्त ब्राह्मण | अनल, अनिल, हर एवं संपाति (वा. रा. उ. ५.४३)। (पद्म. उ. २१८)। माल्य-आर्य नामक आचार्य का पैतृक नाम मालवी--नरेश अश्वपति राजा की बड़ी रानी, एवं (पं. ब्रा. १३.१०.८)। सावित्री की माता । इसे मालव नामक सौ पुत्र उत्पन्न | माल्यापिंडक-एक सर्प, जो नारद ने मालती को'वर । होने का वरदान प्राप्त हुआ था (म. व. २८१.५८)। के रूप में प्रदान किया था (म. उ. १०१.१३)। . इसके नाम के लिए 'मालती' पाठभेद भी प्राप्त है। - माल्यवत्--एक राक्षस, जो सुकेश राक्षस का ज्येष्ठ २. केकय राजा की पत्नी सुदेष्णा का नामांतर (म' | पुत्र था। इसकी माता का नाम देववती था। इसके दो वि. १.१९-३२)। छोटे भाईयों के नाम सुमालि एवं मालि थे। यह रावण का मालाधर--सिद्धेश्वर नामक राजा का पुत्र, जिराकी | मातामह था। ' पत्नी का नाम श्यामबाला था (पन. . ११)। आगे चल कर सुकेश के तीनों पुत्रों की शादियाँ नर्मदा मालावती--कुशध्वज जनक राजा की पत्नी, जिसकी नामक गंधर्वी की तीन कन्याओं से हयीं। उनमें से सुन्दरी कन्या का नाम वेदवती था ( वेदवती देखिये)। नामक कन्या की शादी माल्यवत् से हुयी थी। मालि--एक राक्षस, जो सुकेश नामक राक्षस एवं ___तपस्या-अपने पिता के तपःसामर्थ्य एवं ऐश्वर्य को देववती का पुत्र था । वसुदा नामक गंधर्वी इसकी पत्नी | प्राप्त कर, यह अपने भाइयों के साथ घोर तपस्या करने थी, जिससे इसे अनल, अनिल, हर एवं संपाति नामक | लगा। शीघ्र ही इसने अपनी तपस्या से ब्रह्मदेव को प्रसन्न चार पुत्र उत्पन्न हुए थे। उन पुत्रों को 'मालेय' कर उससे वर प्राप्त किया, एवं त्रिकूट पर्वत के शिखर सामूहिक नाम प्राप्त था। पर, सौ योजन लम्बी एवं वीस योजन चौड़ी सुवर्णमंडित __ इसने अनेक वर्षों तक तप कर अमरत्व एवं अजेयत्व | लंका नामक नगरी प्राप्त की। पश्चात् यह सपरिवार वहाँ प्राप्त किया था। विश्वकर्मा ने इसे रहने के लिए लंका जा कर रहने लगा। नगरी प्रदान की थी। अन्त में श्रीविष्णु के द्वारा इसका विष्णु से युद्ध-कालोपरांत यह तथा इसके भाई गर्व वध हुआ (वा. रा. उ. ५)। में उन्मत्त हो कर देवादि को विभिन्न प्रकार से कष्ट देने लगे। मालिनी-सप्त शिशुमातृकाओं में से एक (म. व. | उन कष्टों से ऊब कर सारे देव शंकर के निर्देश पर विष्णु के २१७.९) । पाठभेद (भांडारकर संहिता)-'बृहली। पास गये । तब इन राक्षसों के वध की प्रतिज्ञा कर के विष्णु २. एक राक्षसकन्या, जो कुबेर की आज्ञा से विश्रवस् | ने देवों को भय से मुक्त किया। जैसे ही माल्यवत् को ऋषि के परिचर्या के लिए रही थी । विश्रवस् ऋषि से इसे | विष्णु की यह प्रतिज्ञा ज्ञात हुयी, यह बहुत घबराया, एवं विभीषण नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (म. व. २५९.१-८)। विष्णु के द्वारा की गयी प्रतिज्ञा इसने अपने भाइयों से कह
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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