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माद्रा
प्राचीन चरित्रकोश
माधव
पाण्डु के साथ सती होने के लिए, इसने कुन्ती से दूसरे दिन पाणिग्रहण के समय विवाहमण्डप में इसे बार बार प्रार्थना की । किन्तु शतशृङ्गनिवासी ऋषियों ने इसे | नींद आ गयी। यह देखकर इसके प्रचेष्ट नामक सेवक ने
आश्वासन देते हुए सती न होने के लिए बारबार अनुरोध | सुलोचना का हरण किया, तथा यह सोता ही रहा। किया । अन्त में कुन्ती की आज्ञा लेकर, इसने पाण्डु की सुलोचना ने माधव से शादी करने का प्रण किया था। मृतदेह के साथ चितारोहण किया (म. आ. ११६)। | अतएव वह प्रचेष्ट के यहाँ से भाग कर, सुषेण नामक राजा
सती होने के पूर्व इसने जो पाण्डवों को शिक्षा दी थी, | के यहाँ वीरवर नामक पुरुष का वेष धारण कर के नौकरी वह भ्रातृत्व एवं एकता के लिए एक आदर्श शिक्षा है। करने लगी। एक दिन वहाँ उसने एक गेंडा मारा, जो
इसकी मृत्यु के उपरान्त, धृतराष्ट्र की आज्ञा से, विदुर | पूर्वजन्म में धर्मबुद्धि नामक राजा था (धर्मबुद्धि देखिये)। आदि द्वारा पाण्डु तथा माद्री की अन्त्येष्टिकर्म राजोचित | सुलोचना से विवाह-सुलोचना के वियोग में पीड़ित ढंग से किया गया, एवं भाई-बन्धुओं द्वारा इन दोनों को होकर, एक दिन विद्याधर एवं प्रचेष्ट गंगा में प्राण देने जलांजलि दी गयी।
के लिए जा रहे थे। किंतु वे दोनो सुलोचना के द्वारा मृत्योपरांत माद्री ने अपने पति के साथ महेन्द्रभवन | | बचा लिये गये। बाद में सुलोचना को ढूँढते ढूँढते में निवास किया (म. स्व. ४.१६, ५.१२)। एकाएक वहाँ माधव भी आ पहुँचा, जो सुलोचना से
२. मद्र कन्या एवं श्रीकृष्णपत्नी लक्ष्मणा का नामान्तर | निराश होकर गंगा के तट पर आत्महत्या के लिए आया. (लक्ष्मणा २. देखिये)।
था। सुलोचना को देखकर, इसने अपनी सारी कथा उसे. ३. सोमवंश के क्रोष्टु राजा की पत्नी, जिसे निम्नलिखित | कह सुनायी, एवं उसके साथ विवाह किया। आगे चल कर चार पुत्र थे:--युधाजित् , देवमीढुष, वृष्णि एवं अंधक यही माधव प्रख्यात विष्णु-भक्त बना (पद्म. क्रि. ५.६)। . (ब्रह्म. १४.१.३)
५.(सो. यदु.) एक यादव राजा, जो यदु राजा का ४. यादवराजा सात्वतपुत्र वृष्णि की पत्नी। .
| पुत्र था। धूम्रवणे नामक नाग की कन्या इसकी माता माधव--उत्तम मन्वन्तर के मनु का पुत्र ।
थी। २. भौत्य मनु का एक पुत्र ।
___ इसके पुत्र का नाम सत्लत, एवं पौत्र का नाम भीम ३. भृगुकुल का एक गोत्रकार, जिसके लिए 'मथित' | था । उनमें से भीम राजा राम दाशरथि राजा का समपाठभेद प्राप्त है।
कालीन था। ४. एक राजा, जो तालध्वज नगर के विक्रम राजा का सुविख्यात यादव वंश की स्थापना यदु एवं उसका पुत्र पुत्र था। इसकी चमत्कृतिपूर्ण जीवनकथा पद्म में प्राप्त है। माधव राजा ने की थी। यादव-वंश का वंशक्रम निम्न
यह चन्द्रकला नामक क्षत्रिय स्त्री को अत्यधिक चाहता | प्रकार है:था, किंतु वह इससे विवाह न करना चाहती थी। माधव-सत्वत-भीम-कुश-लव-भीम-अंधक-रैवतअतएव उसने माधव से कहा, 'सुलोचना नामक एक सुंदर | ऋक्ष-रैवत-विश्वगर्भ-वसु-बन-सुषेण-सभाक्ष-( ह. वं. राजकन्या की जानकारी मै तुम्हे बताती हूँ, जो मुझसे | २.३८)। कही अधिक सुंदर, तथा तुम्हारी जीवनसंगिनी बनने | इनमें से सात्वतराज भीम राजा के राज्यकाल में योग्य है।
मधुवन में स्थित लवणाक्ष का वध शत्रुघ्न ने किया, एवं प्लक्षद्वीप में चंद्रकला के कथनानुसार, माधव अपने | मधुवन में मथुरा नगरी की स्थापना भीमराजा के द्वारा दिव्य अश्व की सहायता से समुद्र को लाँघ कर प्लक्ष की गयी। द्वीप गया, जहाँ सुलोचना रहती था। वहाँ जाकर इसे | ६. एक धार्मिक ब्राह्मण । एक दिन होम में बलि देने पता चला कि, उसकी शादी एक 'विद्याधर' से होने के लिए यह एक बकरा लाया। यह उसका वध करने जा वाली है। अतएव इसने तुरन्त ही सुलोचना को एक | रहा था कि, उस बकरे ने मानव-वाणी में अपने पूर्वप्रेमपत्र भेजा, एवं अपनी जानकारी बताते हुए उससे | जन्म की कथा बतायी, एवं इससे प्रार्थना की कि, यदि शादी की इच्छा व्यक्त की। सुलोचना ने पत्रोत्तर देकर | यह उसे गीता के नौवें अध्याय को सुना कर उसका वध इसे आश्वासन दिया कि, विवाह मण्डप में विद्याधर का | करे, तो वह भी अपने दुःख से मुक्त हो जाये। माधव वरण न कर के, वह इसका ही वरण करेगी। | ने बकरे की प्रार्थना को मान कर उसे गीता के नौवें
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