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________________ अवधूतेश्वर प्राचीन चरित्रकोश अश्मक डाला गया। उससे जालंधर उपन्न हुआ। उसका वध ___ अविज्ञानगति--अनिल देखिये । शंकर ने किया (शिव. शत. ३०)। अविद्ध-- (सो. पूरु.) प्राचीन्वत् का नामान्तर । अवध्य-प्रतर्दन नामक देवगणों में से एक। अविध्य-लंका का एक वृद्ध राक्षस | सीता रामचंद्र अवरात-प्रतर्दन नामक देवगणों में से एक । को वापस देने को इसने रावण से कहा (वा. रा. सुं. अवरीयस्-सावर्णि मनु का पुत्र ३७)। यह राम का कुशल वृत्त लिवा कर, त्रिजटा के अवरोधन-(स्वा.) गय राजा को गयंती से उत्पन्न | द्वारा सीता को सूचित करता था। (म. व. २८०) पुत्र। ___ अविन्द्र--(सो. पूरु.) वायु के मत में जनमेजय और पुत्र। अवस्यु आत्रेय--सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५. ३१, ७५)। अविहोत्र--अत्रिकुल का एक मंत्रकर्ता । अविकंपन-एक ब्राह्मण । यह ज्येष्ठ ऋषी का शिष्य अव्यय-रोच्य मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । था। २. रोच्य मनु का पुत्र। अविक्षित्-(सू. दिष्ट.) करंधमपुत्र (आविक्षित)। इसने सौ अश्वमेध किये तथा स्वयं बृहस्पती ने इसका ३. बारह भार्गव देवों में से एक (भृगु देखिये)। याजन किया । इसको स्वयंवर से प्राप्त हेमधर्मकन्या वरा, अशना--बली की पत्नी (भा. ६.१८)। . सुदेवकन्या गौरी, बलिकन्या सुभद्रा, वीरकन्या लीलावती, अशनिप्रभ--रावणपक्ष का एक राक्षस । इसे युद्ध में वीरभद्रकन्या विभा, भीमकन्या मान्यवती तथा दंभकन्या द्विविद वानर ने मारा ( वा. रा. यु. ४३.३४) .. कुमुद्धती नामक पत्नियाँ थी (मार्क. ११९. १६-१७)। अशोक-अकोप प्रधान का नाम (वा. रा. यु. १२९ | म. आ. ६१.१४)। विशाल की कन्या वैशालिनी भी इसकी पत्नी थी।। इसने वैशालिनी के स्वयंवर में अन्य राजाओं का पराभव २. दुर्योधन के पक्ष का एक राजा । यह पहले. अश्व किया, तथा वैशालिनी को ले कर यह चला गया । नामक राक्षस था (म. आ. ६१.१४)। यह कलिंग में चित्रांगदकन्या के स्वयंवर में उपस्थित था (म. शां. ४. पश्चात् अन्य राजाओं ने मिल कर इसका पराजय कर के, इसको बंदीवान कर दिया । अन्त में इसका पिता करंधम ने सबका पराजय कर के, इसको मुक्त किया, तथा इसका ____३. (विशोक) भीमसेन का सारथि (म. भी. ६०. ८)। बैशालिनी के साथ विवाह हुआ। ४. (मौर्य. भविष्य.) वायु तथा ब्रह्माण्ड के मताइसका पुत्र मरुत्त (म. आश्व. ४)। सर्पो ने कई नुसार, भद्रसार का पुत्र | परंतु भागवत तथा विष्णु पुराण ऋषिपुत्रों को मार डाला तब मरुत्त सर्प-संहार के लिये में, अशोकवर्धन नाम दिया है, तथा पहले में इसे वारिसार उद्युक्त हुआ। इस समय इसने अपने पत्नी के साथ का, एवं दूसरे में बिंदुसार का पुत्र कहा है। पट्टन के वहाँ जा कर, पुत्र को इस कार्य से निवृत्त किया। सों को | कश्यपकुल के बिंदुसार राजा का पुत्र। यह बौद्धधर्मीय बचा कर अभय दिया। सपों ने भी उन मृत ऋषिपुत्रों था । बौद्ध धर्म के प्रसार के लिये इसने पर्याप्त प्रयत्न को पुनः जीवित किया (मार्क. ११९.१६-१७,१२८)। किये । यह अत्यंत पराक्रमी था (भवि. प्रति. २.७)। २. (सो.) कुरुपुत्र । इसकी माता का नाम वाहिनी ।। अशोकवर्धन--अशोक (४.) देखिये । इसे आठ पुत्र थे। वे इस प्रकार है-१. परीक्षित् प्रकार ह-१. पराक्षित् | अशोकसुन्दरी--पार्वती की कन्या (पार्वती (अश्ववत् ), २. शबलाश्व, ३. अभिराज, ४. विराज, देखिये)। इसने हंड दैत्य को शाप दिया था (हुंड ५. शल्मल, ६. उच्चैःश्रवस, ७. भद्रकार, ८. जितारि देखिये)। इसका विवाह नहुष के साथ हुआ ( पद्म. (म. आ. ८९. ४५-४६)। इसके अश्ववान् तथा । (म. जी. ८. ०1०५। ३० अवमान तथा भू.१०२-११७)। अभिष्वत नाम भी प्रसिद्ध हैं (कुरु देखिये)। अश्मक-(सू. इ.) अश्मा का अर्थ है पत्थर । ३. लीलावती (४.) देखिये। | उसने इसे उत्पन्न किया, अतएक इसका यह नाम प्रचअविज्ञात--(स्वा. प्रिय.) यज्ञबाहु के सात पुत्रों | लित हुआ। यह कल्माषपाद नाम से प्रसिद्ध, मित्रसह में से कनिष्ठ । इसका वर्ष इसीके नाम से प्रसिद्ध है। राजा का पुत्र है (वायु. ८८.१७५-१७७; ब्रह्माण्ड. ३. पुरंजन का यह मित्र था। (भा. ४.२५, ४.२९)। । ६३. १७५-१७७; विष्णु. ४.४.३८)। कल्माषपाद राजा
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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