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महावाशिन्
प्राचीन चरित्रकोश
महिदास
महावशिन--(सू. निमि.) विदेह देश का राजा, जो | महाशाल जाबाल--शतपथ ब्राह्मण में निर्दिष्ट एक भागवत के अनुसार कृति राजा का पुत्र था।
आचार्य । इसने धीर शातपर्णेय को शिक्षा प्रदान की थी महावीर--एक राजा, जो क्रोधवशसंज्ञक दैत्य के अंश (श. ब्रा. १०.३.१.१)। शतपथ ब्राह्मण में अन्यत्र इसे से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.५५)।
अश्वपति राजा से शिक्षा प्राप्त करनेवाले ब्राहाणों में से २. एक आचार्य, जो स्वायंभुव मनु के सुविख्यात पुत्र | एक कहा गया है (श. ब्रा. १०.६.१.१)। छांदोग्य प्रियव्रत राजा के तीन विरक्त पुत्रों में से एक था। इसकी | उपनिषद में इसके नाम का निर्देश 'प्राचीलशाल औपममाता का नाम बाहिष्मती था। इसे 'घृतोद' नामान्तर | न्यव' नाम से किया गया है, एवं 'महाशाल' शब्द भी प्राप्त था । अपने बाल्यकाल में ही तपस्या के लिए एक महान् गृहवाला' इस अर्थ से एक विशेषण के रूप में यह वन में चला गया, एवं पश्चात् इसने संन्यासआश्रम प्रयुक्त किया गया है (छां. उ. ५.११.१, ३, ६.४.५)। का खीकार किया । यह श्रीकृष्ण का परमभक्त था, | मुण्डक उपनिषद में भी 'महाशाल' शब्द एक उपाधि के जिस कारण ज्ञानसंपन्न हो कर, इसने ब्रहात्व प्राप्त किया। रूप में शौनक के लिए प्रयुक्त किया गया है (मुं. उ. १. (भा. ५.१)।
१.३; ब्रह्म. उ. १)। ३. एक पराक्रमी राजा,जो राम के अश्वमेधीय अश्व की | महाशिरस--युधिष्ठिर के सभा का एक ब्रह्मर्षि (म. रक्षा करने के लिए शत्रुघ्न के साथ उपस्थित था ( पद्म पा. | स. ४.८)।
। २. एक नाग, जो वरुण की सभा में उपस्थित था (म. ___ महावीर्य--(स. निमि.) विदेह देश का राजा, जो स. ९.१४)। दवराति बृहद्रथ राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम । ३. एक दानव, जो कश्यप एवं दन के पत्रों में से एक सुधृति था।
था। २. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो भागवत के
| महाश्व--एक राजा, जो यमसभा में उपस्थित था अनुसार मन्यु राजा का पुत्र था । मत्य में इसे कृमि राजा
(म. स. ८.१८)। का पुत्र कहा गया है । इसके पुत्र का नाम दुरितक्षय था।
महासत्त्व-(सो. कुरु.) एक कुरुवंशीय राजा, जो ३. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिगण ।
| वायु के अनुसार आराधिन् राजा का पुत्र था। महावेगा--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. |
महासुर--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में ४५.१५)।
से एक था। महावत-विश्वामित्र के ब्रह्मवादी पत्रों में से एक। महासेन--स्कंद का नामान्तर (म.व. २१४.२६ महाश--श्रीकृष्ण एवं मित्रविंदा के दस पुत्रों में से | स्कद दाखय)।
महास्वना--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. महाशाक्ति--श्रीकृष्ण एवं लक्ष्मणा के दस पुत्रों में | ४५.२५)। से एक।
महाहनु--(सो. वसु.) एक राजा, जो मत्स्य के महाशंख-एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के पत्रों में | अनुसार वसुदेव एवं रोहिणी के पुत्रों में से एक था। से एक था (मत्स्य.६)। भागवत के अनुसार, यह २. तक्षक कुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सर्पसत्र पाताल में रहता था (भा. ५.२४.३१)। यह मार्गशीर्ष | में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२.१६ )। माह के सूर्य के साथ भ्रमण करनेवाले प्राणियों में से एक महाहय--(सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो शतजित् था (भा. १२.११.४१)।
राजा का पुत्र था। महाशाल-(सो. अनु.) एक अनुवंशीय राजा, जो महित--पितरां में से एक। मत्स्य एवं वायु के अनुसार जनमेजय राजा का पुत्र था। महिदास ऐतरेय-एक आचार्य, जो 'ऐतरेय
२. एक ब्राह्मणसमूह, जिसने अश्वपति कैकेय राजा से ब्राह्मण' एवं 'ऐतरेय आरण्यक' नामक ग्रंथों का रचियता शिक्षा प्राप्त की थी (श. बा. १०.६.१.१)। संभव है, | माना जाता है । इसीके ही नाम से उन ग्रंथों को 'ऐतरेय' इन ब्राह्मणों का महत्व बढ़ाने के लिए इनका इस प्रकार | उपाधि प्रदान की गयी होगी। संभव है, यह स्वयं 'इतर' वर्णन किया गया है।
| अथवा 'इतरा' नामक किसी स्त्री का वंशज होगा, ६३१