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________________ भूतवीर प्राचीन चरित्रकोश भूमिंजय असितमृग नामक आचार्य ने इन्हे यज्ञमंडप से बाहर भूपति--एक सनातन विश्वेदेव (म. अनु. ९१. निकाल दिया, एवं स्वयं पौरोहित्यपद धारण किया। | ३२)। __ आगे चल कर विश्वंतर नामक राजा ने अपने श्यापर्ण भूमन--(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो प्रतिहर्तृ एवं नामक पुरोहितगण की इसी तरह उपेक्षा की। उस समय स्तुति का पुत्र था। इसे ऋषिकुल्या एवं देवकुल्या नामक श्यापर्ण पुरोहितों ने अपने अनुगामियों को असितमृग दो पत्नियाँ थी, जिनसे इसे क्रमशः उद्गीथ एवं प्रस्ताव कश्यप की उपर्युक्त कथा निवेदित की, एवं विश्वतर राजा | नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे (भा. ५.१५.१५)। से जबरदस्ती से पौरोहित्य प्राप्त करने की सूचना दी। भूमि--एक भूदेवी, जो ब्रह्मा की पुत्री, एवं भगवान् उसपर राम भार्गवेय नामक ऋषि ने विश्वंतर से पौरोहित्य | नारायण की पत्नी थी। प्राप्त किया (ऐ. ब्रा. ७.२७)। __भगवान् नारायण के वाराह अवतार में उससे इसे । भूतशर्मन्--कौरव पक्ष का एक राजा, जो द्रोणाचार्य | एक पुत्र हुआ, जिसका नाम भौम अथवा नरकासुर था। के द्वारा निर्मित गरुडन्यूह के ग्रीवास्थान में खड़ा था भगवान् श्रीकृष्ण के द्वारा भौमासुर का वध होने पर, इसने (म. द्रो. १९.६)। इसके नाम के लिए 'भतवर्मन् । स्वयं प्रकट हो कर, अदिति के दोनो कुंडल लौटा दिये, एवं पाठभेद प्राप्त है। भौमासुर के संतान की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण से प्रार्थना भूतसंतापन--एक राक्षस, जो हिरण्याक्ष के पुत्रों में से | की (भा. १०.५९.३१)। एक था (भा. ७.२.१८)। एकबार दैत्यों के कारण यह अत्यंत त्रस्त हुयी । फिर .. ___ भूता-पुलह ऋषि की पत्नी, जो कश्यप एवं क्रोधा | अपना भार उतारने के लिए इसने भगवान् विष्णु से की कन्याओं में से एक थी। प्रार्थना की, जो वाराह अवतार ले कर विष्णु ने पूर्ण की ... भूतांश काश्यप-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा, जो कश्यप | (म. व. १४२. परि. १. क्र. १६. पंक्तिं. ८२-१०८)। .. ऋषि का वंशज था (ऋ. १०.१०६ )। परशुराम के द्वारा क्षात्रेय-संहार हो जाने के बाद, इसने इसे पुत्र न होने के कारण, इसने अश्वियों की स्तुति कश्यप ऋषि से सर्वसमर्थ 'भूपाल' निर्माण करने के करनेवाले एक सूक्त की रचना की। इसके द्वारा रचित लिए प्रार्थना की, एवं परशुराम के हत्याकांड से बचे हुए। यह सूक्त अत्यंत दुर्बोध है, एवं उसका अर्थ अत्यंत धूमिल | क्षत्रिय राजकुमारों का पता भी उसे बताया था (म. शां... है (बृहद्दे. ८.१८.२१)। ४९.६३-७९)। भूति--विश्वमित्र का एक पुत्र । सुविख्यात सम्राट पृथु वैन्य ने इसका दोहन किया था, २. अंगिरस् ऋषि का एक शिष्य, जो अत्यंत क्रूर एवं | जिस समय इसने उसे अपनी कन्या मानने के लिए प्रार्थना क्रोधी था (मार्क. ९६.२)। | की थी (म. द्रो. परि. १. क्र. ८. पंक्ति ७९१*)। ३. (सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो वायु के महाभारत के अनुसार, अंग राजा से स्पर्धा करने के अनुसार सात्यकि के पुत्रों में से एक था। कारण, यह अदृश्य हो गयी थी। पश्चात् कश्यप ऋषि ने ४. मार्कंडेय पुराण में निर्दिष्ट पितरों का एक गण | इसे पुनः स्थिर किया, जिस कारण, इसे कश्यप ऋषि की (मार्क. ९२.९२)। कन्या इस अर्थ से 'काश्यपी' नाम प्राप्त हुआ (म. अनु. भूतिकृत एवं भतिद--मार्कंडेय पुराण में निर्दिष्ट, १५३.२)। . पितरों का एक गण (मार्क. ९२.९२)। श्रीकृष्ण को इसने ऋषि, पितर, देव एवं अतिथियों भाततीर्था--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. के सत्कार का महत्व कथन किया था (म. अनु. ९७. श. ४५.२७)। ५-२३)। इसका महिमा संजय ने धृतराष्ट्र से कथन किया भूतिनंद-(नाग. भविष्य.) एक राजा, जो ब्रह्मांड | था। एवं वायु के अनुसार, मथुरा देश का राजा था। २. भूमिपति नामक प्राचीन नरेश की पत्नी (म. उ. भूतिमित्र--(कण्व. भविष्य.) एक राजा, जो वायु के | ११५.१४)। संभव है, यह व्यक्तिवाचक नाम न हो कर, अनुसार वसुदेव राजा का पुत्र था । ब्रह्मांड एवं मत्स्य में, एक उपाधि के रूप में इसका प्रयोग किया गया होगा। इसके नाम के लिए 'भूमिमित्र,' एवं भागवत एवं विष्णु | भूमिजय-विराटपुत्र उत्तर का नामान्तर (म. वि. में 'भूमित्र' पाठभेद प्राप्त है। | ३३.९)।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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