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________________ भीमसेन प्राचीन चरित्रकोश भीमसेन आदि राजाओं को पुनः एक बार परास्त कर, यह आगे | रौद्र पराक्रम-उसी दिन हुए रात्रि युद्ध के समय, बढ़ा। अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए, भानुपश्चात्, द्रोण फिर एक बार इसके मार्ग का बाधक मान् कलिंग के पुत्र ने भीम पर आक्रमण किया, जिसका हुआ। फिर भीम ने उसके एक के पीछे एक कर के आठ | इसने एक घूसे का प्रहार मार कर वध किया। बाद रथों को ध्वस्त कर, द्रोण को युद्ध में परास्त किया। | को इसने कौरवपक्षीय ध्रुव राजा एवं जयरात के रथों पर इस प्रकार, यह अर्जुन तक पहुँच गया, एवं शंखनाद के कूद कर, उन्हें अपने घूसे एवं थप्पड़ों से मार कर, काम द्वारा अर्जुन तक कुशलपूर्वक पहुँचने की सूचना इसने तमाम किया। इसी प्रकार दुष्कर्षण को भी रौंद कर उसका युधिष्ठिर को दी। वध किया (म. द्रो. १३०)। पश्चात् इसका बाह्रीक राजा से युद्ध हुआ, जिस ___ कर्ण से युद्ध-इसे अर्जुन के समीप आता हुआ देख में इसने उसके पुत्र को मूछित किया । बालीक ने स्वयं कर, कर्ण ने इस पर आक्रमण किया। फिर भीम ने कर्ण भीम को भी मूञ्छित किया । मूर्छा हटते ही, इसने फिर के रथ के अश्वों को मार कर, उसे रथविहीन कर दिया, | कौरवसेना का संहार शुरू कर दिया, तथा दृढरथ, नागदत्त, जिस कारण कर्ण वृषसेन के रथ में बैठ कर वापस चला विरजा एवं सुहस्त नामक योद्धाओं का वध किया (म. द्रो. गया । इसी युद्ध में भीम ने दुःशल का वध किया (म. १३२)। इसी संहार में इसने दुर्योवन एवं कर्ण को पुनः द्रो. १०४)। एक बार पराजित किया, जिसमें कर्ण के रथ, धनुषादि . अपने नये रथ में बैठ कर कर्ण युद्धभूमि में प्रविष्ट हुआ, | को कुचल दिया । कर्ण ने भी इसका रथ भग्न कर दिया, एवं भीम को पुनः युद्ध के लिए आवाहन किया । भीम ने | जिसके कारण इसे नकुल के रथ का सहारा लेना पड़ा आवाहन स्वीकार कर, उसे दो बार मूच्छित एवं रथविहीन (म. द्रो. १६१)। कर के, युद्धभूमि से भग जाने के लिए विवश किया । इस इसी दिन कौरव सेनापति द्रोण ने द्रुपद एवं विराट युद्ध में भीम ने दुर्मुख का वध किया (म. द्रो. १०९. राजा का वध किया, जिसका बदला लेने के लिए द्रुपद२०)। पुत्र धृष्टद्युम्न को साथ ले कर भीम ने द्रोण पर हमला ___ कर्ण को परास्त होता देख कर, दुर्मर्षण, दुःसह, दुर्मद, कर दिया। किन्तु उसका कुछ फायदा न हुआ। द्रोण के .. दुर्धर तथा जय नामक योद्धाओं ने भीम पर आक्रमण | द्वारा दिखाई गई वीरता, एवं उसके परिणाम से सभी किया। किन्तु भीम ने उन सबका वध किया। फिर पाण्डवों के पक्ष के लोग भयभीत एवं त्रस्त हो उठे। दुर्योधन ने अपने भाइयों में से शत्रुजय, शत्रुसह, चित्र, पंद्रहवाँ दिन--पंद्रहवें दिन, कृष्ण ने.पाण्डवों के बीच चित्रायुध. दृष्ट, चित्रसेन एवं विकर्ण को कर्ण की सहायता बैठ कर, द्रोणाचार्य के मारने की योजना को समझाते हुए के लिए भेजा। किन्तु भीम के द्वारा ये सभी लोग मारे गये। कहा, 'द्रोणाचार्य को खुले मैदान में जीतना असम्भव इन सभी दुर्योधन के भाइयों में भीम विकर्ण को अत्यधिक है, उसे किसी चालाकी के साथ ही, जीता जा सकता है। चाहता था। इसलिए उसकी मृत्यु पर भीम को काफ़ी दुःख मेरा यह प्रस्ताव है कि, उसे विश्वास दिला दिया जाये कि, हुआ। इसी युद्ध में भीम ने चित्रवर्मा, चित्राक्ष एवं उसका पुत्र अश्वत्थामा मर गया है। इसका परिणाम यह शरासन का भी वध किया (म. द्रो. ११०-११२)। होगा कि, वह पुत्रशोक में विद्धल हो कर अस्त्र नीचे रख इसके उपरांत भीम एवं कर्ण का पुनः एकबार युद्ध देगा। फिर उसे मारना कठिन नहीं ।' कृष्ण की सलाह के हुआ, जिसमें कर्ण को फिर एकबार हारना पड़ा। इस अनुसार, भीम ने अपनी सेना में से किसी इंद्रवर्मा नामक प्रकार कई बार भीम से हार खाने के उपरांत, कर्ण ने योद्धा के अश्वत्थामा नामक हाथी को गदाप्रहार से मार भीम से युद्ध करने का हठ छोड़ दिया (म. द्रो. दिया । पश्चात् यह द्रोण के रथ के पास जा कर चिल्लाने ११४) । इसी युद्ध में कर्ण ने एक बार इसे, 'अत्यधिक | लगा, 'अश्वत्थामा मर गया। भोजन भक्षण करनेवाला रसोइया' कह कर चिढ़ाया, द्रोणवध यह बात सुनते ही, पुत्रशोक से विह्वल द्रोण जिससे चिढ़ कर इसने अर्जुन से अनुरोध किया कि, कर्ण को ने अपने शस्त्रादि नीचे रख दिये, एवं इस प्रकार असहाय शीघ्रातिशीघ्र मार कर वह कर्णवध की अपनी प्रतिज्ञा स्थित में द्रोण को देख कर, द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्न ने क्रूरता के पूरी करें (म. द्रो. ११४)। | साथ उसका वध किया (म. द्रो.१६४)। अपने गुरु की इस ५६८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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