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भीम .
प्राचीन चरित्रकोश
भीमशंकर
सुमन्तु नामक प्रधानों के हाथों सौंप दिया, एवं यह वन | भीमकेश--एक राजा, जिसकी पत्नी का नाम केशिनी में चला गया।
था। बृहद्ध्वज नामक राक्षस ने उसका हरण किया था ___ वन में इस विश्वामित्र ऋषि आ मिले, जिन्होंने इसे | (बृहद्ध्वज देखिये)। गणेश उपासना का व्रत करने के लिए कहा। यह व्रत भीमजानु--एक प्राचीन नरेश, जो यमसभा में करने पर इसे एक पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम | उपस्थित था (म. स. ८.१९)। रुक्मांगद था (गणेश. १.१९-२७)।
भीमपायन--कश्यपकुल के भौजपायस नामक गोत्रकार २६. विदर्भ देश का एक राजा, जो दमयंती का पिता के लिए उपलब्ध पाठभेद (भौजपायन देखिये)। था ( भीम वैदर्भ देखिये)।
भीमबल--धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक । इसके नाम भीम वैदर्भ--विदर्भ देश का सुविख्यात राजा, जो के लिए भूरिबल पाठभेद भी प्राप्त है (म. आ. परि. १.४१. निषधराज नल की पत्नी दमयंती का पिता था। यह एवं | १५)। भारतीय युद्ध में भीमसेन के द्वारा इसका वध हुआ। चेदि देश का राजा वीरबाहु समवर्ती थे।
२. एक देवता, जो पांचजन्य के द्वारा उत्पन्न पाँच ___ दशार्ण नरेश सुदामन् की कन्या इसकी पत्नी थी (म. विनायकों में से एक थी। व. ६६.१२-१३)। काफ़ी वर्षों तक अनपत्य रहने के बाद, भीमरथ--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से दमन ऋषि की कृपाप्रसाद से इसे तीन उत्तम पुत्र एवं | एक। भीमसेन ने इसका वध किया । एक कन्या प्राप्त हुयी। इसके पुत्रों के नाम दम, दान्त एवं २. कौरवपक्षीय एक योद्धा, जो द्रोणनिर्मितं गरुडव्यूह .. दमन थे, एवं कन्या का नाम दमयंती था (म. व. ५०.९)। के हृदयस्थान में खड़ा हुआ था (म. द्रो. १९.३३)।
इसके द्वारा किये गये दमयंती के स्वयंवर में निषध पांडवपक्षीय म्लेंच्छराज शाल्व राजा का इसने वध किया देश का राजा नल का दमयंती ने वरण किया (म. व. | था (म. द्रो. २४.२६ )। ५४.२५)। कलि केशाप से नल एवं दमयंती को अत्यधिक ३. युधिष्ठिर की सभा एक राजा (म. स. ४.२२)। कष्ट सहने पडे; उस समय इसने उन दोनों को एवं उनके ४. (सो. क्रोष्टु.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु एवं पुत्रों को काफी सहाय्यता की थी (दमयंती एवं नल वायु के अनुसार विकृति राजा का पुत्र था। मत्स्य में इसे. देखिये)।
विमल राजा का पुत्र कहा गया है। २. विदर्भ देश का सुविख्यात राजर्षि, जिसका निर्देश ५.( सो. क्षत्र.) एक राजा, जो भागवत एवं वायु के ऐतरेय ब्राहाण में निर्दिष्ट 'सोम परंपरा' में प्राप्त है। अनुसार केतुमत् राजा का पुत्र था। विष्णु में इसके नाम के ऐतरेय ब्राह्मण के अनुसार, शापर्ण नामक पुरोहितगण लिए 'अभिरथ' पाठभेद प्राप्त है। महाभारत में इसका के द्वारा यज्ञवेदी की स्थापना की जाने पर, सोमविद्या की निर्देश 'भीमसेन' नाम से किया गया है (भीमसेन ३. विशिष्ट परंपरा दैवावृध ने भीम राजा को सिखायी. एवं | देखिये)। उसी परंपरा भीम ने वैदर्भ राजा को सिखायी (ऐ. ब्रा. भीमविक्रम--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में ७.३४ )। उस ग्रंथ में, भीम एवं वैदर्भ को अलग व्यक्ति | से एक । माना गया है। किंतु सायणाचार्य के अनुसार, ये दोनों भीमवेग-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक ही व्यक्ति थे।
एक। इसकी कथा में नारद एवं पर्वत इन दो ऋषियों का| २. अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । संबंध निर्दिष्ट है, किंतु उसके बारे में निश्चित रूप से कहना | भीमवेगरव--(सो. कुरु.)धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से असंभव है।
एक। भीमक--विदर्भ देश के भीष्मक राजा का नामांतर भीमशंकर--एक शिवलिंग, जो सह्याद्रि में स्थित (भीष्मक देखिये)।
डाकिनी क्षेत्र में है । इसने भीम का वध कर कामरूपेश्वर भीमकाय--त्रिपुरासुर का एक सेवक । त्रिपुर ने इसे । सुदक्षिण राजा का रक्षण किया (शिव. शत. ४२)। कुछ काल तक पृथ्वी का राज्य प्रदान किया था (गणेश. महाराष्ट्र में पूना जिले में स्थित भीमाशंकर नामक १.३९.१३)।
शिवस्थान यही है । इसके उपलिंग का नाम भीमेश्वर है . भीमकी--कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी का नामांतर। ।(शिव. कोटि. १)।
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