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________________ भगदत्त प्राचीन चरित्रकोश भगीरथ वीरता से प्रसन्न हो कर, इसने उसकी इच्छा के अनुसार भगदत्त के कृतप्रज्ञ तथा वज्रदत्त नामक पुत्र थे । कृतप्रज्ञ कार्य करने की प्रतिज्ञा की थी, तथा अतुल धनराशि भेंट | भारतीय नकुल के द्वारा मारा गया अतएव वज्रदत्त देकर उसे बिदा किया था (म. स. २३.२७४) राजगद्दी का अधिकारी बनाया गया (म. अ.४.२९)। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यह यवनों के साथ उप- | अर्जुन का वज्रदत्त से भी युद्ध हुआ था, जिसमें अर्जुन स्थित था, तथा अच्छी जाति के वेगशाली अश्व एवं बहत | ने उसे जीता था (म. आश्व. ७५.१-२०)। सी भेंटसामग्री इसने युधिष्ठिर को दी थी। इसने युधिष्ठिर भगदा-स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. ४५.२६) को बड़ी शान शौकत के साथ हीरे तथा पद्मरागमणि के | भगधर -(सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो वायु के अनुसार आभूषण एवं विशुद्ध हाथीदाँत की बनी मूठवाली तलवार विद्योपरिचर का पुत्र था (वायु. ९९.२२१)। कई पुराणों भेंट दे कर अपनी आदर भावना प्रकट की थी (म. स. | में इसके पिता के नाम के लिए 'चैद्योपरिचर' पाठभेद ४७. १४)। भारतीय युद्ध में, चीन तथा किरात सैनिकों | प्राप्त है। के साथ भगदत्त कौरवों के पक्ष में शामील हुआ था | भगनंदा-स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. ४५. (म. उ. १९.१४-१५) ११)। इसके नाम के लिए, 'भगदा' पाठभेद प्राप्त है। __ यह युद्धभूमि में बड़ा बलवान् एवं साहसी राजा था। भगपाद--अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। बड़े बड़े योद्धाओं से इसकी लड़ाइयाँ हुयी थी। भारतीय | भगवत्-तुषित देवों में से एक। युद्ध में यह कौरवपक्ष में था । यह सेनासहित दुर्योधन की ___ भगवत् औपमन्यव काराडि:--एक सामवेदी सहायता के लिए आया था (म. उ. १९.१२) । प्रथम दिन | आचार्य, जिसका निर्देश जैमिनिगृह्यसूत्र के अन्तर्गत उपाके संग्राम में ही इसका एवं विराट का युद्ध हुआ था | कर्मांग तर्पण में प्राप्त है (जै. गू. १.१४)। (म. भीष्म. ४३.४६-४८) । इसने अपने बाहुबल से | भगीरथ-(सू. इ.) सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय . भीम को भी रणभूमी में मूर्छित कर, घटोत्कच को पराजित | राजा, जो सम्राट दिलीप का पुत्र था। अपने पितरों के.. किया था (म. भी. ६०.४७)। उद्धार करने के लिए इसने अनेकानेक प्रयत्न कर गंगा __ इसने दशार्णराज को युद्धभूमि में पराजित किया था. | नदी को पृथ्वी पर लाया, एवं इस तरह अपने प्रपितामह । एवं वह इसके द्वारा ही मारा गया (म. भी.; असमंजस् , पितामह अंशुमत् एवं पिता दिलीप से चलता ९१. ४२-४४)। इसने भीमसेन के सारथि विशोक को आ रहा प्रयत्न सफल किया। इसी कारण आगे चलकर युद्धभूमि में लडते लडते मूच्छित कर दिया था। इसके | लोगों ने अत्यधिक प्रयत्न के लिए 'भगीरथ' नाम को द्वारा क्षत्रदेव की दाहिनी भुजा का विदारण हुआ था लाक्षणिक रूप में प्रयुक्त करना आरम्भ किया। इसके सिवाय सात्यकि एवं द्रुपद के साथ भी इसका घोर इसके प्रपितामह असमंजस् के पिता सगर के कुल संग्राम हुआ, जिसमें गजयुद्ध का कौशल दिखाते हुए, | साठ हजार पुत्र थे, जो कपिल ऋषि के शाप के कारण दग्ध इसने अपने बाणों से सेना को त्रस्त कर दिया था (म. हो गये। बाद को कपिल ऋषि ने अंशुमन् तथा दिलीप से भी. १०७.७-१३) उनके मुक्ति का मार्ग बताते हुए कहा 'यदि तुम लोग __एकबार कर्ण ने अपने दिग्विजय के समय इसे पराजित अपने पितरों का उद्धार ही करना चाहते हो, तो गंगा नदी किया था (म. व. परि. १.२४.३६)। इसका अर्जुन के | की आराधना कर उसे पृथ्वी पर आने के लिए प्रार्थना साथ कई बार युद्ध हुआ (म. भी.११२.५६-६०)। करो, तभी तुम्हारे पूर्वजों का निस्तार सम्भव है। ___ इसका अन्तिम युद्ध भी अर्जुन के साथ हुआ। उस अंशुमत् तथा दिलीप ने तप किया, लेकिन वे सफल समय यह काफी वृद्ध हो चुका था। बुढापे के कारण | न हो सके; उनका प्रयत्न अधूरा ही रहा । तब इसने बढी हुई श्वत पलकों को पट्टे से बाँध कर, यह युद्धभूमि | हिमालय पर जा कर गंगा लाने के लिए घोर तप किया। में अर्जुन के साथ डटा रहा। इसने उसके ऊपर गंगा इससे प्रसन्न हुयी, तथा पृथ्वी पर उतरने के लिए वैष्णवास फेंका, तब अर्जुन ने उस अस्र का नाश कर, | उसने अपनी अनुमति दे दी । अब समस्या थी कि, गंगा के इसके पलकों के पट्टे को तोड कर इसका वध किया। तीव्र प्रवाह को पृथ्वी पर किस प्रकार उतारा जाय; कारण यह घटना मार्गशीर्ष वद्य दशमी को हुयी थी (भारत सम्भव था, पृथ्वी उसके वेग गति से बह जाये । इस कार्य के सावित्री) | लिए गंगा ने इसे शंकर की सहायता लेने के लिए कहा।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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