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ब्रहान
प्राचीन चरित्रकोश
उपर्युक्त यज्ञ के अतिरिक्त, ब्रह्मा के द्वारा निम्नलिखित स्थानों पर यज्ञ करने के निर्देश प्राप्त हैं:- हिरण्यग पर्वत पर बिंदुसर के समीप, धर्मारण्य में ब्रह्मसर के समीप, एवं कुरुक्षेत्र में (म. स. ३.८९ प. व. ८२.७४; १२९.१) ।
अन्य कथाएँ — एक बार अभिमान में आ कर तारकासुर नामक दैत्य देवों को अत्यधिक त्रस्त करने लगा। फिर उसके विनाश के लिए ब्रह्मा ने अपनी एक मानसकन्या निशा अथवा विभावरी को पत्नी पार्वती करने के लिए मेजा। आगे चलकर उसी पार्वती के गर्भ से उत्पन्न हुए सफेद ने तारकासुर का नाश किया ( मत्स्य १५४. ४७-७२) । शिवप्रसाद से इसने पुलोमा नामक दैत्य का वध किया (स्कंद. ५.२.६६ ) । जिस समय शंकर ने त्रिपुरासुर का वध किया था, उस समय ब्रह्मा उसका सारथी था (म. क. २४.१०८) ।
इसकी मानसकन्याओं में सरस्वती नामक कन्या इसे विशेष प्रिय थी। इस कारण इसके दर्शनार्थं वह प्रतिदिन आया करती थी। एक बार इसके दर्शन के लिए सहजबश आया हुआ पुरूरवस् राजा सरस्वती को देखकर उसपर मोहित हुआ। फिर अपनी पत्नी उर्वशी के द्वारा सरस्वती को बुलवा कर, उसके साथ रत हुआ । यह जान कर कुद्ध हुए ब्रह्मा ने अपनी पुत्री सरस्वती को नदी बन जाने का शाप दिया । उर्वशी के द्वारा प्रार्थना की जाने पर ब्रह्मा ने सरस्वती को शाप दिया, नदी हो जाने के उपरांत तुम नदियों में पवित्र समझी जाओगी ' ( ब्रह्म. १०१ ) ।
विष्णु रुद्र आदि अन्य देवताओं के समान ब्रह्मा के द्वारा भी अनेक तीर्थस्थान, एवं पवित्र क्षेत्रों का निर्माण किया गया था। इन्द्रद्युम्न नामक राजा के द्वारा अनुरोध करने 'पर, ब्रह्मा ने सुविख्यात 'जगन्नाथ' क्षेत्र की स्थापना की थी ( स्कंद. २.२.२३ ) ।
ब्रह्मा की कालगणना ब्रह्मा की आयु सौ वर्षों की मानी जाती है। किन्तु ये सौ वर्ष सामान्य लोगों की वर्ष गणना से भिन्न हैं। अतएब उस हिसाब से इसकी कुल आयु लाखों वर्षों की ठहरती है ।
ब्रह्मा की कालगणना में एक वर्ष में तीन सौ साठ दिन रहते है। किन्तु इसका एक दिन एक हजार 'पर्यायों का बनता है, एवं एक पर्याय में कृतयुग (१७२८००० वर्ष), त्रेतायुग (१२९६००० वर्ष ), द्वापरयुग ( ८६४००१ वर्ष), तथा कलियुग (४३२००० वर्ष) समाविष्ट होते । ब्रह्मा के कालगणना की तालिका इस प्रकार है :
ब्रह्मन्
ब्रह्मा का एक दिन अथवा एक कल्प १००० पर्याय, १ पर्याय = कृत, त्रेता, द्वापर एवं कलियुग ( कृतयुग = १,७२८००० वर्ष त्रेतायुग = १२,९६००० वर्ष द्वापरयुग = ८,६४००१ वर्ष कलियुग ४,२२००० वर्ष ) ४,२२०००१ वर्ष .. ब्रह्मा का एक दिन = ४३, २००००१००० = ४३,२००००००० वर्ष ( विष्णु. ३.२.४८ ) ।
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विष्णु के एक दिन के बराबर होता है, एवं विष्णु का पौराणिक कालगणना के अनुसार, ब्रह्मा का एक वर्ष एक वर्ष शंकर के एक दिन के बराबर होता है ( स्कंद. ६.१.९४) ।
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पद्म के अनुसार, ब्रह्मा के आयु के ५० वर्ष अर्थात् एक परार्ध समाप्त हो चुका है, एवं दूसरा चल रहा है (पा. सु. २ स्कंद ७.१.१०४) । इसकी रात्रि का फाल बड़ी है, जिसे नैमित्तिक प्रलय का काल कहा जाता है (भा. ३.११.२२-३५; १२.४.२ विष्णु. १.२.११-२७९ मत्स्य. १४२.५.३६ ) । हर एक कल्प के आरम्भ में, जो अवतार ब्रह्मा द्वारा लिए गये हैं, उस कल्प को वही नाम दिया जाता है।
ग्रन्थ-- ब्रह्मा द्वारा 'वास्तुशास्त्र' पर लिखित एक ग्रन्थ उपलब्ध है (मत्स्य २५२.२ ) । ' दण्डनीति' नामक एक लक्ष अध्यायों का एक अन्य ग्रन्थ भी इसके द्वारा लिखा गया था। आगे चलकर शंकर ने उस अन्थ को बस हजार अध्यायों में संक्षिप्त किया, जिसे 'देशालाक्ष' कहते है। बाद में, इन्द्र ने उसे पाँच हजार अध्यायों में संक्षिप्त किया, एवं उसे 'बाहुदंतक' नाम दिया। आगे चलकर ने उसे संक्षिप्त कर तीन हजार अध्यायों का एवं उसके अन्य ऋषियों के द्वारा यह और संक्षिप्त किया गया। बृहस्पति अध्यायों का बना दिया। बाद में यह अन्य प्रजापति के बाद शुक्राचार्य ने उसे और भी संक्षिप्त कर एक हजार द्वारा अति संक्षिप्त कर दिया गया ( म. शां. ५९.८७; प्रजापति देखिये) ।
स्थान - पद्म में ब्रह्म के एक सौ आठ स्थानों का निर्देश प्राप्त है ( पद्म. सृ. २९.१३२ - १५९ ) ।
ब्रह्मबल - व्यास की अथर्वन् शिष्यपरंपरा में से ब्रह्मवलि नामक आचार्य का नामान्तर ।