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________________ बौधायन प्राचीन चरित्रकोश बौधायन कि, आपस्तंब एवं हिरण्यकेशिन् आचार्यों का संग्रह किया | सूत्र' एक सर्वमान्य एवं सन्मान्य धर्मग्रंथ माना जाता गया है। डॉ. बर्नेल के द्वारा बौधायन के बहुत सारे सूत्र छः था। इससे प्रतीत होता है कि, बौधायन धर्मशास्त्र का विभागों में एकत्रित किये गये है, जो इस प्रकार है:-- रचना काल ईसा पूर्व ५००-२०० के बीच कही होगा। (१) श्रौतसूत्र (१९ प्रश्न ); (२) कर्मान्तसूत्र (२० बौधायन के धर्मसूत्र में वसंत सम्पात की स्थिति प्रश्न); (३) द्वैधसूत्र (४ प्रश्न); (४) गृह्यसूत्र | वेदांगज्योतिष के अनुसार दी गयी है। उससे प्रतीत (४ प्रश्न); (५) धर्मसूत्र (४ प्रश्न); (६) शूल्बसूत्र होता है कि, इसका काल ईसा शताब्दी के पूर्व लगभग (३ प्रश्न)। | १२०० होगा ( कविचरित्र) बौधायन सूत्रों के विभाग--डॉ. कालेन्ड के अनुसार बौधायन धर्मसूत्र का जो संस्करण सांप्रत प्राप्त है, बौधायन के सूत्र निम्नलिखित उन्चास प्रश्नों में विभाजित | उसमें बहुत सारा भाग प्रक्षिप्त है, एवं कई भाग है:-प्रश्नक्रमांक १-२१ श्रौतसूत्र; २२-२५ द्वैधसूत्र; २६- गौतम धर्मसूत्र एवं विष्णु धर्मसूत्र में से लिया गया है। २८ कर्मान्तसूत्र; २९-३१ प्रायश्चित्त सूत्र; ३२ शूल्बसूत्र; उसमें पुनरुक्ति भी काफी प्राप्त है। ३३-३५ गृह्यसूत्र; ३६ गृह्यप्रायश्चित्त; ३७ गृह्यपरिभाषा| बौधायन धर्मसूत्र के प्रश्न चार विभागों में सूत्र; ३८-४१ गृह्य परिशिष्ट सूत्र; ४२-४४ पितृमेध सूत्र; मध सूत्रः विभाजित है, एवं उसमें मुख्यतः निम्नलिखित विषयों का ४५ प्रवरसूत्र; ४६-४९ धर्मसूत्र । विवेचन किया गया है:-चातुवर्ण्य में आवश्यक नित्याचार बौधायन श्रौतसूत्र-कालेन्ड के अनुसार, बौधायन के नियम, पंचमहायज्ञ एवं अन्य यज्ञ यथासांग करने के का श्रौतसूत्र उपलब्ध श्रौतसूत्रों में प्राचीनतम है। उस लिए आवश्यक वस्तु, विवाह के नानाविध प्रकार, प्रायश्चित्त, सूत्रग्रंथ में 'वैध' एवं 'कर्मान्त' नामक दो स्वतंत्र नियोग संतति उत्पन्न करने के लिए आवश्यक नियम, . . अध्याय सम्मीलित है, जिनमें द्वैध अध्याय में श्राद्धविधि, प्राणायाम, अघमर्षण एवं जप आदि। . तैत्तिरीय शाखा के बहुत सारे पूर्वाचार्यों के मत उद्धृत बौधायन धर्मसूत्र में वेद, तैत्तिरीय संहिता, तैत्तिदीय . किये गये है। इस सूत्रग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद वैदिक ब्राह्मण, तैत्तिरीय आरण्यक, शतपथ ब्राह्मण, उपनिषदों, संशोधक मंडल (पूना) के द्वारा प्रकाशित किये गये 'श्रौतकोश' नामक ग्रंथ में प्राप्त है। निदान आदि ग्रंथों से उद्धरण लिये गये हैं। ऋग्वेद के अघमर्षण एवं पुरुषसूक्त ये दोनो ही सूक्त बौधायन ने । बौधायनधर्मसूत्र-कृष्ण यजुर्वेद के तीन प्रमुख लिये हैं। उसी तरह बौधायन ने औपंजाधनि, कात्य, आचार्यो में काण्व बोधायन, आपस्तंब, एवं हिरण्यकेशिन् काश्यप प्रजापति आदि धर्मशास्त्रकारों का उल्लेख अपने ये तीन प्रमुख माने जाते हैं। उनमें से भी कण्व बोधायन | ग्रंथों में किया है। प्राचीनतम था, एवं कृष्ण यजुर्वेदियों के ब्रह्मयज्ञांगतर्पण में उसका निर्देश बाकी दो आचार्यो के पहले किया जाता | ___ शबर, कुमारिल, मेधातिथि आदि टीकाकारों ने है। किन्तु जो 'बौधायनधर्मसूत्र' वर्तमान काल में उपलब्ध बौधायन धर्मसूत्र का उल्लेख अपने ग्रंथों में किया है। है, वह निश्चित रूप में आपस्तंब धर्मसूत्र के उत्तरकालीन उसी तरह विश्वरूप में, एवं मिताक्षरा में बौधायन है । यह प्रायः उपनिषदों से भी उत्तरकालीन है, क्यों कि, के चौथे प्रश्न के अनेक सूत्र उद्धृत किये गये हैं। इसके धर्मसूत्र में छांदोग्य उपनिषद से मिलताजुलता | बौधायन धर्मसूत्र में गणेश की पूजा का निर्देश प्राप्त एक उद्धरण प्राप्त है। है, एवं उसमें गणेश के निम्नलिखित नामान्तर दिये गये आपस्तंब की तुलना में बौधायन, गौतम एवं वसिष्ठ है:- विघ्न, विनायक, स्थूल, वरद, हस्तिमुख, वक्रतुंड, ये उत्तरकालीन धर्मसूत्रकार अधिक प्रगतिशील विचारों लंबोदर (बौ. ध. २.५.२१)। उस ग्रंथ में रवि, चंद्र, के प्रतीत होते है । नियोगजनित संतति आपस्तंब मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि आदि राशियों के ग्रहों तिरस्करणीय मानता है (आप. २.६.१३.१-९)। किन्तु का, तथा राहु एवं केतु ग्रहों का निर्देश प्राप्त है (बौ. ध. गौतम, बौधायन एवं वसिष्ठ के द्वारा विशेष प्रसंगों में | २.५.२३)। विष्णु के बारह नाम भी उस ग्रंथ में दिये नियोग स्वीकार किया गया है। गये है (बौ. ध. २.५.२४)। रंगभूमि पर अभिनय शबर के द्वारा लिखित धर्मशास्त्र का काल ५०० ई. के करना, एवं अभिनय सिखाना इन दोनो कार्यों की गणना पूर्व का माना जाता है। शबर के काल में 'बौधायनधर्म- | बौधायन के द्वारा ' उपपातको' में की गयी है (बौ. ध.
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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