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________________ पाण प्राचीन चरित्रकोश बादरायण ___ उषा-अनिरुद्ध विवाह-तत्पश्चात् कृष्ण ने इसे बड़े ३. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.६२)। सम्मान के साथ द्वारका बुलाया, एवं उषा तथा अनिरुद्ध बादरायण-एक आचार्य, जिसने ब्रह्मसूत्रों की रचना का विवाह संपन्न कराया । विवाहोरान्त कृष्ण ने इसे बड़े | की थी (जै. सू. १.१.५, २.१९, १०.८.४४; ११.१. स्नेह से बिदा किया। इसने उषा के अनिरुद्ध से उत्पन्न | ६४)। बदर का वंशज होने से इसे यह नाम प्राप्त हुआ पुत्र को अपने राज्य का उत्तराधिकारी बनाया, जिससे | होगा। प्रतीत होता है कि इसको कोई पुत्र न था (शिव. रुद्र. यु. वैष्णव भागवत' में, कृष्णद्वैपायन व्यास एवं बादरायण ५९)। किन्तु ब्रह्मांड में इसकी पत्नी लोहिनी से उत्पन्न | एक ही व्यक्ति माने गये है (भा. ३.५.१९)। स्वयं शंकराइसके 'इंद्रधन्वन्' नामक पुत्र का निर्देश प्राप्त हैं | चार्य भी ब्रह्मसूत्रों के रचना का श्रेय बादरायण को प्रदान (ब्रह्मांड. ३.५.४५)। करते है (ब्र. सू. ४.४.२२)। किन्तु संभवतः ब्रह्मसूत्रों इसे "अनौपम्या' नामक और भी अनेक पत्नियाँ थीं, | की मूल रचना जैमिनि के द्वारा हो कर, उन्हे नया जिनका निर्देश पद्म एवं मत्स्य में प्राप्त है (पद्म. १४ | संस्कारित रूप देने का काम बादरायण ने किया होगा। मत्स्य. १८७. २५)। सुरेश्वराचार्य ने अपने 'नैष्कर्म्यसिद्धि' नामक ग्रंथ में वैसा 'नित्याचार पद्धति' नामक ग्रंथ के अनुसार, बाण के | स्पष्ट निर्देश किया है (नैष्कर्म्य, १.९०)। द्रमिडाचार्य द्वारा चौदह करोड शिवलिंगों की स्थापना देश के विभिन्न | ने भी अपने 'श्रीभाष्यश्रुतप्रका शिका' नामक ग्रंथ में भागों में की गयी थी। ये लिंग 'बाणलिंग' नाम से | सर्वप्रथम वंदन जैमिनि को किया है, एवं उसके पश्चात् सुविख्यात थे। नर्मदा गंगा आदि पवित्र नदियों में प्राप्त | बादरायण का निर्देश किया है। शिवलिंगाकार पत्थरों को भी, बाणासुर के नाम से | कई विद्वानों के अनुसार, बादरायण एवं पाराशर्य व्यास 'बाणलिंग' कहा जाता है (नित्याचार. पृ. ५५६)। दोनो एक ही व्यक्ति थे। किन्तु सामविधान ब्राह्मण में बाणकथा का अन्वयार्थ-सदाचारसंपन्न एवं परम दिये गये आचार्यों के तालिका में इन दोनों का स्वतंत्र ईश्वरभक्त हो कर भी. जिन असुरों का देवों के द्वारा निर्देश किया गया है, एवं इन दोनों में चार पीढीयों का अत्यंत निघृणता के साथ संहार किया गया, उन असुरों अंतर भी बताया है। बादरायण स्वयं अंगिरसकुल का •में बाण प्रमुख था । इसके वंश में से इसका पिता बलि, था (आप. श्री. २४.८-१०), एवं इसके शिष्यों में इसका प्रपितामह प्रह्लाद, एवं इसका पितुःप्रपितामह | तांडि एवं शाट्यायनि ये दोनो प्रमुख थे। पाराशर्य व्यास 'हिरण्यकशिपु इन सारे राजाओं को देवों के साथ लड़ना अंगिरसकुल का न हो कर वसिष्ठकुल का था । पड़ा। इससे प्रतीत होता है कि, देव एवं दैय जातिओं | बादरि-बादरायण-भिन्नता-जैमिनिसूत्रों में निर्दिष्ट • के पुरातन शत्रुत्व के कारण ये सारे युद्ध उत्पन्न हुए थे। बादरि नामक आचार्य एवं बादरायण दो स्वतंत्र व्यक्ति *पिढियों से चलता आ रहा यह शत्रुत्व किसी व्यक्ति का | थे। क्यों कि, बादरायण के मतों से विपरीत बादरि के व्यक्तिगत शत्रुत्व न हो कर, दो जातिओं का संघर्ष था | अनेक मतों का निर्देश 'बादरि सूत्रों' में प्राप्त है। (बलि वैरोचन देखिये)। बाण की जीवनकथा में शैव | बादरायण देह का भाव तथा अभाव इन दोनों को मान्य एवं वैष्णवों के परंपरागत संघर्षो की परछाइयाँ भी अस्पष्ट करता है । इसके विपरीत, बादरि देह की अभावयुक्त रूप से दिखाई देती है। अवस्था को ही मानता है। इस मतभिन्नता से दोनों | आकाश में तैरती हुयी बाण की शोणितपुर राजधानी | आचार्य अलग व्यक्ति होने की संभावना स्पष्ट होती है किसी पर्वतीय प्रदेश में स्थित नगरी के ओर संकेत | (ब. सू. ४. ४.१०-१२)। करती है । शोणितपुर को लोहितपुर एवं बाणपुर नामान्तर | सत्याषाढ के गृह्यसूत्र में इसके गर्भाधान विषयक मतों भी प्राप्त थे. (त्रिकाण्ड, ३२. १७; अभि. १३३. का निर्देश प्राप्त है, जिसमें यह विधि स्त्री को प्रथम ऋतु ९७७)। आसाम में स्थित ब्रह्मपुत्रा नदी का प्राचीन | प्राप्त होते ही करने के लिये कहा गया है (स. गृ. १९. नाम भी लोहित ही था। इससे प्रतीत होता है कि, बाण | ७.२५)। का राज्य सद्यःकालीन आसाम राज्य के किसी पहाडी | ब्रह्मसूत्र-बादरायण के द्वारा रचित 'ब्रह्मसूत्र' के में बसा होगा। यह पहाडी अत्यंत दुर्गम होने के कारण, कुल चार अध्याय, सोलह पाद, एक सौ बयानबे अधिदेवों के लिये बाण अजेय बना होगा। | करण एवं पाँच सौ पछपन सूत्र हैं। इस ग्रंथ को उत्तर प्रा. च. ६४] ५०५ रिसाइदता है।
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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