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बलराम
प्राचीन चरित्रकोश
बलानीक
विशालकाय श्वेतसर्प बाहर निकला, जिसका श्रीकृष्ण को दर्शन हुआ (म. मौ. ५.१२-१६ ) । इसके मृत देह पर इसकी पत्नी रेवती सती हो गयी ( पद्म. उ. २५२ ) ।
अपने द्वितीय यात्रा के लिये यह निकलनेवाला ही था कि, शल्य ने इसके सम्मुख आकर भीम एवं दुर्योधन के गदायुद्ध की वार्ता इसे सुनाई । अपने दो प्रिय शिष्यों के युद्ध की वार्ता सुन कर, यह शीघ्र ही द्वैपायन हृद नामक युद्धस्थान में चला आया । इसने उस युद्ध को टालने का काफी प्रयत्न किया, किन्तु दोनो प्रतिपक्षियों ने इसकी एक न सुनी। इस पर क्रुद्ध हो कर, यह द्वारका चला गया ( .मा. १०.७८-७९ ) ।
महाभारत के अनुसार, दुर्योधन एवं भीम के दरम्यान हुए गदायुद्ध में भीम ने कपट से दुर्योधन का वध किया | इस कारण बलराम भीम पर अत्यधिक क्रुद्ध हुआ, एवं भीम को मारने दौड़ा। किन्तु कृष्ण ने इसे दुर्योधन के सारे कुकृत्यों की याद दिला कर, इसका क्रोध शान्त किया ( म. श. ५९. १४-१५ ) ।
तीर्थयात्रा का द्वितीय पर्व—भागवत में इससे की गयी यात्रा के द्वितीय पर्व का सविस्तृत वर्णन प्राप्त है। उस यात्रा में इसने निम्नलिखित पवित्र स्थानों के दर्शन कियें:– सरयु, हरिद्वार, गोमती, गंडकी, विपाशा, शोणभद्र, गया, परशुराम क्षेत्र, सप्तगोदावरी, वैणा, पंपा, भीमरथी, शैलपर्वत, वेंकटगिरी, कामोष्णी, कांची, कावेरी, श्रीरंग, मदुरा, सेतुबंध, कृतमाला, ताम्रपर्णी, अगस्त्याश्रम, . दुर्गादेवी, अनंतपुर, पंचाप्सरा, केरल, त्रिगर्त, गोकर्ण, · भार्यादेवी, शूर्पारक, तापी, पयोष्णी, निर्विध्या, दंडकारण्य, नर्मदा, एवं मनु । इन सारे स्थानों की यात्रा समाप्त कर, यह कुरुक्षेत्र वापस आया ।
२. एक महाबली नाग ( म. अनु. १३२.८ ) । बलवर्धन - (सो. पूरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक । बलवाक - युधिष्ठिर की मयसभा मे उपस्थित एक ऋषि (म. स. ४.१२) ।
बला -- अत्रि की पत्नी ।
बलाक - (सो. अमा. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार पूरु राजा का, एवं वायु तथा विष्णु के अनुसार, अज राजा का पुत्र था। इसे बलाकाश्व नामांतर भी प्राप्त था ( बलाकाश्व देखिये) ।
२. एक आचार्य, जो विष्णु के अनुसार व्यास की ऋशिष्यपरंपरा में से शातपूर्ण का शिष्य था । भागवत में इसे जातुकर्ण का शिष्य कहा गया हैं ।
३. एक व्याध, जो जानवरों की शिकार कर अपने मातापिता एवं आश्रितों की जीविका चलाता था । एक बार इसने एक हिंसक श्वापद को मार डाला । उस श्वापद ने समस्त प्राणियों का अंत कर देने के लिये वर प्राप्त किया था, एवं इसी कारण ब्रह्मा ने उसे अंधा कर दिया था । उस श्वापद को मार देने के कारण, इस व्याध के उपर पुष्पों की वृष्टि हुई, तथा यह विमान पर बैठ कर स्वर्गलोक को चला गया ( म. क. ४९.३४-४१ ) ।
बलाकाश्व - (सो. अमा. ) एक राजा, जो न्हु का पौत्र एवं अज (सिंहद्वीप) का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम कुशिक था ( म. अनु. ७.४ ) । इसे बलाक नामांतर भी प्राप्त था ( बलाक १. देखिये) ।
श्रीकृष्ण का पौत्र अनिरुद्ध का विवाह विदर्भराजा - रुक्मिन् की पौत्री रोचना से संपन्न हुआ । उस समय, रूक्मिन् ने बल्लराम के साथ कपट से द्यूत खेलना चाहा, एवं उसने इसकी काफी निंदा भी की । क्रोधाविष्ट हो कर, बलराम ने द्यूत का सुवर्णमय पट रुक्मिन् को मार कर, उसका वध किया (ह. वं. २. ६१; रुक्मिन् देखिये ) । नरकासुर का मित्र द्विविद नामक वानर का भी इसने वध किया था ( विष्णु. ५. ३६ ) ।
भारतीय युद्ध के पश्चात् इसने द्वारकापुरी में मद्यपाननिषेध की आज्ञा जारी की था ( म. मौ. १.२९ ) । किंतु इसके अनुयायी यादवों ने इसकी एक न सुनी, एवं वे आपस में लड़कर मर गये । इस तरह सारे यादवों का संपूर्ण विनाश होने पर, इसने प्रभास क्षेत्र में यौगिकमार्ग से देहत्याग किया (म. मौ. ५.१२ - १५; भा. ११. ३०) । इसकी मृत्यु के पश्चात् इसके मुख से एक
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बलाकिन् – ( सो. कुरु. ) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक ( म. आ. ६१. परि. १. क्र. ४१ ) ।
२. एक ऋषि, जो अंगिराकुल का गोत्रकार था । बलाक्ष - एक प्राचीन नरेश, जो विराट के गोग्राहण के समय अर्जुन एवं कृपाचार्य का युद्ध देखने के लिये, इंद्र के विमान पर बैठ कर आया था ( म. वि. ५९.९ ) । बलाढ्य --एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था ।
बलानीक - - द्रुपद राजा का एक पुत्र, जो अश्वत्थामा द्वारा मारा गया ( म. द्रो. १३१.१२७ ) ।
२. मत्स्यराज विराट का भाई, जो भारतीय युद्ध में पांडवों के पक्ष में शामिल था ( म. द्रो. १३३.३५ ) ।