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________________ प्रमति. प्राचीन चरित्रकोश प्रमुच ८.१२-१३)। आस्तीकपर्व की कथा इसने रुरु को ३. यमराज के द्वारा स्कंन्द को दिये गये पार्षदों में से सुनाई थी (म. आ.५३.४६७ *)। एक । दूसरे पार्षद का नाम उन्माथ था (म.श.४४.२७)। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म के पास आये हुए | प्रमथिन्–एक राक्षस, जो दूषण राक्षस का छोटा ऋषियों में यह भी एक था। भाई था (म. व. २७१.१९-२०)। यह विश्रवस् ५. (सू. दिष्ट.) एक राजा, जो वायु के अनुसार जन- | ऋषि को बलाका राक्षसी से उत्पन्न पुत्रों में से एक था। मेजय का पुत्र था। भागवत के अनुसार, यह 'प्रजानि' यह कुंभकर्ण का अनुयायीं था। लक्ष्मण के साथ युद्ध राजा का ही नामांतर था (प्रजानि देखिये)। विष्णु में, | करते समय, यह वानर सेनापति नील द्वारा मारा गया इसे 'स्वमति' कहा गया है। था (म. व. २७१.२५)। ६. अमिताभ देवों में से एक। २. दूषण के प्रमाथ नामक अमात्य का नामांतर प्रमथ-एक रुद्रगण, जिन्होंने धर्माधर्मसंबंधी रहस्य | (प्रमाथ १. देखिये)। का कथन किया था (म. अनु. १३१)। ३. धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो भीम के द्वारा २. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक। मारा गया था (म. द्रो. १३२.११३५ *, पंक्ति २)। प्रमद--एक वसिष्ठपुत्र, जो उत्तम मन्वंतर के ४. घटोत्कच का साथी एक राक्षस, जिसका दुर्योधन सप्तर्षियों में से एक था (भा. ८.१.२४)। द्वारा वध हुआ था (म. भी. ८७.२०)। २. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र था। प्रमाथिनी-एक अप्सरा, जो अर्जुन के जन्मोत्सव प्रमद्वरा--एक अप्सरा, जो मेनका को विश्वावसु के समय उपस्थित थी (म. आ. ११४.५२)। गंधर्व द्वारा उत्पन्न हुयी थी। स्थूलकेश नामक ऋषि ने प्रमाद-वसिष्ठ का पुत्र, जो उत्तम सावर्णि मन्वन्तर इसका पालनपोषण कर, इसका विवाह. रुरु ऋषि से कर के सप्तर्षियों में से एक था। दिया (म. आ. ८.२, १३; अनु. ३०.६५)। रुरु से प्रमिति-च्यवन ऋषि पुत्र प्रमति का नामांतर (प्रमति इसे शुनक नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। ४. देखिये)। . एक बार साँप ने इसे काटा, जिससे इसकी मृत्यु हो | प्रमिला-हिमालय-प्रदेश में स्थित 'स्त्रीराज्य' की गयी, फिर पति की आयु से यह पुनः जीवित हो गयी | स्वामिनी । (म. आ. ९.१५)। भारतीय युद्ध के उपरांत, पांडवों द्वारा किये गये प्रमंथ--(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो वीरव्रत राज | अश्वमेध का घोडा भ्रमण करता हआ इसके राज्य में के दो पुत्रों में से कनिष्ठ था। इसकी माता का नाम भोजा आया था, जिसे इसने पकड कर अपने अधिकार में कर था (भा. ५.१५.१५)। लिया। घोडे के संरक्षण के लिए अन्य महारथियों के साथ . प्रमंदनी-अथर्ववेद में निर्दिष्ट एक अप्सरा (अ. वे. | वीर अर्जुन भी था। घोडे के पकडे जाने पर इसका तथा ४.३७.३ )। मूलतः यह शब्द किसी मधुर गंधयुक्त लता अर्जुन का घोर युद्ध हुआ, जिसमें यह अत्यधिक वीरता का नाम है (कौ. स. ८.१७)। के साथ लढ़ी तथा अर्जुन के छक्के छुडा दिये । प्रमंधु--एक यक्ष, जो हरिश्चन्द्र राजा के धन का अर्जन की असमर्थता देख कर आकाशवाणी हुयी, संरक्षक था। इसके शरीर की दुर्गध को विश्वामित्र ने | 'अर्जुन, तुम प्रमिला को युद्ध में परास्त कर के घोड़ा वापस तीर्थोदक की सहायता से दूर किया था ( स्कंद. २.८.७)।। नहीं ले सकते । यदि तुम्हें अश्वमेध के घोडे की रक्षा ही _प्रमर-ऋग्वेद में निर्दिष्ट एक व्यक्ति (ऋ. १०.२७. | करनी है, तो इससे सन्धि कर, विवाह कर के सफलता २०)। .. प्राप्त करो। प्रमाथ--एक राक्षस, जो खरदूषण नामक राक्षसों का अर्जुन ने आकाशवाणी की आज्ञानुसार, प्रमिला से अमात्य था (वा. रा. अर, २३.३३)। वाल्मीकि | सन्धि करके उससे विवाह किया, तथा अश्वमेध के घोडे रामायण में अन्यत्र इसे प्रमाथिन् कहा गया है । इसका | को छुड़ा लिया (जै. अ. २१-२२)। 'वध राम ने किया ( वा. रा. अर. २६.२१)। प्रमुच--दक्षिण दिशा में रहनेवाला एक महर्षि (म. २. राम की सेना का एक वानर । शां. २०१.२७)। ४७५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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