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प्रघस
प्राचीन चरित्रकोश
प्रजंघ
प्रघस-रावण के पक्ष का एक राक्षस, जो हनुमान् | स्मृतिकारोंकी तालिका में दिया गया है। किंतु याज्ञवल्क्य के द्वारा मारा गया ( वा. रा. सु. ४६. ३७; म. व. | स्मृति में इसका निर्देश उपलब्ध नहीं है। २६९.२)।
नित्यकर्म, श्राद्ध, अशौच, एवं प्रायश्चित के संबंध में २. एक राक्षस, जो सुग्रीव के द्वारा मारा गया (वा. | प्रचेतस् के मतों के गद्य उद्धरण 'मिताक्षरा', 'अपरार्क' रा. यु.४३)।
‘स्मृतिचंद्रिका', एवं 'हरदत्त' (गौतम. २३) में प्राप्त ३. राक्षस एवं पिशाचों के दल (म. व. २८५. | हैं। अशौच एवं प्रायश्चित के संबंध में इसने अपने 'बृह१ - २)।
| प्रचेतस' नामक ग्रंथ में दिये मतों का निर्देश 'मिताक्षरा' प्रघसा--एक राक्षसी, अशोकवन में सीता के रक्षणार्थ | (याज्ञ. ३.२०.२६३-२६४)। 'हरदत्त' (गौतम. २२ नियुक्त की गयी थी (वा. रा. सु. २४.४१)। १८), तथा अपरार्क में किया है।
२. स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. ४५.१६ ।) | "रसोइया, शिल्पकार, वैद्य, दासदासी, राजा एवं प्रघास-लेखदेवों में से एक ।
राजा का अधिकारीवर्ग, इन लोगों को अशौचपालन
करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा इसका अभिमत था प्रघोष--श्रीकृष्ण का लक्ष्मणा से उत्पन्न एक पुत्र |
(याज्ञ. ३.२७)। प्रचेतस् के इस श्लोक का मेधातिथि (भा. १०. ६१. १५)।
ने स्मृति की तरह निर्देश किया है (मनु. ५.६०)। किंतु प्रचंड-एक राक्षस, जिसने त्रिपुरासुर एव शंकर के वहाँ प्रचेतस् के नाम का निर्देश नही किया गया है। . युद्ध में कार्तिकेय से युद्ध किया था (गणेश. १.४३)। इस उद्धरण से जाहिर है कि, मनु एवं विष्णु जैसे श्रेष्ठ
२. एक गोप, जिसके घर जाबालि ऋषि ने चित्रगंधा | स्मृतिकारों में प्रचेतस् का निर्देश मेधातिथि के काल में गोपी के रुप में जन्म लिया था।
हुआ करता है। ३. विष्णु का एक पार्षद।
___ इसके द्वारा लिखित 'वृद्धप्रचेतस्' नामक और भी : प्रचिन्वत्--(सो. पूरु.) एक पूरूवंशीय राजा, | एक ग्रंथ था, जिसके उद्धरण 'मिताक्षरा' एवं 'अपराक' . भागवत एवं विष्णु के अनुसार, जनमेजय (प्रथम) का | में दिये गये है। पुत्र था। इसे प्राचिन्वत् नामांतर भी प्राप्त है। ४. लेखदेवों में से एक। प्रचेतस--एक प्रजापति, जो ब्रह्मा के मानसपुत्रों में
५. पारावत देवों में से एक। ... से एक था (वायु. ६५.५३-५४)।
६. प्रसूत देवों में से एक। २. प्राचीनबर्हिष तथा समुद्रतनया सवर्णा के दस पुत्रों | ७.(सो. ह्य.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार का सामूहिक नाम। भागवत में इसके माता का नाम | 'दुर्मन' राजा का, विष्णु के अनुसार 'दुर्गम' का, एवं शतद्रुती दिया गया है (भा. ४.२४.१३)।
मत्स्य के अनुसार, 'दुर्दम' का पुत्र था । इसे 'सुचेतस्' ये दस प्रचेतस् धनुर्वेद में पारंगत थे (विष्णु. १.१४.
नामांतर भी प्राप्त है। . . ६; ह. वं. १.२.३३)। इन्होंने समुद्रजल में रहकर दस
इसके प्राचेतस नामक सौ पुत्र थे, जो उत्तर दिशा में हजार वर्षों तक तपस्या की । उस समय पृथ्वी पर जंगल ही
| जा कर म्लेंच्छ लोगों के राजा बन गये। इस प्रकार जंगल थे । वृक्षों की वृद्धि को देखकर, प्रचेतस् जंगलों को नष्ट
| इसका 'द्रुह्यु' वंश. विनष्ट हो गया। करने लगे। तब वृक्षों के अधिपति सोम ने इन्हें वृक्षों को
८. भार्गवकुल का एक मंत्रकार । नष्ट करने से रोका, तथा भेंट के रूप में वृक्षकन्या वार्षी
९. वरुण का नामांतर (भा. ७.१२.२८; म. स. ७. अथवा मारिषा इन्हें अर्पित की (मारिषा देखिये)। दस
१४)। प्रचेतसो द्वारा मारिषा से दक्ष नामक पुत्र हुआ। वही
| प्रचेतस आंगिरस-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.१०. पुत्र दक्ष प्रचेतस तथा दक्ष प्रजापति नाम से प्रसिद्ध हुआ | १६४)। (विष्णु, १.१५.१-९; है. वं. १.२.४६ )। इसी प्राचेतस प्रचेष्ट-तालध्वज नगर के माधव नामक राजकुमार दक्ष से, आगे चल कर 'मैथुनज' मानवसृष्टि का प्रारम्भ | का सेवक (माधव ५. देखिये; पद्म. क्रि. ५)। हुआ।
। प्रजंघ-रावण के पक्ष का एक राक्षस, जो अंगद । ३. एक स्मृतिकार, जिसका निर्देश पराशरस्मृति में प्राप्त | द्वारा मारा गया (वा. रा. यु. ७६.२७)।