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________________ पृषत प्राचीन चरित्रकोश पृषत--(सो. नील.) उत्तर पांचाल देश का एक पृषध्र--एक राजा, जो वैवस्वत मनु का नवाँ पुत्र था। राजा, जो भरद्वाज ऋषि का मित्र एवं द्रुपद राजा का पिता इसकी माता का नाम संज्ञा था (म. आ. ७०.१४; ह. था (म. आ.१५४.६; ह. वं. १.३२.७९-८०)। विष्णु वं. १.१०.२)। भागवत के अनुसार, इसकी माता और वायु के अनुसार यह, सोमक राजा का पुत्र था। श्रद्धा थी (भा. ९.१.१२)। च्यवन ऋषि का यह भागवत में इसे 'जंतु' राजा का पुत्र कहा गया है। शिष्य था। उत्तर पांचाल देश का राजा सुदास अत्यंत पराक्रमी था, महाभारत के अनुसार यह प्रातःसायंकालीन कीर्तन किन्तु सुदास के पश्चात् पुरु एवं द्विमीढ राजाओं ने उत्तर करने योग्य राजाओं में से एक है. क्योंकि इसको स्मरण पांचाल देश पर आक्रमण कर के उसे जर्जरित कर दिया। करने से धर्म की प्राप्ति होती है (म. अनु. १६५.५८द्विमीढ़ राजा उग्रायुध ने सुदास राजा के नाती एवं पृषत | ६०) इसने कुरुक्षेत्र में तपस्या करके स्वर्ग प्राप्त किया राजा के पितामह सोमक का वध किया, एवं उत्तर पांचाल | था (म. आश्र. २६.११)। का राज्य जीत लिया। इस तरह राज्य से पदच्यत हआ | पृषध्र के कुल दस भाई थे, जिनके नाम इस प्रकार राजकुमार पृषत् दक्षिण पांचाल देश के कांपिल्य नगरी है:-श्राद्धदेव (सौतेला भाई), इक्ष्वाकु, नृग, शांति, में भाग गया। तत्पश्चात् उग्रायुध ने कुरु राज्यपर आक्रमण दिष्ट, धृष्ट, करुषक, वरिष्यन्त, नभग तथा कवि । कई किया किन्तु कुरु राजा भीष्म ने उसे पराजित कर उसका अन्य ग्रन्थों में इसके कई और भाइयों के नाम भी प्राप्त वध किया। है (मनु देखिये)। पश्चात् भीष्म ने पृषत को उत्तर पांचाल देश देकर २. एक ब्राह्मणपुत्र । गुरुगृह में शिक्षा प्राप्त करते पुनः राज्यगद्दी पर बिठाया। हुए, एक दिन इसने एक सिंह को देखा कि वह गाय को . पृषत राजा के पुत्र का नाम द्रुपद था इसी कारण द्रुपद | मुँह में दबाये आश्रम से लिये जा रहा है। गाय की रक्षा .. को पार्षत कहते थे । उत्तर पांचाल देश में गंगाद्वार में के हेतु इसने अपना खड्ग शेर को मारा, पर सायंकाल - भरद्वाज ऋषि का आश्रम था। भरद्वाज पृषत राजा का के समय अंधेरा हो जाने के कारण, वह खड्ग गाय को. मित्र भी था। इसी कारण पृषत् ने अपने पुत्र द्रुपद को | लगा और वह तत्काल मर गयी। दूसरे दिन गुरु को जैसे भरद्वाज ऋषि के यहाँ विद्या अध्यपन के लिये भेजा था। ही यह समाचार ज्ञात हुआ उसने पृषध्र को उत्पाति तथा भरद्वाजपुत्र द्रोण एवं द्रुपद में पहले बडी मित्रता थी।। उद्दण्ड समझकर तत्काल शाप दिया, 'तू शूद्र हो जा'। पर बाद में दोनों एक दूसरे के कट्टर शत्रु बन गये। इस शाप के कारण, यह शूद्र होकर वन वन भटकता अपने शिष्य अर्जुन की सहायता से द्रोण ने उत्तर हुआ अन्त में दावानल से घिरकर मृत्यु को प्राप्त हुआ पांचाल का राज्य द्रुपद से जीत लिया एवं उसे दक्षिण (भा. ९.२.२-१४, ह. वं. १.११, वायु, ८६.२४.२, पांचाल देश की ओर भगा दिया। (द्रुपद देखिये; ह. ब्रह्मांड. ३.६१.२, ब्रह्म. ७.४३ लिंग. १.६६.५२, मत्स्य. , वं. १.२०७४-७५, म. आ. १२८१५)। १२.२५; अग्नि. २७२.१८; विष्णु..४.१.१३; गरुड. पृषदश्व--(सू. नाभाग.) एक राजा । भागवत, विष्णु | १.१३८.५, पन. स. २)। तथा ब्रह्मांड के अनुसार यह विरूप राजा का पुत्र था। ३. द्रुपद का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में अश्वत्थामा इसके पुत्र का नाम रथीवर था। अंगिरस ऋषि की सेवा | की सेवा द्वारा मारा गया था (म. द्रो. १६१.१२९)। करने के कारण इसने ब्राह्मणपद प्राप्त किया एवं. यह पृषध्र काण्व-एक वैदिक सूक्तदृष्टा (ऋ. ८.५९)। अंगिरस गोत्र का मंत्रकार हुआ। पाठभेद (भांडारकर ऋग्वेद के बालखिल्य सूक्त में मी इसका निर्देश प्राप्त है। संहिता)-- ‘रुपदश्व। वहाँ मेध्य एवं मातरिश्वन के साथ इसका उल्लेख आया २. (सू. इ.) एक राजा। विष्णु के अनुसार यह है (ऋ. ८.५२.२)। अनरण्य राजा का पुत्र था। वायु में इसे त्रसदश्व कहा पृषध्र मध्य मातरिश्चन्--एक वैदिक राजा, जो गया है। प्रकण्व का प्रतिपालक था (सां. श्री. १६.११.२५-२७)। ३. यम की सभा का एक क्षत्रिय राजा (म. स. ८. पृष्टध्र-वायु के अनुसार, व्यास की सामशिष्य १३)। इसे अष्टक राजा के द्वारा खड्ग की प्राप्त हुयी परंपरा में हिरण्यनाभ ऋषि का एक शिष्य। . थी (म. शां. १६०.७९)। । पेदु-एक वैदिक राजा, जो अश्विनियों का. आश्रित ४५४
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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