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पूषन
जिनके हाथ न हों, ऐसे लोगों के यशकार्य यह करने लगा (भा. ४. ७. ४-५ ) ।
२. बारह आदित्यों में से एक ( भा. ६.६.३९, पद्म. स. ६, म. आ. ५९.१५ ) | यह तपस् ( माप) माह में प्रकाशित होता है ( भा. १२.११.३४ ) । कई ग्रन्थों के अनुसार, यह पौष माह में प्रकाशित होता है ( भवि. ब्राह्म. ७.८ ) । भागवत के अनुसार, दक्षयज्ञ में उपस्थित पूषन् तथा यह दोनों एक ही थे ( भा. ६.६. ४३) । महाभारत में भी, भगवान् शंकर द्वारा इसके दाँत तोड़ने का निर्देश प्राप्त है ( म. द्रो. १७३.४८ ) । किन्तु दशवंश का पूपन एवं द्वादशादित्यों में से एक पूषन् संभवतः दो अलग व्यक्ति थे । क्यों कि, स्वायंभुव मन्वन्तर में द्वादशादित्य अस्तित्व में नहीं थे। उन्हें दक्ष ने यज्ञ कर के वैवस्वत मन्वन्तर में उत्पन्न किया था ।
इसने स्कंद को 'पालितक' एवं 'कालिका' नामक दो पार्षद प्रदान किये थे ( म. श. ४४.३९ ) ।
पमित्र गोभिल - एक वैदिक ऋषि, जो अथमित्र गोभिल का शिष्य था । इसके शिष्य का नाम सगर था (वं. बा. ३)
पृथ -- रौच्य मनु के पुत्रों में से एक ।
प्राचीन चरित्रकोश
पृथग्भाव- चाक्षुष मन्वन्तर का एक देवगण | पृथवान – दुःशीम नामक उदार दाता का नामांतर (ऋ. १०.९३.१४) ।
पृथा-पांडयों की माता कुंती का नामांतर | वह शूरसेन यादव की कन्या थी, एवं संसार की अनुपम सुंदरी मानी जाती थी। कुम्ती या कुंतिभोज राजा ने इसे गोद लिया था (भा. ९.२४.१९, पद्म. . १२) । । पृथाश्व-- एक प्राचीन नरेश, जो यमसभा में रह कर उसकी उपासना करता था (म. स. ८.१८)। पाठभेद (भांडारकर संहिता ) - ' पृथ्वश्व ' । पृथिन वैन्यम्य राजा का नामांतर (पृथु वैन्य देखिये) ।
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पृथिवी' यावापृथिवी नामक देवताद्वय में से एक । ॠग्वेद में इसे सर्वत्र माता एवं देवता कह कर, इस पर अनेक सूक्त रचे गये है ( द्यावापृथिवी देखिये)। पृथिवीजय वरुण की सभा का एक असुर (म. स. ९.१२ ) ।
पृथु - - ( स्वा. नाभि ) एक राजा । विष्णुमतानुसार यह प्रसार राजा का पुत्र था।
२. दक्षसावर्णि मनु का पुत्र ।
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पृयु
२. तामसमनु का पुत्र ।
४. तामस मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक । ५. आदि अष्ट वसुओं में से एक। भाइयों के कथनानुसार इसने वसिष्ठ की गाय चुराई। अतः वसिष्ठ ने इसे तथा इसके अन्य भाइयों को शाप दिया, 'तुम्हें मनुष्य जन्म प्राप्त होगा ।' बाद में यह शंतनु से गंगा के उदर में अपने अन्य भाइयों के साथ जन्मा । परंतु द्यु को छोड़ कर, अन्य वसुओं को जन्मतः ही पानी में डुबों देने के कारण, यह पुनः वसु के जन्म में आया ( म. आ. ९३)।
६. ( इ. ) एक राजा । भागवत तथा विष्णु के अनुसार, यह इक्ष्वाकुवंशीय अनेनस् राजा का पुत्र था । वायु में अनेनस् को पृथुरोमन् नामांतर दिया गया है।
इसने सौ यज्ञ किये थे । इसके पुत्र का नाम विश्वगश्व थाम. १९३२ - २) रामायण में इसे अनरण्य राजा का पुत्र कहा गया हैं, और इसके पुत्र का नाम त्रिशंकु दिया गया है ( वा. रा. वा. ७०.२४) ।
७. (सो. अज.) एक राजा । विष्णु तथा मस्त्य के अनुसार यह पार द्वितीय राजा का पुत्र था। इसे वृषु नामांतर भी प्राप्त है।
८. (सो. नील. ) एक राजा मस्य के अनुसार यह पुरुजानु राजा का पुत्र था ( चक्षु २. देखिये )
९. (सो. वृष्णि ) एक राजा । भागवत के अनुसार यह चित्ररथ राजा का पुत्र था।
१०. (सो. वृष्णि. ) एक राजा । मत्स्य के अनुसार वह अक्रूर का पुत्र एवं इसकी माता का नाम अचिनी है ।
के अनुसार यह सनक राजश का पुत्र था। वह द्रौपदी ११. (सो. वृष्णि. ) एक वृष्णिवंशीय राजा । भागवत रुचक ।
स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. १७७.१७) । रेवतक पर्वत के उत्सव में यह शामिल था ( म. आ. २११. १०) हरिबंश में इसे 'पृथुरुम' कहा गया है। संभव है, पृथु तथा रुक्म को मिलाकर ही इसे यह नाम प्रात हुआ हो ।
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१२. शुक के पाँच पुत्रों में से प्रभु का नामांतर
१३. ऋग्वेद में निर्दिष्ट एक मानव संघ (ऋ. ७.८३. १ ) । इनका निर्देश प्रायः 'पर्शु ' लोगों के साथ आता है | लुडविग के अनुसार, आधुनिक पार्शियन एवं पर्शियन खोग ही प्राचीन 'पृथु एवं पशु लोग होंगे। ' '
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