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________________ पुरुकुत्स प्राचीन चरित्रकोश पुरुमित्र किये अश्वमेध यज्ञ की ओर संकेत करता है (सा. ऋ. के समान विविध रंगी थे (म. द्रो. २२.३९)। दुर्मुख ९६-१०२)। के साथ इसका युद्ध हुआ था (म. द्रो. २४.३८)। द्रोण ___पुराणों में भी पुरुकुत्स का निर्देश कई बार प्राप्त है। ने इसका वध किया था (म. क. ४.७३)। मृत्यु के भागवत, विष्णु तथा वायु के अनुसार, यह इक्ष्वाकुवंशीय पश्चात् , यह यमसभा में यम की उपासना करने लगा राजा मांधाता का बिंदुमती से उत्पन्न पुत्र था । नागकन्या (म. स. ८.१८)। नर्मदा इसकी पत्नी थी। । ३. (सो. कोष्टु.) एक राजा । भागवत के अनुसार, नागों से शव्रता करनेवाले गंधवों का इसने नाश किया यह ऋचक राजा के पाँच पुत्रों में से ज्येष्ठ था। जिस कारण नागों ने इसे वर दिया, 'तुम्हारा नाम लेते ४. (सो. कुकुर.) एक राजा । भागवत के अनुसार, ही, किसी भी आदमी को सर्पदंश के भय से छुटकारा यह वसुदेव का भाई एवं अपने पिता आनक के दो प्राप्त होगा' (भा. ९.६.३८, ९.७.३)। पुत्रों में से कनिष्ठ था (भा. ९.२४.४१)। इसकी माता इसके वसुद, त्रसदस्यु, तथा अनरण्य नामक तीन पुत्र का नाम कंका था। थे। पद्म के अनुसार, इसके धर्मसेतु, मुचकुंद तथा | ५. श्रीकृष्ण तथा जांबवती के पुत्रों में से एक। शक्तमित्र नामक तीन भाई तथा दुःसह नामक एक पुत्र पुरुणीथ शातवनेय-वैदिककालीन एक यज्ञकर्ता था (पद्म. स. ८)। | ऋषि, एवं भारद्वाज लोगों का पुरोहित (ऋ. १.५९.७) . मत्स्य के अनुसार इसे 'पुरुकृत् ' नामांतर भी प्राप्त | 'शातवनेय' इसका यह नाम संभवतः शतवनी का पुत्र .. है । कुरुक्षेत्र के वन में तपस्या कर, इसने 'सिद्धि' | या वंशज होने की ओर संकेत करता है। भारद्वाज प्राप्ति की थी, जिस कारण यह स्वर्गलोक में पहुँच गया | लोगों से इसका घनिष्ठ संबंध था। ऋग्वेद में अन्य एक (म. आश्व. २६.१२.१३)। यह यम सभा में रह कर, स्थान पर, एक स्तावक के रूप में इसका निर्देश प्राप्त है. यम की उपासना करता था (म. स. ८.१३)। (ऋ. ७.९.६ )। पुरुकुत्स काप्य-एक क्षत्रिय राजा, जो तप से पुरुड-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का पुत्र था। ब्राह्मण बन गया था (वायु. ९१.११६ )। पुरुदम-अथर्ववेद में निर्दिष्ट एक स्तोता (अ.वे. . पुरुकुत्सानी-इक्ष्वाकुवंशीय पुरुकुत्स राजा की पत्नी पसल राजा की पत्नी | ७७.७३.१)। इसका निर्देश बहुवचन के रूप में प्राप्त है, एवं त्रसदस्यु राजा की माता (ऋ. ४.४२.९)। जिस कारण, यह किसी समूह का नाम प्रतीत होता है । पुरुकृत्-मत्स्य के अनुसार, इक्ष्वाकुवंशीय पुरुकुत्स पुरुद्वत्-(सो. क्रोष्टु.) एक राजा । मस्त्य के राजा का नामांतर (पुरुकुत्स 'ऐश्वाक' देखिये)। अनुसार, यह पुरूवस् का तथा वायु के अनुसार, यह पुरुज--(सो. नील.) एक नीलवंशीय राजा । भागवत महापुरुवेश का पुत्र था। पुरुद्वह--धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक। के अनुसार, यह सुशांति राजा का पुत्र था । विष्णु, वायु तथा मत्स्य में, इसे 'पुरुजानु' कहा गया है । कई अन्य २. (सो. क्रोष्टु) एक राजा । वायु के अनुसार यह पुराणों में, इसका 'पुरुजाति' नामांतर भी प्राप्त है (ह. पुरुद्वत् राजा का भद्रवती से हुआ पुत्र था (वायु. २४.४७)। वं.१.३२.६४; ब्रह्म. १३.८३)। पुरुपांथन-एक वैदिक राजा, जो भरद्वाज ऋषि पुरुजाति तथा पुरुजानु--नीलवंशीय पुरुज राजा का | का दाता था (ऋ. ह. ६.६३.१०) नामांतर (पुरुज देखिये)। पुरुमाय्य-एक वैदिक राजा, जो इन्द्र का आश्रित था पुरुजित्-(सू. निमि.) एक निमिवंशीय राजा।। (ऋ. ८.६८.१०)। संभवतः यह अतिथिग्य, ऋक्ष एवं भागवत के अनुसार, यह अज नामक 'जनक' राजा का अश्वमेध राजाओं का पिता अथवा रिश्तेदार था। सायण पुत्र था। इसके पुत्र का नाम अरिष्टनेमि था। के अनुसार, यह व्यक्तिवाचक नाम न हो कर, प्रियमेध २. एक राजा, जो कुन्तिभोज राजा का पुत्र एवं कुंती | राजा की केवल उपाधि थी। का भाई था। इसके दूसरे भाई का नाम भी कुन्तिभोज | पुरुमित्र--एक वैदिक राजा, जिसकी कन्या का नाम ही था (म. स. १३.१६-१७)। कमय था। कमद्य ने अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध . ___ भारतीय युद्ध में, यह पांडवपक्ष में शामिल था (म. विमद नामक ऋषि से विवाह किया था (ऋ१.११७.२०; उ. १६९.२; भी. २३.५)। इसके रथ के अश्व इंद्रधनु | १०.३९.७; विमद देखिये)। ४३२
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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