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________________ पिशाच प्राचीन चरित्रकोश पुंडरीका दुर्योधन की सेना में राजा भगदत्त के साथ पिशाचदेशीय | पुंडरीक-(सू. इ.) इक्ष्वाकुवंश का एक राजा । सैनिक थे (म. भी. ८३.८)। श्रीकृष्ण ने किसी समय | इसे पुंडरिकाक्ष भी कहते थे (पा. स्.८)। पिशाच देश के योद्धाओं को परास्त किया था (म. द्रो. यह नभ राजा का पुत्र था । इसे क्षेमधन्वन् अथवा १०.१६)। | क्षेमधृत्वन् नामक पुत्र था (क्षेमधृत्वन् पुंडरिक देखिये)। ३. एक यक्ष का नाम (म. स. १०.१५)। २. कश्यप वंश का एक नाग, जो पाताललोक में पिशाचि--पिशाच लोगों का नामांतर (पिशाच रहता था (म. उ. १०३.१३, बभ्रुवाहन देखिये)। दखिये)। ३. यम की सभा का एक सभासद (म. स. ८. पिशुन--कुरुक्षेत्र के कौशिक ब्राह्मण के सात पुत्रों | १४)। में से एक। इसके अन्य भाइयों में पितृवर्तिन् प्रमुख था | ४. एक तीर्थसेवी ब्राह्मण, जिसका नारद से 'सर्वो(पितृवर्तिन् देखिये)। त्तमतत्व' के संबंध में संवाद हुआ था (म. अनु. १८६, पीठ--नरकासुर का सेनापति, एक असुर । भगवान् | ३; पम. उ. ८०)। कृष्ण ने इसका वध किया (म. द्रो. १०.५, भा. १०. इसे भगवान् नारायण का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ था, ५९.१४)। एवं उसके साथ परमधाम की प्राप्ति भी हुयी थी (म. पीडापर-कश्यप एवं खशा के पुत्रों में से एक। | अनु. १२४)। पीतहव्य--वीतहव्य का नामांतर । ५. एक दिग्गज (म. द्रो. १२१.२५ बंबई प्रत)। . ६. एक राजा, जो अम्बरीष राजा का मित्र था । इन' पीतायुध--(सो. पूरु.) एक राजा । मत्स्य के | दोनों ने अधर्म का आचरण किया । बाद में पश्चाताप अनुसार, चारुपद इसीका नामांतर था (चारुपद | कर के इन्होंने जगन्नाथ की आराधना की, जिस कारण' देखिये)। | इन्हें भगवान का प्रत्यक्ष दर्शन हुआ, एवं मोक्ष की प्राप्ति । पीवर--तामस मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। हुयी (स्कंद. २.२.४-५)। पीवरी--अमिष्वान्त पितरों की कन्या तथा व्यास ७. नागपुर का नाग राजा । इसके दरबार में ललित ऋषि के पुत्र शुक की स्त्री। इसे कृष्ण, गौर, प्रभु, शंभु नामक एक गायक था । 'कामदा एकादशी का व्रत तथा भूरिश्रुत नामक पाँच पुत्र एवं कीर्तिमती नामक एक | करने के कारण इसका उद्धार हुआ (पझ. उ. ४०)। ' कन्या थी । कीर्तिमती का विवाह अणुह राजा से हुआ 'कामदाएकादशी' का माहात्म्य कथन करने के कारण था, एवं उससे उसे ब्रह्मदत्त नामक पुत्र हुआ था | इसकी कथा दी गयी है। (ब्रह्मांड. ३.१०.८०-८१)। ८. एक भगवद्भक्त, जिसका ' 30 नमो नारायणाय' पद्मपुराण में, इसके पुत्रों के नाम कृष्ण, गौरप्रभ एवं मंत्र से उद्धार हुआ। अंत में विष्णु इसे अपने साथ शंभ तथा कन्या का नाम कृत्वी बताया गया है (पन. | वैकुंठ ले गया (पन. उ.८१.)। स. ९-४०-४११; पुलह २. देखिये)। ९. एक भगवद्भक्त । यह विदर्भ नगर के मालव पितरों द्वारा उत्पन्न की गयी मानसकन्याओं में पीवरी नामक ब्राहाण का भतीजा था। इसके घर विष्णु एक मास एक थी (पितरः देखिये)। तक रहा था। इसका भरत नामक एक दुष्टचरित्र भाई पुंजिकस्थला--दस प्रधान अप्सराओं में से एक। | था। भरत के मृत्योपरांत, इसने पुष्करतीर्थ में उसका अर्जुन के जन्ममहोत्सव में इसने गाया था (म. आ. | क्रियाकर्म किया, जिस के कारण भरत का उद्धार हुआ ११४.४६ )। यह कुबेर की सभा में रहकर, उसकी (पद्म. उ. २१५.)। उपासना करती थी (म. स. १०.१०)। १०. कुरुक्षेत्र के कौशिक ब्राह्मण के सात पुत्रों में शाप के कारण, अगले जन्म में यह कुंजर नामक ) से एक ( पितृवर्तिन् देखिये)। वानर की कन्या अंजना हुयी (वा. रा. कि. ६६; अंजना पुंडरीका--एक अप्सरा, जो कश्यप तथा मुनि की देखिये)। | कन्या थी। इसने अर्जुन के जन्मोत्सव में नृत्य किया था पुंजिकस्थली-वैशाख में सूर्य के साथ रहनेवाली | (म. आ. ११४.५२)। एक अप्सरा (भा. १२.११.३४)। २. वसिष्ठ ऋषि की कन्या। ४२८
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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