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प्राचीन चरित्रकोश
पन्नगारि
२. ऐरावत का पुत्र, एक हाथी। इसे मंद नामांतर | हुई । हरिवंश में, 'गोभिल' के बदले 'द्रुमिल' नाम भी प्राप्त था । यह ऐलविल का वाहन था ( ब्रह्मांड. ३. | दिया गया है (ह. वं. २.२८)। ७.३३१)। इसका वर्ण श्वतशुभ्र था।
इसने गर्भ को नष्ट करने का बहुत प्रयत्न किया परंतु ३. माणिभद्र नामक शिवगण एवं पुण्यजनी का पुत्र । अंत में उस गर्भ ने कहा, 'कालनेमिदैत्य का विष्णु ने वध . ४. एक निधि, जो कुबेर की सभा में थी (म. स. | किया । उसका बदला लेने के लिये मैं जन्म ले रहा हूँ। परि. १, ३.३०)।
| कालोपरांत यह प्रसूत हुयी तथा इसने कंस को जन्म दिया ५. स्कंद का एक सैनिक ( म. श. ४४.५२)। (पद्म. सु. ४८-५१)।
६. एक राजा, जो यमसभा में रह कर सूर्यपुत्र यम की। २. प्रणिधी नामक एक श्रीमान् वैश्य की स्त्री। एक उपासना करता था (म. स.)
| बार इसका पति व्यापार करने दूसरे ग्राम चला गया था । पद्मकेतन-गरुड़ का पुत्र। .
यह स्नान कर रह थी। फिर धनुर्ध्वज नामक अंत्यज ने पद्मगंधा-पूर्व जन्म में यह क्रौंची थी। इसकी | इसे देखा । पाप वासना मे जागृत हो कर वह इसके बारे हड्डियाँ गंगा में गिरने के कारण, यह इंद्र की प्रिया दासी में पूछताछ करने लगा। इसकी सखियों द्वारा काफी बनी (जयंत ११ देखिये)। .
निषेध किये जाने पर भी वह न माना। फिर उसकी पद्मचित्र-कद्रु-पुत्र नाग।
मज़ाक उड़ाने के हेतु उन्होंने कहा, 'गंगा यमुना संगम पद्मनाभ-एक ब्राह्मण | एक राक्षस इसे भक्षण में अगर प्राण दोगे, तो पद्मावती की प्राप्ति तुम्हे करने के लिये आया, तब विष्णु ने अपने चक्र से इसकी | होगी। रक्षा की । इसी. कारण उस जगह पर चक्रतीर्थ उत्पन्न | फिर गंगा के संगम में जा कर सचमुच ही उसने प्राण दे हुआ ( स्कंद २.१.२३)। .
दिये । तत्काल उसका रूप पद्मावती के पति प्राणिधी वैश्य २. कश्यप एवं कद्रु का पुत्र, एक नाग । यह
के समान बन गया। बाद में सच्चा प्रणिधी तथा धनुर्ध्वज नैमिषारण्य में गोमती नदी के तट पर 'नागपूर ' नगर
दोनों पद्मावती के घर पहुँच गये। फिर अपना वास्तव में रहता था (म. शां)। यह आत्मज्ञानी था। एक | पति कौन है ? इसके बारे में पद्मावती के मन में संदेह ब्राह्मण के पूछने पर इसने उसे सूर्यमंडल की कथा सुनायी उत्पन्न हो गया । पश्चात् , श्री विष्णु ने स्वयं प्रकट हो कर, . थी। इसके शिष्य का नाम धर्मारण्य था।
इसे दोनों के साथ पत्नी के रूप में रहने के लिये कहा, - ३. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक ।
किंतु भूमंडल पर यह निषिद्ध है, ऐसा इसके द्वारा कहे ४. मणिवर नामक शिवगण, एवं देवजनी का पुत्र ।
जाने पर, श्री विष्णु उन तीनों को वैकुंठ ले गये (पन. पद्ममित्र--(किलकिला. भविष्य.) विष्णु के अनुसार एक राजा।
३. शृगाल वासुदेव देखिये। पद्मवर्ण---मणिवर नामक शिवगण और देवजनी
पद्मिनी-श्रीनिवास देखिये। का पुत्र ।
पनस-राम की सेना का एक वानर । इसका पटुशों पद्महस्त--राजा नल का अमात्य ( गणेश. १.५२.
से युद्ध हुआ था (म. व. २६७.६; २६९.९)। राम
बिभीषण से मिलने के लिये लंका जा रहा था । राह में पद्माकर-बिंदुगढ़ के राजा शारदानंद (कामपाल)
वह किकिधा नगरी के पास ठहरा । तब यह उत्सुकताका पुत्र (भवि. प्रति. ३.२५)।
पूर्वक उसके दर्शन करने आया था (पद्म. सु. ३८)। पद्माक्ष-राजा चंद्रहास का कनिष्ठ पुत्र ।
२. बिभीषण के अमात्यों में से एक। २. सीता देखिये।
पन्नग-ऋग्वेदी श्रुतर्षि । पद्मावती-विदर्भनृप सत्यकेतु की कन्या, एवं मायुर पन्नगारि-व्यास की ऋक् शष्य परंपरा के वायु तथा देश के मथुरा नगर के उग्रसेन राजा की स्त्री। इस दम्पति | ब्रह्मांड मत में बाष्कली भरद्वाज का शिष्य । का एक दूसरे पर अतीव प्रेम था। एक बार यह नैहर गयी | २. वसिष्ठ कुल का एक गोत्रकार | पांगारि इसका थी। वहां गोभिल नामक कुबेर के एक दूत से गर्भवती | पाठभेद है।
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