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________________ पतंजलि प्राचीन चरित्रकोश पतंजलि ८. शेषविष्णु (१७ वीं शती )-टीका का नाम- | आषाढवर्मा के 'परिहारवार्तिक' एवं रामचंद्र दीक्षित महाभाष्यप्रका शिका'। के 'पतंजलि चरित' में पतंजलि के इस ग्रंथ का निर्देश १७ वीं शताब्दी में तंजोर के शहाजी राजा के | है ('वैद्यकशास्त्रे वार्तिकानि च ततः')। पतंजलिरचित आश्रित 'रामभद्र' नामक कवि ने पतंजलि के जीवन | 'वातस्कंध-पैत्तस्कंधोपेत-सिद्धांतसारावलि' नामक और पर 'पतंजलि चरित' नामक एक काव्य लिखा था। एक वैद्यकशास्त्रीय ग्रंथ लंदन के इंडिया ऑफिस लायब्रेरी महाभाष्य का पुनरुद्धार-इतिहास से विदित होता | में उपलब्ध है। है कि, महाभाष्य का लोप कम से कम तीन बार अवश्य आयुर्वेदाचार्य पतंजलि के द्वारा कनिष्क राजा की कन्या हुआ है। भर्तृहरि के लेख से विदित होता है कि बैजि, को रोगमुक्त करने का निर्देश प्राप्त है। इससे इसका काल सौभव, हर्यक्ष आदि शुष्क तार्किकों ने महाभाष्य का प्रचार | २०० ई०, माना जाता है। नष्ट कर दिया था। चन्द्राचार्य ने महान् परिश्रम कर के | पतंजलि ने 'रसशास्त्र' पर भी एक ग्रंथ लिखा था, दक्षिण से किसी पार्वत्य प्रदेश से एक हस्तलेख प्राप्त कर ऐसा कई लोग मानते है। किंतु रसतंत्र का प्रचार छठी के उसका पुनः प्रचार किया। शताब्दी के पश्चात् होने के कारण, वह पतंजलि एवं चरककरण की 'सजतरंगिणी' से ज्ञात होता है कि विक्रम | संहिता पर भाष्य लिखनेवाले पतंजलि एक ही थे, ऐसा की ८ वीं शती में महाभाष्य का प्रचार पुनः नष्ट हो गया निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। था। कश्मीर के महाराज जयापीड ने देशान्तर से 'क्षीर' । ३. 'पातंजलयोगसूत्र' (या सांख्यप्रवचन) नामक • संज्ञक शब्दविद्योपाध्याय को बुला कर विच्छिन्न महाभाष्य | सुविख्यात योगशास्त्रीय ग्रंथ का कर्ता । कई विद्वानों ने - का पुनः प्रचार कराया। 'पातंजल योगसूत्रों' को षड्-दर्शनों में सर्वाधिक प्राचीन विक्रम की १८ वीं तथा १९वीं शती में सिद्धांतकौमुदी बताया है, एवं यह अभिमत व्यक्त किया है कि, उसकी तथा लघुशब्देंदुशेखर आदि अर्वाचीन ग्रंथों के अत्यधिक | रचना बौद्धयुग से पहले लगभग ७०० ई. पू. में हो चुकी प्रचार के कारण, महाभाष्य का पठन प्रायः लुप्तसा हो गया | थी ('पतंजलि योगदर्शन' की भूमिका पृ. २)। था। स्वामी विरजानंद तथा उनके शिष्य स्वामी दयानंद | किंतु डॉ. राधाकृष्णन् आदि आधुनिक तत्वाज्ञों के अनुसार सरस्वती ने महाभाष्य का उद्धार किया, तथा उसे पूर्वस्थान 'योगसूत्र' का काल लगभग ३०० ई. है ('इंडियन प्राप्त कराया। फिलॉसफी २.३४१-३४२)। उस ग्रंथ पर लिखे गये 'महाभाष्य' के उपलब्ध मुद्रित आवृत्तियों में, डॉ. प्राचीनतम बादरायण, भाष्य की रचना व्यास ने की थी फ्रॉन्झ कीलहॉर्नद्वारा १८८९ ई. स. में संपादित उस भाष्य की भाषा अन्य बौद्ध ग्रंथों की तरह है, एवं . त्रिखण्डात्मक आवृत्ति सर्वोत्कृष्ट है। उसमें वार्तिकादिकों उसमें न्याय आदि दर्शनों के मतों का उल्लेख किया गया है । ___का निर्णय बहुत ही शास्त्रीय पद्धति से किया गया है।। 'योगसूत्रों' पर लिखे गये 'व्यासभाष्य' का निर्देश 'महाभाष्य' में उपलब्ध शब्दों की सूचि म. म. 'वात्स्यायनभाष्य' में एवं कनिष्क के समकालीन भदन्त श्रीधरशास्त्री पाठक, एवं म. म. सिद्धेश्वरशास्त्री चित्राव | धर्मत्रात के ग्रंथों में उपलब्ध है। इन ग्रंथकारों ने तयार की है, एवं पूना के भांडारकर | योगसूत्र परिचय–विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में विखरे इन्स्टिटयूट ने उसे प्रसिद्ध किया है। | हुए योगसंधी विचारों का संग्रह कर, एवं उनको अपनी ये सारे ग्रथ महाभाष्य की महत्ता को प्रष्ट करते है। प्रतिभा से संयोज कर, पतंजलि ने अपने 'योगसूत्र' ग्रंथ . अन्य ग्रंथ-व्याकरण के अतिरिक्त, सांख्य, न्याय, की रचना की।' योगदर्शन' के विषय पर, 'योगसूत्रों, काव्य आदि विषयों पर पतंजलि का प्रभुत्त्व था।| जसा तकसमत, गभार ए जैसा तर्कसंमत, गंभीर एवं सर्वांगीण ग्रंथ संसार में दूसरा 'व्याकरण महाभाष्य' के अतिरिक्त पतंजलि के नाम पर नहीं है । उस ग्रंथ की युक्तिशृंखला एवं प्रांजल दृष्टिकोण निम्नलिखित ग्रंथ उपलब्ध है:- (१) सांख्यप्रवचन, अतुलनीय है, एवं प्राचीन भारत की दार्शनिक श्रेष्ठता सिद्ध (२) छंदोविचिति, (३) सामवेदीय निदान सूत्र (C.C.) करता है। २. 'चरक संहिता' नामक आयुर्वेदीय ग्रंथ का प्रति- 'पातंजल योगसूत्र' ग्रंथ समाधि, साधन, विभूति एवं संस्करण करनेवाला आयुर्वेदाचार्य । ' चरकसंहिता' पर कैवल्य इन चार पादों (अध्यायों) में विभक्त किया गया इसने 'पातंजलवार्तिक' नामक ग्रंथ की रचना की थी। है । उस ग्रंथ में समाविष्ट कुल सुत्रों की संख्या १९५ है। प्रा. च. ४९] ३८५
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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