SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नृसिंह प्राचीन चरित्रकोश नैर्ऋत नृसिंह का खंभे से प्रगट होने का निर्देश, कई पुराणों में नेतिष्य (नेतिण्य) भगुकुलोत्पन्न एक ब्रह्मर्षि । अप्राप्य है (म. स. परि. १. क्र. २१; पंक्ति. २८५- नेत्र-(सो. सह.) एक राजा । भागवत के अनुसार २९५, ह. वं. ३.४१-४७; मस्त्य. १६१-१६४; ब्रह्मांड. यह धर्म राजा का पुत्र था। ३.५; वायु. ३८.६६)। नेदिष्ट--वैवस्वत मनु का पुत्र । नृसिंह की उपासना-नृसिंह की उपासना भारतवर्ष । नेम भार्गव-एक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ८.१००)। में आज भी अनेक स्थानों पर बड़ी श्रद्धा से की जाती नेमि-बलि के पक्ष का एक दैत्य (भा. ८. ६.२२) है। नृसिंह के मंदिर एवं वहाँ पूजित नृसिंह के नाम, २. (सू. इ.) एक राजा। वायु के अनुसार यह स्थानीय परंपरा के अनुसार, अलग अलग दिये जाते है। इक्ष्वाकु के पुत्रों में से एक था। अन्य पुराणों में, इसे इन नृसिंहस्थानों की एवं वहाँ पूजितं नृसिंहदेवता के 'निमि' कहा गया हैं। स्थानीय नामों की सूचि नीचे दी गयी है। उनमें से पहला नेमिकृष्ण-(आंध्र. भविष्य.) एक राजा । वायु के . नाम नृसिंहस्थान का, एवं 'कोष्ठक' में दिया गया नाम अनुसार, यह पटुमत् राजा का पुत्र था। इसने २५ वर्षों नृसिंह का स्थानीय नाम का है। तक राज्य किया। नमिचक्र-(सो. पूरु. भविष्य.) हस्तिनापुर का एक नृसिंहस्थान-अयोध्या (लोकनाथ ), आढ्य राजा। यह असीमकृष्ण राजा का पुत्र था। यमुना नदी के (विष्णुपद),उज्जयिनी (त्रिविक्रम ), ऋषभ (महाविष्णु), बाढ़ से हस्तिनापुर नगर बह जाने के बाद, इसने अपनी कपिलद्वीप (अनन्त), कसेरट (महाबाहु ),कावेरी (नाग नयी राजधानी कौशांबी नगर में बसायी। इसका पुत्र शायिन् ), कुण्डिन (कुण्डिनेश्वर), कुब्ज (वामन ), चित्ररथ (भा. ९. २२.३९)। ... कुब्जागार (हृषीकेश), कुमारतीर्थ ( कौमार), कुरुक्षेत्र नैकजिह्व- भगुकुल का एक गोत्रकार। (विश्वरूप), केदार (माधव), केरल (बाल), कोकामुख नैकद-विश्वामित्र का पुत्र। (वराह ), क्षिराब्धि (पद्मनाथ), गंधद्वार (पयोधर), गन्धमादन (अचिन्त्य), गया (गदाधर), गवांनिष्क्रमण नैकशि-भृगुकुल का एक गोत्रकार। . (हरि), गुह्यक्षेत्र (हरि), चक्रतीर्थ (सुदर्शन ), नैगम--शाकपूर्ण रथीतर ऋषि के चार प्रमुख शिष्यों चित्रकूट (नराधिप), तृणबिंदुवन (वीर), तैजसवन में से एक । अन्य तीन शिष्यों के नाम-केतव, दालकि, (अमृत), त्रिकूट (नागमोक्ष), दण्डक (श्यामल), | शतबलाक। दशपुर (पुरुषोत्तम), देवदारुवन (गुह्य ), देवशाला नैगमेश--कुमार कार्तिकेय का तृतीय भ्राता। इसके (त्रिविक्रम), द्वारका (भपति), धृष्टद्युम्न (जयध्वज ). पिता का नाम अनल था (म. आ. ६०.२२)। निमिष (पीतवासस् ), पयोष्णी (सुदर्शन ), पाण्डुसह्य । २. कार्तिकेय के चार मूर्तियों में से एक मूर्ति का (देवेश), पुष्कर (पुष्कराक्ष), पुष्पभद्र (विरज), नाम। अन्य दो मूर्तियों के नाम शाख एवं विशाख थे। प्रभास ( रविनन्दन), प्रयाग (योगमूर्ति), भद्रा (हरिहर). I (म. श. ४३.३७)। भाण्डार (वासुदेव), मणिकुण्ड (हलायुध ), मथुरा ३. अनल वसु का पुत्र। (स्वयंभुव), मन्दर (मधुसूदन), महावन (नरसिंह), नद्राणि--अत्रिकुल का एक गोत्रकार । महेन्द्र (नृपात्मज), मानसतीर्थ (ब्रह्मेश), माहिष्मती नैधृव--कश्यपकुल का गोत्रकार । यह कश्यप ऋषि (हुताशन), मेरुपृष्ठ (भास्कर), लिङ्गकूट (चतुर्भुज), | का पौत्र, एवं अवत्सार ऋषि का पुत्र था। यह छः कश्यप लोहित (हयशीर्षक), वल्लीवट ( महायोग), वसुरूढ | 'ब्रह्मवादिनों में से एक था। अन्य ब्रह्मवादिनों के नाम(जगत्पति), वाराणसी (केशव), वाराह (धरणीधर ) कश्यप, अवत्सार, रैभ्य, असित, देवल ( वायु. ५९.१०३; वितस्ता (विद्याधर), विपाशा (यशस्कर ), विमल | मस्त्य. १४५. १०६-१०७; कश्यप देखिये)। (सनातन), विश्वासयूप (विश्वेश), वृंदावन (गोपाल), २. काश्यपवंश में से एक प्रमुख गोत्र का नाम । वैकुण्ठ (माल्योदपान), शालग्राम (तपोवास), शिवनदी | अन्य दो प्रमुख गोत्र-शांडिल्य, एवं रैभ्य । (शिवकर ), शूकरक्षेत्र (शूकर), सकल (गरुडध्वज), नैध्रवि--कश्यप ऋषि का पैतृक नाम (बृ. उ. ६.४. सायक (गोविंद), सिंधुसागर (अशोक), हलाङ्गर | ३३)। (रिपुहर), (नृसिंह. ६५)। . । नैर्ऋत--एक सूक्तद्रष्टा (कपोत नैत देखिये)। ३७६
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy