SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन चरित्रकोश नागदत्त नागदत्त - (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक यह भीम के द्वारा मारा गया (म. हो. १३२. ११३५*)। 1 नागदत्ता - एक अप्सरा । नागवीथी -- धर्म ऋषि की यामी से उत्पन्न कन्या । नागाशिन - गरुड की एक प्रमुख संतान ( म. उ. ९९.९ । ) नागेय - वसिष्ठ कुल का गोत्रकार । नागेश्वर--शंकर का एक अवतार । दारुक नामक राक्षस को मार कर, इसने सुप्रिय नामक वैश्यनाथ का संरक्षण किया था। यही अवतार 'ओढ्य नागनाथ है नाम से प्रसिद्ध है (शिव शत. ४२ ) । भूतेश्वर इसका उपलिंग है ( शिव. कोटि. ४.१ ) । नग्नजित स्वर्जित का पैतृक नाम । नाग्नजिती - सत्य ५. देखिये । नाचिक ( कि ) - विश्वामित्र का पुत्र । नाचिकेत– नचिकेतस् ऋषि का नामांतर (नचिकेत देखिये)। नादापती- शकुंतला के लिये प्रयुक्त विशेषण। इसका अर्थ निश्चित रूप से बताया नहीं जा सकता ( श. ब्रा. १३.५.४.१३ ) । नसयनीय-ब्रह्मांडमत में व्यास की सामशिष्य परंपरा के लोकाक्षि का शिष्य ( व्यास देखिये) । नाडायन --- अंगिराकुल का गोत्रकार । नाडीजंघ -- एक बकराज । यह कश्यप ऋषि का पुत्र, एवं ब्रह्माजी का मित्र था । इसे ' राजधर्मन् ' नामांतर भी प्राप्त था । देवकन्या के गर्भ से जन्म लेने के कारण, इसकी शरीर की कान्ति देवता के समान दिखायी देती थी । यह बड़ा विद्वान्, एवं दिव्य तेज से संपन्न था (म. शां. १६३.१९-२० ) । गौतम नामक कृतन ब्राह्मण ने इसका वध किया। किंतु सुरभि के फेन से यह पुनः जीवित हुआ ( गौतम ५. देखिये) । २. इंद्रद्युम्न सरोवर पर रहनेवाला एक चिरजीवि बक ( म. व.) । नाभाग नाथ - विकुंठ देवों में से एक । नान्यादृश-- मरुद्रणों के छठवें गणों में से एक । नाभ -- नामाक राजा का नामान्तर ( नाभाक २. देखिये) । २. चाक्षुष मन्वंतर का एक ऋषि । ३. (सो.) एक राजा । यह नल राजा का पुत्र था । इसने दस हजार वर्षों तक राज्य किया। नाभावत्ति -- भागवत्ति देखिये । नाभाक- एक सूक्तद्रष्टा ऋषि (ऋ. ८.३९-४१ ) । यह 'नभाक' ऋषि का पुत्र था। ऋग्वेद के तीन या चार सूक्तों के प्रणयन का श्रेय इसे दिया गया है (ऋ. ८.४१. २)। 'नाभाक काण्व' नाम से इसका निर्देश, कई जगह प्राप्त है। किंतु लुडविग के मत में, यह ' काण्व' न हो कर, 'आंगिरस वंश का था (ड. ऋग्वेद अनुवाद २. १०७) । इसके एक सूक्त में, यह सूर्यवंशी आंगिरस होने का निर्देश भी प्राप्त है। अपने एक सूक्त में इसने कहा है, मेरे पिता नभाक, अंगिरस, मांधातृ एवं अशी के तरह नये स्तोत्र तयार कर मैं इंद्र एवं अग्नि की स्तुति कर रहा हूँ (ऋ. ८.४०. १२) । इस निर्देश के कारण, ऋषि इस काल मांधातृ के पश्चात् का था, यह शापित होता है। २. (स. इ.) अयोध्या देश का एक राजा । वायु, भागवत, तथा विष्णुमत में, यह श्रुत का पुत्र था। मत्स्य मत में यह भगीरथ का पुत्र था। मत्स्य में इक्ष्वाकु राजा 'भुत' का निर्देश ही नहीं है। 6 विष्णु एवं वायु में इसे ' नाभाग', एवं भागवत में इसे 'नाम' कहा गया है । इसने समुद्रपर्यंत पृथ्वी को सात दिन में जीता था, एवं सत्य के द्वारा उत्तमं लोकों पर विजय पायी थी ( म. व. २६.११) । पृथ्वी को जीतने के बाद इसने उसे दक्षिणा के रूप में ब्राह्मणों को दे दिया ( म. शां. ९७. २१) । किंतु शीलवान् एवं दयालु होने के कारण, दी नाड्वलायन एवं नाड्वलेय - नड्वला के पुत्रों का हुआ पृथ्वी स्वयं इसके पास वापस आ गयी ( म. शां. मातृक नाम । १२४.१६-१७) । नाभाग -- वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक, एवं प्राचीनकाल के एक महाप्रतापी राजा ( पद्म. सृ. ८ ) । कई ग्रंथों में, इसे वैवस्वत मनु का पौत्र, एवं नभग पुत्र कहा गया है (म. आ. ७७.१४; भा. ९.४ ) । इसने जीवन में कभी मांस नहीं खाया था। मांसभक्षण के त्याग के इस पुण्य के कारण, इसे 'परावरतत्त्व' का ३५९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy