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________________ नहुष प्राचीन चरित्रकोश नांग . तब भीम ने पूछा, 'हे सर्पराज, तुम कौन हो ? मेरा तेज (२) ययाति-यह नहुष के पश्चात् प्रतिष्ठान देश हरण करने की शक्ति तुझमें कैसी पैदा हो गई ?' | के राजगद्दी पर बैठ गया । इसी के नाम से 'पुरुरवस् फिर अजगर ने कहा, 'मैं नहुष नामक एक राजर्षि हूँ। वंश' को 'ययाति वंश' यह नया नाम प्राप्त हुआ। अनेक विद्या, यज्ञ, कुलीनता, तथा पराक्रम के कारण, मैने (३) संयाति-यह उत्तर आयु में 'परिव्राजक' बन त्रैलोक्य का आधिपत्य प्राप्त किया था। किंतु पश्चात् गया। इसके नाम के लिये, 'शर्याति' नामांतर भी प्राप्त मदोन्मत्त हो कर, मैंने सप्तर्षियों को अपने पालकी का है (पा. स. १२; अग्नि. २७४)। वाहन बनाया। इसलिये अगत्स्य ऋषि ने शाप दे कर, | (४) आयति या अयति--इसके नाम के लिये, मुझे इस हीन सर्पयोनि में जाने के लिये कहा। उःशाप | 'उद्भव' नामांतर प्राप्त है (मत्स्य. २४.५०; पद्म. सु. माँगने पर उसने मुझे कहा, 'तुम जिस प्राणी पर | १२; अग्नि. २७४)। झपटोगे, उसकी शक्ति हरण कर लोगे | आत्मनात्माविवेक | (५ अश्वक( कूर्म. १.२२)-- इसके नाम के लिये, के ज्ञान से परिपूर्ण पुरुष से मुलाकात होने पर, तुम शाप- पार्श्वक (ब्रह्म. १२), अंधक (लिंग. १.६६), वियति मुक्त हो जाओगे'।' तबसे ऐसे ही पुरुष का मैं इन्तजार (विष्णु. ४.१०; भा. ९.१८.१; पद्म. स. १२)नामांतर कर रहा हूँ। प्राप्त है। __इतने में युधिष्ठिर भीम को ढूँढ़ते ढूँढ़ते वहाँ (६) वियाति(मत्स्य. २४)- इसके नाम के लिये पहूचा । अजगर के द्वारा भीम को पकड़ा हुआ देख विजाति (लिंग. १.६६), सुयाति (ह. वं. १.३०.२, .कर, उसने सर्प से पूछा, 'तुम कौन हो ? भीम को तुमने | ब्रह्म. १२), कृति ( विष्णु. ४.१०; भा. ९.१८.१), ध्रुव क्यों पकड लिया है ?' तब अजगरस्वरूपी नहष ने कहा. | (म. आ. ७०.२८) नामांतर प्राप्त है। 'मैं तुम्हारा पूर्वज, एवं आयु नामक राजा का पुत्र हूँ।। (७) मेवजाति(मत्स्य. २४.५०)- इसके नाम तुम्हारे द्वारा मेरे प्रश्नों के उत्तर दिये जाने पर मैं भीम | के लिये, मेघपालक नामांतर प्राप्त है (अग्नि. २७४)। को छोड़ दूंगा'। ३. कश्यप एवं कद्रू से उत्पन्न एक प्रमुख नाग। ... बाद में नहुष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया, 'ब्राह्मण किस | ४. वैवस्वत मनु का पुत्र । को कहते है ? '• युधिष्ठिर ने उत्तर दिया, 'सत्य, दान; नहुष मानव-एक मंत्रद्रष्टा (ऋ. ९.१०१.७-९)। क्षमा, सच्छीलत्व, एवं इंद्रियदमन जिसके पास हो, वह नाक-दक्षसावर्णि मनु का पुत्र (मनु देखिये)। मानव ब्राह्मण कहलाता है। फिर सर्प ने पूछा, 'पृथ्वी नाक मौद्गल्य-एक तत्त्वज्ञ आचार्य । ब्राह्मणों में कई में सर्वश्रेष्ठ ज्ञान कौनसा है' । युधिष्ठिर ने जवाब दिया, बार इसका निर्देश प्राप्त है (जै. उ. ब्रा. ३.१३.५, श. 'ब्रह्म का ज्ञान सर्वश्रेष्ठ कहलाता है'। इन उत्तरों से प्रसन्न | ब्रा. १२.५.२.१) अधिकांश स्थानों पर इसका निर्देश केवल हो कर, इसने भीम को छोड़ दिया, एवं इसका भी 'नाक' नाम से आता है। किंतु नाक मौद्गल्य ऐसा स्पष्ट उद्धार हो कर, यह स्वर्ग में चला गया (म. व. १७५ निर्देश एक ही स्थान पर है (बृ. उ. ६.४.४)। इसका १७८)। ग्लाव मैत्रेय ऋषि से वाद हुआ था (गो. ब्रा. १.१.३१)। पुत्र-नहुष के पुत्रों की संख्या एवं नामों के बारे में, वेदों का अध्ययन तथा अध्यापन एक तरह की तपःसाधना पुराणों में एकवाक्यता नहीं है। अधिकांश पुराणों एवं | है, ऐसा इसका प्रतिपादन था (तै. उ. १.९)। महाभारत के मत में, नहुष को कुल छः पुत्र थे (म. | नाकुरय-कश्यप कुल का गोत्रकार। आ. ७०.२८; ह. वं. १.३०.२; ब्रह्म. १२; विष्णु. ४. १०; भा. ९.१८.१; लिंग, १.६६)। कूर्म एवं पद्म के नाकुलि-भृगुकुल का एक गोत्रकार । इसके नाम के मत में, इसे कुल पाँच पुत्र थे (कूर्म. १.२२; पद्म. सू. लिये, 'लिंबुकि' पाठभेद उपलब्ध है। १२)। मत्स्य एवं अग्नि में, नहुष के सात पुत्रों के नाम । २. नकुल का नामांतर। दिये गये है (मत्स्य. २४.५०; अग्नि. २७४)। नाग-कश्यप तथा कद्रु का पुत्र। यह मेरुकर्षिका पुराणों में दिये गये नहुष के पुत्रों के नाम इन प्रकार | नामक स्थान पर रहता था (भा. ५.१६.२६)।यह वरुण की सभा का सभासद था (म. स. ९.८; सर्प देखिये)। (१) यति-यह नहुष का ज्येष्ठ पुत्र था। | २. प्राचीन मानव जातियों में से एक । दक्षकन्या कद्र ३५७
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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