SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 352
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ धृति प्राचीन चरित्रकोश धृष्टकेतु १०. (सो. कुकुर.) मत्स्यमत में वृष्णि का, तथा पद्म- | वे वैश्य बन गये (गरुड. १.१३८.१५)। धृष्टक लोगों के मत में वृष्टि का पुत्र (पद्म. सु. १३)। लिये 'धार्टक' नामांतर भी प्राप्त है। ११. (सो. वसु.) सारण राजा का पुत्र, एवं कृष्ण | २. हिरण्यकशिपु की सभा का एक दैत्य (भा. ७.२. तथा रोहिणी का पौत्र। सारण को सत्य एवं धृति नामक | १८)। दो पुत्र थे । इसके नाम का 'सत्यधृति' पाठभेद भी ३. (सो. सह.) मत्स्यमत में सहस्रार्जुन का पुत्र । प्राप्त है (विष्णु. ४.१५.४)। ४. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा । वायु तथा मत्स्य १२. (सो. कोष्ट.) विष्णुमत में रोमपादपुत्र बभ्रु का | मत में यद ति राजा का पत्र था। धधि तथा अप्णि इसी पुत्र (ज्ञाति देखिये)। के नामांतर हैं। १३. (सू. निमि.) महाधृति का नामांतर । ५. (सो. कुकुर.) विष्णुमत में कुकर राजा का पुत्र । १४. कुशद्वीप का राजा एवं ज्योतिष्मत् का पुत्र। | इसे वह्नि, वृष्टि तथा वृष्णि भी कहा गया है। इसका देश इसीके नाम से प्रसिद्ध था (विष्णु. २.४)। धृष्टकेतु--(सो. ऋक्ष.) चेदिराज शिशुपाल का पुत्र, १५. मनु नामक रुद्र की पत्नी। एवं एक पराक्रमी पांडवपक्षीय राजा । हिरण्यकशिपु का १६. एक सनातन विश्वेदेव। पुत्र अनुहाद के अंश से यह उत्पन्न हुआ था (म. धृतिमत्--रैवत मनु का पुत्र । आ. ६१. ७)। यह एवं इसके पुत्र अत्यंत शूर थे २. सुदरिद्र ब्राह्मण का पुत्र (पितृवर्तिन् देखिये)। | (म. उ. १६८.८)। इसके साथ रण में युद्ध करने की ३. (सो. पुरूरवस्.) मत्स्य तथा पनमत में पुरूरवा किसी की हिम्मत न होती थी (म. उ. ७८.१४)। को उर्वशी से उत्पन्न पुत्रों में से एक (पन. स. १२)। भीम के द्वारा शिशुपाल का वध होने पर, धृष्टकेतुं ४. (सो. द्विमीढ़.) द्विमीढ राजवंश के यवीनर राजा | को चेदि देश के राजसिंहासन पर अभिषिक्त किया गया का पुत्र । भागवत में इसे 'कृतिमत् ' कहा गया है। (म. स. ४२. ३१)। यह पहले से ही पांडवों का ५. (सू. निमि.) एक राजा । वायुमत में यह पक्षपाती एवं मित्र था। पांडवों के वनवास में, यह उन्हें महावीर्य जनक का पुत्र था। सत्यधृति एवं सुधति इसी के मिलने के लिये गया था (म. व. १३. २)। . नामांतर है। धृतिमत् अंगिरस्-एक अग्नि । यह भानु का पुत्र ___ भारतीय युद्ध शुरू होते ही, पांडवों की ओर से था, एवं इसका गोत्र अंगिरस था (म. व. २११.१३)। धृष्टकेतु को रणनिमंत्रण दिया गया (म. उ. ४. ८)। इसके लिये दर्श तथा पौर्णमास याग में 'हविष्य 'समर्पण | | एक अक्षौहणी सेना के साथ, यह पांडवों के पक्ष में किया जाता है । विष्णु इसीका नामांतर है। शामिल हुआ (म. उ. १९. ७)। इसके पास कांबोज धृष्ट--वैवस्वत मनु के नौ पुत्रों में से एक (भा. ८. देश के सफेद-काले रंग के अत्युत्कृष्ट अश्व थे । वे भी इसने युद्ध के लिये लाये थे (म. द्रो. २२. १६)। १. १२)। हरिवंश, लिंग, एवं शिवपुराणों में इसे धृष्णु कहा गया है (ह. वं. १.१०.१)। महाभारत पांडवों के सात सेनापतियों में से एक के पद पर, इसे (भांडारकर इन्स्टिटयूट संहिता) में भी 'धृष्णु' पाठ | नियुक्त किया गया था (म. उ. १५४. १०-११)। प्राप्त है (म. आ. ७०.१३)। अर्जुन के रथ का चक्ररक्षण का काम इस पर सौंपा गया इसे धृष्टकेतु, स्वधर्मन् एवं रणधृष्ट नामक तीन पुत्र थे | था। वह कार्य भी इसने उत्कृष्ट तरह से निभाया (म. (मत्स्य. १२.२०-२१, पन. स. ८; लिंग. १.६६.४६)। भी. १९. १८)। उन पुत्रों से 'धृष्टक' नामक मानवज्ञातियाँ निर्माण हुई। भारतीय युद्ध में, इसने निम्नलिखित प्रतिपक्षीय वीरों 'धृष्टक' ज्ञाति के लोग क्षत्रिय थे, एवं बालीक देश | से युद्ध कर के पराक्रम दिखाया था:-(१) बाह्रीक (आधुनिक पंजाब प्रांत में स्थित वाल्हीक प्रदेश ) में रहते थे | (म. भी. ४३. ३५-३६); (२) भूरिश्रवा (म. भी. (पागि. मार्क. पृ. ३११; शिव. ७.६०.२०; वायु. ८८. | ३८०. ३५-३७); (३) पौरव (म. भी. ११२. १३४-५, ब्रहा. ७.२५, विष्णु. ४.२.२ )। धृष्टक लोग पहले | २४): (४) कृपाचार्य (म. द्रो. १३. ३१-३२); क्षत्रिय थे, किंतु तपःसामर्थ्य से ब्राह्मण बन गये, ऐसा भी | (५) अंबष्ठ (म. द्रो. २४. ४७-४८); (६) वीरनिर्देश प्राप्त है (भा. ९.२.१७)। गरुड पुराण के मत में | धन्वन (म. द्रो. ८१. ९-१०)। . ३३०
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy