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धुंधु
प्राचीन चरित्रकोश
धूम्र पराशर
धुंधु--एक राक्षस । यह मधुकैटभों का पुत्र, एवं | विशल्या था। उसके द्वारा अत्यंत कुअवसर पर, इसे एक 'उदकराक्षस' था (म. व. १९५.१)। देवताओं एवं | पुत्र पैदा हुआ। हिरण्याक्ष राक्षस के युद्ध में, यह हिरण्याक्ष के पक्ष में । उस पुत्र का विवाह होने पर भी, वह एक शूद्र स्त्री शामिल था (पम. सु. ६५)।
से रत हुआ। बाद में उसने उस स्त्री का वध किया। उज्जालक नामक वालुकामय प्रदेश में खुद अपने
| उस स्त्री के भाई ने धुंधुमूक राजा का, एवं विशल्या का को वालूका में दबा कर यह रहता था। इसकी तपस्या | वध किया। शूद्रोंद्वारा वध होने के कारण, धुंधुमूक के से संतुष्ट हो कर, ब्रह्मदेव ने इसे अवध्यत्व प्रदान | सारे घराने का नाश हुआ। किया। उस वरदान से उन्मत्त हो कर, यह सबको सताने
____पश्चात् धुंधुमूक के दुराचारी पुत्र को किसी ने 'लिंगलगा। सूर्यवंशीय कुवलाश्व राजा के पुत्रों को इसने
| पूजावत' का माहात्म्य बताया । शिवपंचाक्षर मंत्र दग्ध किया। फिर उत्तंक ऋषि की प्रेरणा से कुवलाश्व
('शिवतराय') तथा शिवषडाक्षर मंत्र ('ॐ नमःने इसका वध किया (वायु. ८८; विष्णुधर्म. १.१६; |
शिवाय') का अखंड जाप करने के कारण, उसका तथा ब्रह्मांड. ३.६३.३१; ब्रह्म. ७.५४.८६; विष्णु. ४.२; ह.
उसके सारे मृत बांधवों का उद्धार हो गया (लिंग. २.८)। वं. १.११; भा. ९.६; कुवलाश्व देखिये)। इसे अररु का |
| धुंधुर--एक दैत्य । कश्यपगृह में अवतीर्ण गणेशजी पुत्र भी कहा गया है (ब्रह्मांड. ३.६.३१)।
का विनाश करने के लिये, इसने एक तोते का रूप धारण , २. एक राजा । इसने जीवन में कभी मांस नही खाया
| किया, एवं यह कश्यप के घर आया। किंतु गणेशजी ने .' (म. अनु. १७७.७३. कुं.)। इस पुण्यसंचय के कारण, |
इसका नाश किया (गणेश. २.८)। यह स्वर्ग गया।
धुंधुली-आत्मदेव की पत्नी । एक सिद्ध ने आत्मदेव...' ३. (सो. पुरूरवस्.) मत्स्यमत में पीतायुध का पुत्र |
1| को पुत्रप्राप्ति के लिये फल दिया था। वह फल उसने , तथा वायुमत में जयद का पुत्र ।
अपनी पत्नी धुंधली को भक्षण करने के लिये दिया। परंतु. धुंधुकारिन् आत्मदेव का पुत्र । यह अत्यंत दुर्वर्तनी
अपनी बहन की बूरी सलाह मान कर, इसने वह फल .. होने के कारण, इसका पिता आत्मदेव अरण्य में चला
गाय को खिला दिया, एवं स्वयं गर्भवती होने का स्वाँग . गया (पन. उ. १९६; धुंधुली देखिये)।
रचा दिया। पश्चात् अपनी बहन का पुत्र स्वयं ले कर, धुंधुमत्--(सू. दिष्ट.) विष्णुमत में केवल का पुत्र।।
इसने झूटमूठ ही पति को बता दिया, मुझे पुत्र हुआ इसे बंधुमत् भी कहते थे।
है ' । उस पुत्र का नाम धुंधुकारी रख दिया गया (पद्म. - धुंधुमार--सूर्यवंशी बृहदश्वपुत्र कुवलाश्व का नामांतर उ. १९६)। (म. द्रो. ९४.४२)। धुंधु दैत्य का वध करने के कारण,
धूमती-अंगिराकुलोत्पन्न एक ब्रह्मर्षि । इसे यह नाम प्राप्त हुआ (म. व. १९५.२९)। ऐडविड़
धूमपा-पितरों एवं ऋषियों के एक समुदाय का राजा ने रुद्र से प्राप्त हुआ खड्ग इसे प्रदान किया (म.
| नाम। ये लोग दक्ष के यज्ञ में उपस्थित थे (म. शां. शां. १६६.७६)। उसी खड्ग से इसने धुंधु का वध किया।
२८४.८-९)। अगस्त्य ऋषि के कमलों की चोरी होने पर, इसने शपथ खायी थी (म. आ. १४.३ )। कई जगह, इसे कुवलाश्व
धूमिनी-(सो.) पूरुवंशी अजमीढ़ राजा की पत्नी । का पुत्र भी कहा है (पझ. स. ८)। इसे दृढाश्व, घृण
इसका पुत्र ऋक्ष (म. आ. ८९.२८)। (भद्राश्व), तथा कपिलाश्व नामक तीन पुत्र थे। धंधु के धूमोर्णा-यमराज की भार्या (म. अनु. २७१.११. साथ हुएँ युद्ध में, इसके एक हजार इक्कीस पुत्रों में से, | कु.)। केवल उपरोक्त तीन पुत्र बचे (वायु. ८८; म. व. १९३. २. मार्कडेय ऋषि की पत्नी (म. अनु. २४८.४. कुं.)। ५-६; १९५.३६; भा. ९.६.२३)। इसने 'वरुथिनी. धूम्र-रामसेना के गद्गद् नामक वानर का पुत्र । एकादशी का व्रत किया था । इस कारण इसे स्वर्गप्राप्ति २. एक ऋषि । यह इंद्र की सभा में विराजमान होता हुई (पन. ४८; कुवलाश्व तथा धुंधु देखिये)। | था (म. स. ७.१६*)।
धुंधुमूक-एक राजा । यह मेघवाहन कल्प में तीसरे । ३. स्कंद का सैनिक (म. श. ४४.५९)। त्रेतायुग में उत्पन्न हुआ था। इसकी पत्नी का नाम । धूम्र पराशर--पराशर कुलोत्पन्न एक कुल।
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